सरकारी राशि का निजी उपयोग करने के बाद नगद और चेक के माध्यम से संचालक ने लौटाई सरकारी राशि : चेक में हेराफेरी,बैंक ने कर किया भुगतान अब सी ई ओ को फसाने रची जा रही साजिश ,जनपद पंचायत बिल्हा की जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत से गायब, कैसे होगी निष्पक्ष जाँच…?

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सरकारी राशि का निजी उपयोग करने के बाद नगद और चेक के माध्यम से संचालक ने लौटाई सरकारी राशि :
चेक में हेराफेरी,बैंक ने कर किया भुगतान अब सी ई ओ को फसाने रची जा रही साजिश
,जनपद पंचायत बिल्हा की जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत से गायब, कैसे होगी निष्पक्ष जाँच…?

भुवन वर्मा बिलासपुर 9 अगस्त 2021



बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टी.एस.सिंहदेव के राज में पंचायती राज से भ्रष्टाचार, हेराफेरी, घोटाले और फर्जीवाड़ा का खेल बंद नहीं हो पा रहा है और अधिकारियों की मिलीभगत से पंचायतों में विकास के नाम पर ही नहीं बल्कि विभिन्न मदों पर फर्जीवाड़ा करके सरकार को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है जो जांच का विषय है परंतु शिकायतों पर जांच कमेटी कमीशनखोरी करके मामले पर निष्पक्ष जांच नहीं कर रहे है । जिनके कई उदाहरण देखने को मिल रहे है । इसी फर्जीवाड़ा के खेल में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक का निर्वाचन क्षेत्र बिल्हा में सरकारी चेक में हेराफेरी करके बैंक प्रबंधक की सांठगांठ से संबंधित राशि प्राप्तकर्ता ने राशि का निजी उपयोग करके साल भर बाद संबंधित विभाग को राशि लौटा दी और अब पूरे मामले पर जिम्मेदार अधिकारियों के बजाए अफसर को फसाने की साजिश रची जा रही है ,जो समझ से परे है! वहीं इस मामले पर निष्पक्ष जांच की उम्मीद नजर नहीं आ रही है । जिससे कांग्रेस सरकार की सबके साथ न्याय की बात बेमानी ही लग रही है ।


प्रदेश विधानसभा नेता के निर्वाचन क्षेत्र बिल्हा अंर्तगत जनपद पंचायत बिल्हा का बीआरजीएफ मद की राशि की गबन का मामला में हर रोज नई -नई मोड़ लेती जा रही है । इस मद से एक कम्प्यूटर संचालक को उनके कार्य के बदले संबंधित शाखा लिपिक ने जनपद पंचायत के लेखाधिकारी और सीईओ को गुमराह कर बंद हो चुके बीआरजीएफ योजना की राशि जारी करते हुए दो माह के अंतराल में मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना अंर्तगत जनपद पंचायत क्षेत्र में पूर्ण हुए निर्माण कार्यों की फोटोज गुगल डॉक में अपलोड करने के लिए उमरिया रोड़ बिल्हा में स्थित सपना कम्प्यूटर को उनके बिल क्रमांक 1403 दिनांक 29 दिसंबर 2019 प्रस्तुत होने पर सहायक लेखाधिकारी इंदू बघेल ने चेक क्रमांक 223826 राशि 590 रुपये एवं इसी संस्था को 19 फरवरी 2020 को स्टेनरीज क्रय भुगतान के लिए राशि 1050 रुपये चेक क्रमांक 223834 के माध्यम से भुगतान लिपिक शाखा के प्रस्तुत करने पर किया गया लेकिन इस दिनांक में जारी राशि के लिए संबंधित फर्म से बिल और राशि भुगतान हेतु पारित करने का आदेश पत्र लिपिक ने प्रस्तुत नहीं किया था , इसके बावजूद इंदू बघेल ने चेक जारी कर दी । जनपद पंचायत बिल्हा से जो भी सरकारी चेक जारी होते आ रहे उसमें सर्वप्रथम सहायक लेखाधिकारी इंदू बघेल का हस्ताक्षर फिर सीईओ बी.आर. वर्मा का हस्ताक्षर होते आया है । उक्त राशि को संबंधित फर्म को मिलने से पहले राशि को बढ़ा दी गई और राशि 590/-की जगह 500590/-की गई ,इसी तरह राशि 1050/- की जगह 601050/- कर कुल राशि 1101640/- कर किया गया । सरकारी चेकों में ओवरराइटिंग कर राशि बढ़ाकर आहरण करने के समय भी संबंधित बैंक ने इस मामले की शिकायत सीईओ बी.आर.वर्मा या फिर सहायक लेखाधिकारी इंदू बघेल से करना भी मुनासिब नहीं समझा और संबंधित सपना कम्प्यूटर संस्था को राशि का भुगतान कर किया गया । जबकि छोटी-मोटी गलतियों पर बैंक प्रबंधक आम जनता को परेशान करते है और नियमों की बात कर लोगों की छोटी सी गलती को स्वीकार नहीं करते मगर जनपद पंचायत बिल्हा के उक्त चेकों में हेराफेरी करना स्पष्ट नजर आ रहा था तो भी बैंक प्रबंधक ने भुगतान पर रोक नहीं लगाया क्योंकि ओवरराइटिंग की जगह पर सीईओ और सहायक लेखाधिकारी का कांउटर सिग्नेचर भी नहीं होने की बात कही जा रही है तो फिर इस पूरे मामले पर सीईओ ,लेखाधिकारी से कहीं अधिक बैंक प्रबंधक की भूमिका संदिग्ध दिखाई पड़ती है ।
वहीं इस मामले की शिकायत होने पर जनपद पंचायत सीईओ बी.आर. वर्मा ने नियमानुसार जांच कमेटी बनाकर जिला पंचायत को जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ को सौंप चुके थे परंतु यह जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत से गायब हो गई है और वर्तमान जिला पंचायत सीईओ हरिस एस ने मामले पर एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर चुके है । जबकि एक साल बाद संबंधित संस्था ने गलत भुगतान प्राप्त होने की बात कहकर जनपद पंचायत को राशि वापस कर दी है लेकिन राशि वापस होने के बाद किस पर और किस आधार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी ,समझ से परे है।
वही इस पूरे मामले पर सपना कम्प्यूटर संचालक कामेश्वर शर्मा ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने शाखा लिपिक को नगद राशि 1101640/- किया है । जिसकी पावती लिपिक से लिया गया और इनकी जानकारी सीईओ बी.आर.वर्मा को दी गई ठीक एक साल बाद कामेश्वर ने अपने चेक के माध्यम से फिर उक्त राशि जनपद पंचायत सीईओ के सरकारी खाते में लिखित रुप से जमा कराया , वहीं अब सवाल उठता है कि नगद राशि जमा की गई तो फिर सीईओ, लेखाधिकारी से पावती क्यों नहीं ली गई? नगद राशि जमा की गई तो पुनःउक्त राशि चेक से क्यों भुगतान की गई?
वहीं सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले पर राशि भुगतान होने के पश्चात जिला पंचायत सीईओ हरिस एस ने जनपद पंचायत सीईओ को एकतरफा नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जो अनुचित लग रहा है क्योंकि जनपद पंचायत बिल्हा में जो चेक जारी हो रहे है उसमें लेखाधिकारी इंदू बघेल का भी हस्ताक्षर हुए है तो फिर इस पूरे मामले पर इंदू बघेल को नोटिस जारी न करना समझ से परे है । जिला पंचायत के सूत्रों ने बताया कि बीआरजीएफ योजना की सम्पूर्ण राशि जमा करा दी गई है और जो राशि 1101640 रुपये सपना कम्प्यूटर बिल्हा को गलत तरीको से दो माह के भीतर राशि जारी की गई ,उस चेक में राशि को बढ़ाने के लिए ओवरराइटिंग की गई बावजूद बैंक प्रंबधन ने एक बार भी सीईओ को चेक में हेराफेरी करने संबंधित नोटिस जारी नहीं की गई और न ही उक्त कम्प्यूटर संचालक ने पहले के साथ ही दूसरी बार की चेक में जब लिपिक ने राशि बढ़ाकर दिए तो क्यों सीईओ और लेखाधिकारी को अवगत नहीं कराया है । जिस तरह से चर्चा हो रही है उससे तो लगता है कि सीईओ और लेखाधिकारी की छवि को धूमिल करने की साजिश रची जा रही है और इस मामले पर पूरी तरह से लिपिक, कम्प्यूटर संचालक और बैंक प्रबंधक ही दोषी है । यह हम नहीं बल्कि जनपद एवं जिला पंचायत के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है । जिस पर जिला पंचायत सीईओ कार्रवाई न कर अपने अधीनस्थ अधिकारियों जो जनपद पंचायत सीईओ बनने की सपना देख रहे है उनके गलत जानकारी में आकर इस मामले पर सीईओ बी.आर. वर्मा को बलि का बकरा बनाने में लगे हुए है जो पूरी तरह से गलत माना जा रहा है । वही सीईओ हरिस एस से उम्मीद है कि इस पूरे मामले पर सीईओ वर्मा द्वारा कराई गई जांच प्रतिवेदन का भी अध्ययन करें ताकि निष्पक्ष जांच हो सके । वहीं जिला पंचायत सीईओ हरिस एस ने जनपद पंचायत सीईओ को जारी नोटिस में कहा है कि सपना कम्प्यूटर फर्म द्वारा जनवरी 2020 एवं फरवरी 2020 को चेक जारी किया गया था। जिसे इतने लंबे समय के बाद माह जुलाई 2021 को जनपद पंचायत बिल्हा में जमा करने पर सीईओ वर्मा की भूमिका को संदिग्ध माना गया है तो इस बार जनपद पंचायत बिल्हा के अन्य कर्मचारियों का कहना है कि सीईओ वर्मा ने सहायक लेखाधिकारी इंदू बघेल की जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिला पंचायत को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किए है ,उस में कौन दौषी और निर्दोष है ,पता चल जाएगा परंतु यह फाइल जिला पंचायत से गायब हो गई है । वहीं एक साल बाद संबंधित फर्म के द्वारा नगद और चेक से राशि का भुगतान करने की बात अपने आप में हास्यास्पद है क्योंकि एक ही राशि को दो-दो बार क्यों जमा करेंगे ऐसे में इन्होंने बाइस लाख रुपये जमा किया समझे क्योंकि एक बार नगद और एक बार चेक के माध्यम से राशि जमा करने की बात सामने आ रही है । इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि निजी कार्य में राशि को खर्च करने के बाद एक साल बाद जनपद पंचायत को राशि लौटाई गई है और सरकारी राशि का गबन न होकर सरकार के खजाने में वापस जमा हो गई तो फिर किस पर एफआईआर दर्ज करेंगे? यह सवाल होने लगी है और सीईओ वर्मा को एकतरफा नोटिस जारी करना भी समझ से परे है । बहरहाल देखना है कि इस मामले पर निष्पक्ष कार्रवाई करने में जिला पंचायत सीईओ हरिस एस कामयाब होते है या नहीं?

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