रक्षामंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ने किया कोरोना दवा टू डीजी लांच

0
IMG-20210517-WA0069

रक्षामंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ने किया कोरोना दवा टू डीजी लांच

भुवन वर्मा बिलासपुर 17 मई 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — टू-डीजी दवा आत्‍मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्‍थर है। संकट के समय में यह दवा आशा की नई किरण लेकर आयी है। इससे कोविड रोगियों की ऑक्‍सीजन पर निर्भरता 40 प्रतिशत कम होगी। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के मार्गदर्शन में सभी समस्‍याओं का समाधन हुआ है। कोविड महा‍मारी के दौरान आवश्‍यक वस्‍तुओं की सहायता उपलब्‍ध कराने में सेना निरन्‍तर प्रयास कर रही है।
उक्त बातें केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज डीआरडीओ के बैज्ञानिकों द्वारा निर्मित एंटी कोविड दवा टू डीजी की पहली खेप (दसं हजार डोज) लांच करते हुये कही। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा० हर्षवर्धन और एम्स के निदेशक डा० रणदीप गुलेरिया भी शामिल रहे। परिवार कल्‍याण मंत्री ने कोविड रोधी दवा टू-डीऑक्‍सी-डी-ग्‍लूकोस विकसित करने के लिये रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा डॉक्‍टर रेड्डीज़ लैब के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की है। उन्‍होंने कहा कि यह दवा वैज्ञानिकों की एक साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है। परिवार कल्‍याण मंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकने में यह दवा काफी हद तक प्रभावी है। उन्‍होंने कहा कि सरकार देश में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी बुनियादी ढांचे को निरन्‍तर सुदृढ़ कर रही है।
गौरतलब है कि हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्विन , रेमडिसिविर , आइवरमेक्टिन जैसी तमाम दवाओं के कोविड-19 पर असर को लेकर पिछले साल से ही रिसर्च चलती रही, मगर टू डीजी वह पहली दवा है जिसे ऐंटी-कोविड ड्रग कहा जा रहा है। इसे डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के इंस्टिट्यूट ऑफ न्‍यूक्लियर मेडिसिन ऐंड अलाइड साइंसेज ने विकसित किया है। इसमें हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी के रिसर्चर्स का भी योगदान है। यह दवा एक पाउडर के रूप में उपलब्‍ध होगी। पिछले साल जब भारत में कोविड-19 की पहली लहर की शुरुआत हुई थी, तभी से वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू कर दिया था। मई 2020 में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवा के कोविड मरीजों पर फेज टू ट्रायल की मंजूरी दे दी। यह ट्रायल अक्‍टूबर तक चला। ट्रायल में सामने आया कि दवा कोविड मरीजों के लिये सेफ है और रिकवरी में भी मदद करती है। नतीजों के बाद नवंबर 2020 में फेज थ्री ट्रायल की मंजूरी मिली। आखिरकार ट्रायल डेटा के आधार पर 09 मई 2021 को डीसीजीआई ने इस दवा के आपातकालीन इस्‍तेमाल को मंजूरी दे दी। टू डीजी असल में टू डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है जिससे ट्यूमर, कैंसर कोशिकाओं का इलाज होता है। ट्रायल में पता चला कि टू डीजी कोविड मरीजों के ईलाज में तो कारगर है ही, हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की ऑक्सिजन पर निर्भरता को भी कम करती है। फिलहाल इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने की परमिशन दी गई है। यानि यह प्राइमरी मेडिसिंस के सपोर्ट में उपयोग की जायेगी। यह दवा काफी हद तक ग्‍लूकोज जैसी है , मगर ग्‍लूकोज नहीं है। वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिये उसे ताकत चाहिये होती है जो ग्‍लूकोज से मिलती है। जैसे आप ओआरएस को पानी में घोलकर पीते हैं , वैसे ही इसे भी पानी में मिलाकर ले सकेंगे। यह दवा दिन में दो बार लेनी होगी। कोविड-19 मरीजों को पूरी तरह ठीक होने के लिये पांच से सात दिन तक यह दवा देनी पड़ सकती है। कीमत को लेकर अभी कुछ नहीं कहा गया है। ट्रायल के दौरान , सामान्‍य और गंभीर मरीजों को यह दवा दी गई। सभी मरीजों को इस दवा से फायदा ही हुआ , किसी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला। उनके मुताबिक यह कहा जा सकता है कि इस दवा का कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *