आज ब्रह्म बेला में पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में विधि-विधान से पारंपरिक पूजन के साथ पट खुले बद्रीनाथ धाम के

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आज ब्रह्म बेला में पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में विधि-विधान से पारंपरिक पूजन के साथ पट खुले बद्रीनाथ धाम के

भुवन वर्मा बिलासपुर 18 मई 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बद्रीनाथ धाम — वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने चार धाम यात्रा फिलहाल स्थगित की हुई है , लेकिन धामों के कपाट निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही खोल दिये गये हैं। इसी के तहत बद्रीनाथ धाम के कपाट आज ब्रह्म बेला में सवा चार बजे पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में विधि-विधान और वेद मंत्रोच्चार के बीच खोल दिये गये हैं। धाम के कपाट खुलने पर कुबेर और उद्धव जी का बदरीश पंचायत (बद्रीनाथ गर्भगृह) में स्थापित कर दिये गये। मंदिर के पट खुलते ही जय बद्रीनाथ के जयघोष से धाम गुंजायमान हो उठा। कपाट खुलते ही  सबसे पहले अखंड ज्योति के दर्शन हुये ,आज भगवान् बद्रीनाथ के दर्शन बिलकुल अलग होते हैं। ऐसे दर्शन भगवान बद्रीनाथ के मंदिर में महज दो दिन ही हो पाते हैं , जिसके साक्षी मात्र वही श्रद्धालु होते हैं जो कपाट खुलने पर और कपाट बंद होने पर बद्रीनाथ पहुंचते हैं। इसके साथ ही भगवान को माणा गांव के महिला मंडल द्वारा शीतकाल में कपाट बंद करते समय ओढ़ाया गया घृत कम्बल उतारा गया तथा प्रसाद स्वरूप बांटा गया। इस तरह से निर्वाण दर्शन से श्रृंगार दर्शन की प्रक्रिया परंपरानुसार पूरी की गई। आज दिन भर मंदिर खुला रहेगा , आज भोग के समय भी मंदिर बंद नहीं होगा जबकि छह माह तक बद्रीनाथ जी का मंदिर दोपहर में भोग लगने के बाद तीन घंटों के लिये बंद होता है। धाम में पहली पूजा और महाभिषेक पीएम नरेंद्र मोदी ओर से किया गया। इस दौरान उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना एवं महाभिषेक समर्पित किया गया। कपाट खुलते ही सबसे पहले सभी लोगों ने भगवान बद्री विशाल से कोरोना जैसी विश्वव्यापी बीमारी को देश और दुनियां से खत्म करने की प्रार्थना की। कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं को इन धामों में आने की अनुमति नहीं है। जिसके कारण सिर्फ ऑनलाइन दर्शन ही कर सकते है।देवस्थानम बोर्ड की ओर से धाम के कपाटोद्घाटन की जोरदार तैयारियां की गई थीं। इस खास अवसर पर नारायण फ्लावर ऋषिकेश की ओर से बद्रीनाथ व बद्री केदार पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से बद्रीनाथ धाम के सिंहद्वार व अन्य देवालयों को बीस क्विंटल फूलों से सजाया गया। कोरोना संक्रमण को देखते हुये बद्रीनाथ धाम परिसर , तप्तकुंड और आस्था पथ को सैनिटाइज किया गया। बद्रीनाथ बस अड्डे के समीप सभी वाहनों को सैनिटाइज करने के बाद ही धाम की ओर भेजा गया।इसके पहले सोमवार सुबह योगध्यान बद्री मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद भगवान बद्रीविशाल की उत्सव डोली के साथ ही शंकराचार्य गद्दी व गाडू घड़ा रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में बद्रीनाथ धाम के लिये रवाना किया गया। इस दौरान पांडुकेश्वर , विष्णुप्रयाग , लामबगड़ आदि स्थानों पर उत्सव डोली की पूजा-अर्चना की गई। हनुमानचट्टी में भगवान हनुमान के दर्शन करने के पश्चात यह डोली बद्रीनाथ धाम पहुंची। कपाट खुलने से एक दिन पूर्व बद्रीनाथ धाम परंपरा के अनुसार सिंहद्वार के शीर्ष पर तीन , गर्भगृह के ऊपर एक और महालक्ष्मी मंदिर के ऊपर एक यानि कुल पांच स्वर्ण कलश लगा दिये गये। अब शीतकाल के लिये कपाट बंद होने तक ये स्वर्ण कलश मंदिर की शोभा बढ़ायेंगे। इसके अलावा मंदिर के ऊपर धर्मध्वजा भी लगा दी गई है।
मान्यता है कि पुराने समय में भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानि बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी। लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से भगवान प्रसन्न हुये। विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था। नर-नारायण ने बद्री नामक वन में तप की थी। यही उनकी तपस्या स्थली है। महाभारत काल में नर-नारायण ने श्रीकृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतार लिया था। यहां श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्ध बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैं।

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