राज्यपाल राज्य में जनभागीदारी बढ़ायें –प्रधानमंत्री मोदी

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राज्यपाल राज्य में जनभागीदारी बढ़ायें –प्रधानमंत्री मोदी

भुवन वर्मा बिलासपुर 15 अप्रैल 2021

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्‍ली — कोविड के खिलाफ लड़ाई में टीकों के साथ हमारे मूल्य और कर्तव्य की भावना हमारी सबसे बड़ी ताकत है।पिछले साल देश के लोग वैश्विक महामारी कोरोना जंग में अपने कर्तव्य को समझते हुये शामिल हुये थे। जन भागीदारी की इस भावना को ही अब भी बढ़ावा देने की जरूरत है। अपनी सामाजिक दायित्व के कारण इस कार्य में राज्यपालों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। राज्य सरकारों और समाज के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने राज्यपाल एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। सभी राजनीतिक दलों , सामाजिक संगठनों और आम लोगों की सामूहिक ताकत बहुत जरूरी है। राज्यपाल यह सुनिश्चित करने में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं कि सामाजिक संस्थायें सूक्ष्म स्तर पर कोरोना नियंत्रण के लिये राज्य सरकारों के साथ बिना किसी बाधा के सहयोग करें।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देश के सभी राज्यपालों और उपराज्यपालों के साथ देश भर में कोविड -19 की स्थिति और संचालित टीकाकरण अभियान के बारे में चर्चा करते हुये कही। इस बैठक में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुये। पीएम मोदी ने आगे कहा कि माइक्रो कंटेनमेंट बनाने में राज्य सरकारों के साथ सामाजिक संस्थायें सक्रियता से जुड़े , इसमें राज्यपाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनके सामाजिक नेटवर्क से अस्पतालों में एंबुलेंस , वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की जरूरतों को बढ़ाया जा सकता है। टीकाकरण और उपचार के बारे में सूचनायें देने के साथ साथ राज्यपाल आयुष संबंधी उपायों के बारे में भी जागरूकता फैला सकते हैं। पीएम ने कहा कि हमारे युवा , हमारे कर्मचारीगण हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है। लिहाजा ये सुनिश्चित हो कि वो सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें। राज्यपाल विश्वविद्यालयों के छात्रों को भी जन भागीदारी में जोड़ने की दिशा में काम कर सकते हैं। पिछले साल की तरह ही अब भी एनसीसी और एनएसएस कोरोना रोकथाम में काम करने की जरूरत है। कोरोना के बढ़ते मामलों पर पीएम ने कहा कि कोरोना के खिलाफ इस बार की लड़ाई में देश को पिछले साल के अनुभव से सीखना चाहिये। आज देश कोरोना से संबंधित अनेक चीजें खुद ही तैयार कर रहा है। सरकार वेक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये भी प्रतिबद्ध है। देश दुनियां में सबसे पहले 10 करोड़ वेक्सीन लगाने वाला बन गया है। टीका उत्सव के दौरान भी वेक्सीन लगाने के काम में काफी तेजी आयी है। इस वर्चुअल बैठक में उपस्थित उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कोविड के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने और महामारी से निपटने के लिये आवश्यक बुनियादी ढांचा के विकास के लिये उठाये गये सक्रिय कदमों के लिये प्रधानमंत्री की सराहना की। उन्होंने भारत और पूरे विश्व को वैक्सीन देने में वैज्ञानिक समुदाय के योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों , स्वच्छता कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के अन्य श्रमिकों के योगदान पर चर्चा की, जिन्होंने महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उप राष्ट्रपति ने राज्यपालों से अपील की कि कोविड नियंत्रण के लिये जरूरी उचित व्यवहार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये वे अपने-अपने राज्यों में सर्वदलीय बैठकें करके और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर एक तालमेल आधारित मोर्चा बनायें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नीतिगत मान्यताओं से हटकर ‘टीम इंडिया की भावना’ को अपनाना चाहिये और इस बारे में , राज्यपाल ‘राज्य के संरक्षक’ के रूप में राज्य सरकारों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। वहीं बैठक में उपस्थित केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभी लोगों की जिंदगी बचाने के महत्व पर जोर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कोविड मामलों और टीकाकरण अभियान के बारे में एक प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे इस प्रयास में भारत ने एक सक्रिय और पूर्व-नियोजित दृष्टिकोण का पालन किया है।राज्यपालों ने इस बात का ब्यौरा साझा कि कैसे उनके संबंधित राज्य वायरस का फैलाव रोकने में लगे हुये हैं और बाधारहित टीकाकरण अभियान सुनिश्चित करने के लिये गतिविधियों में तालमेल कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्रयासों में आगे और सुधार करने के बारे में सुझाव दिया और योजनायें साझा करते हुये बताया कि कैसे विभिन्न समूहों के सक्रिय सामाजिक जुड़ाव के माध्यम से जनभागीदारी को विस्तार दिया जा सकता है।

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