पूर्णाहुति एवं सहस्त्रधारा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम: भागवताचार्य डॉ थानेश्वर शर्मा
पूर्णाहुति एवं सहस्त्रधारा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम: भागवताचार्य डॉ थानेश्वर शर्मा
भुवन वर्मा बिलासपुर 31 मार्च 2021
बिलासपुर — लीला पुरूषोत्तम भगवान श्रीकृष्णचंद्र की असीम अनुकम्पा से बिनोबा नगर बिलासपुर में भागवताचार्य डॉ थानेश्वर प्रसाद शर्मा के मुखारविंद से से 24 मार्च से 31 मार्च मार्च तक संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ कथा चली। इस कल्याणमयी कथा की वैदिक मंत्रोच्चार से पूर्णाहुति , सहस्त्रधारा एवं ब्राह्मण भोज के साथ विश्राम हुआ। सात दिनों तक की कथा में कथाव्यास ने भागवत महात्म्य , ध्रुव चरित्र , परीक्षित कथा , राजा बलि की कथा , कपिलोपाख्यान , शिव-पार्वती विवाह, प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, रामकथा, कृष्णजन्म, बाल लीला, कृष्ण की रासलीला, गोवर्धन पूजा , महारास एवं रूकमणी मंगल की कथा , सुदामा मित्रता की कथा सुनायी। भागवत कथा स्थल में प्रतिदिन प्रसंग के अनुसार भगवान की मनमोहक झाँकी भी निकाली जा रही थी।इनमें श्रीमद्भागवत महात्म्य , ध्रुव चरित्र, राजा परीक्षित की कथा, राजा बलि की कथा, कृष्ण जन्म, कृष्ण सुदामा की मित्रता और रूखमणी विवाह प्रमुख था। सबसे ज्यादा आनंद भक्तों ने भगवान कृष्ण का जन्म और रूखमणी विवाह में उठाया। इस दौरान कथा स्थल वृंदावन में तब्दील हो गया था। भागवत में कृष्ण और रूखमणी विवाह के प्रसंग पर पंडाल में श्रद्धालुओं ने जमकर फूल बरसाये। भागवत कथा के छठवें दिन कृष्ण रूखमणी विवाह का आयोजन हुआ। कथावाचक आचार्य श्री शर्मा ने रास पंचाध्यायी का वर्णन किया। उन्होंने श्रद्धालुओं को श्रवण कराया कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है, जो भी इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। रूखमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिये शामिल हुये। कथा विश्राम गीता ज्ञान , पूर्णाहुति और सहस्त्रधारा के साथ हुआ। कथा सुनने के लिये प्रतिदिन नगर सहित आसपास के लोग एवं जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में कथास्थल पहुँचते थे। श्रीमती अंजू साहू ,प्रदीप साहू,ज्योति साहू सहित विनोबा नगर के सभी श्रद्धालुओं ने सातों दिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुये कथाश्रवण किया।