तत्कालीन रेंजर प्रहलाद यादव द्वारा स्टापडेम तो बना दिया लेकिन गेट लगाने की ओर नही दिया ध्यान, वर्तमान रेंजर ने ग्रामीणों की मदद से लकड़ी व बोरी बंधान से बहते पानी को रोका
तत्कालीन रेंजर प्रहलाद यादव द्वारा स्टापडेम तो बना दिया लेकिन गेट लगाने की ओर नही दिया ध्यान, वर्तमान रेंजर ने ग्रामीणों की मदद से लकड़ी व बोरी बंधान से बहते पानी को रोका
भुवन वर्मा बिलासपुर 26 जनवरी 2021
पाली:- जंगल के नदी- नालों में पानी रोकने के उद्देश्य से कटघोरा वनमंडल द्वारा पाली वनपरिक्षेत्र को स्टापडेम निर्माण हेतु बीते वर्ष भारी- भरकम राशि प्रदान की गई थी जहाँ तत्कालीन रेंजर रहने के दौरान भ्रष्ट्राचार रूपी कृत्य में सर से पांव तक लिप्त रहे प्रहलाद यादव द्वारा अनेक स्थानों पर स्टापडेम का निर्माण तो जरूर कराया गया लेकिन किसी एक स्टापडेम मे भी गेट लगाने की ओर ध्यान नही दिया गया लिहाजा गेट ना लगने के कारण उन स्टापडेमो में पानी का ठहराव नही होने से वे निरर्थक साबित हो रहे है।
जेमरा सर्किल के रतखंडी मार्ग पर कादलनाला एवं बाँसनाला में भी लाखों की लागत से बीते अप्रैल- मई 2020 में तत्कालीन रेंजर एवं वर्तमान कटघोरा उपवनमण्डल के एसडीओ प्रहलाद यादव ने दो स्टापडेम का निर्माण कराया जिसमे भी गेट नही लगाया गया।जब वर्तमान रेंजर के.एन. जोगी ने उन निर्माण स्थलों का मौके पर जाकर मुआयना किया तब स्टापडेमों में गेट नही लगा हुआ पाया गया और फिर उन्होंने गर्मी के लिए पानी रुक जाए इसके लिए ग्रामीणों की मदद ली तथा लकड़ी व बोरी बंधान के माध्यम से बहते पानी को किसी तरह रोका गया है।बता दें कि प्रहलाद यादव द्वारा तत्कालीन पाली रेंजर रहने के दौरान अपने कार्यकाल में जितने भी स्टापडेम का निर्माण कराया गया उन तमाम में किसी एक पर भी गेट नही लगाया गया जिसके कारण वे सभी अनुपयोगी साबित हो रहे है।यहाँ तक कि लापरवाह रेंजर ने तो एक स्टापडेम का भी निर्माण आधा- अधूरा कराकर छोड़ दिया जिसे वर्तमान रेंजर द्वारा पूर्ण कराने की दिशा पर प्रयासरत है।एसडीओ प्रहलाद यादव द्वारा अपने रेंजरी कार्यकाल के दौरान जितने भी कार्य कराए गए उन सभी कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया गया जिसकी बानगी एक- एक करके देखने- सुनने को मिल रही है।लगता है शासन से मिलने वाले तनख्वाह से इनका गुजारा नही हो पाता शायद इसीलिए ये भ्रष्ट्राचार में इतने लिप्त रहे है कि आज करोड़ों के आसामी बन गए है।यदि इनके कार्यकाल के समस्त कार्यों की जांच कराई जाए तो लाखों का नही बल्कि करोड़ों का घोटाला सामने आएगा।