विक्रम विश्वविद्यालय में रामचरितमानस आधारित पाठ्यक्रम शुरू
विक्रम विश्वविद्यालय में रामचरितमानस आधारित पाठ्यक्रम शुरू
भुवन वर्मा बिलासपुर 23 दिसंबर 2020
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
भोपाल – मध्यप्रदेश के विक्रम विश्वविद्यालय में ‘श्रीरामचरित मानस में विज्ञान और संस्कृति’ प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। वहीं इस पाठ्यक्रम को उत्तरप्रदेश सरकार के अयोध्या शोध संस्थान और संस्कृति विभाग की मदद से इसे पढ़ाया जायेगा। राम नाम के पत्थर समुद्र में क्यों तैरने लगे ? रावण का पुष्पक विमान मन की गति से कैसे उड़ान भरता था ? बाली के पास ऐसी कौन सी विद्या थी जिससे वह रोज पृथ्वी के ढाई चक्कर लगा लेता था ? आकाशवाणी कैसे होती थी ? ऐसी कई हैरतअंगेज घटनायें जो वर्तमान परिवेश में सभी को चकित करती है। इन प्रसंगों के साथ श्रीरामचरितमानस की कई घटनाओं से जुड़े विज्ञान विद्यार्थियों को पढ़ाया जायेगा। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी रामचरित मानस में अंतर्निहित विभिन्न ज्ञान विज्ञान और संस्कृति के पहलुओ का गहन अध्ययन करेंगे।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश पांडेय का कहना है कि संभवत: देश में यह पहला ऐसा पाठ्यक्रम होगा, जिसमें धर्म का विज्ञान पढ़ाया जायेगा। इसमें पढ़ाने के लिये अयोध्या के वैदिक विद्वान को उज्जैन बुलायेंगे। अभी यह पाठ्यक्रम प्रारंभ में 20 सीटों के साथ शुरू किया है। वहीं पाठ्यक्रम में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थी 28 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस विषय में थ्योरी के साथ-साथ बड़ी संख्या में प्रैक्टिकल पर भी जोर दिया जायेगा। इसके तहत विद्यार्थियों को रामजन्म भूमि, वनवास पथ पर ले जाया जायेगा। हमारा उद्देश्य यह भी रहेगा कि वहांँ के संबंधित क्षेत्रों के विद्वानों के लेक्चर भी कक्षाओं में करवाये जायें। इसके अलावा भगवान् राम जिन स्थलों पर गये वहांँ पर छात्रों से रिपोर्ट भी तैयार करवाने की कोशिश रहेगी। इसका उद्देश्य सनातन संस्कृति के विज्ञान के गुढ़ रहस्यों को अध्ययन के माध्यम से सबसे सामने रखना है। श्रीरामचरित मानस से जुड़े भौतिक, रसायन, जीव, पर्यावरण के साथ औषधीय विज्ञान से विद्यार्थियों को रूबरू होंगे।