सरकार को विशेष सत्र बुलाने से कोई नही रोक सकता – मुख्यमंत्री
सरकार को विशेष सत्र बुलाने से कोई नही रोक सकता – मुख्यमंत्री
भुवन वर्मा बिलासपुर 20 अक्टूबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर — छग सरकार ने सोमवार को विधानसभा विशेष सत्र बुलाये जाने हेतु राजभवनं को फाइल भेजी थी।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सरकार के विशेष सत्र आहूत करने की इस फाइल वापस लौटा दी है। राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाये जाने की जरूरत पड़ रही है? सत्र के दौरान क्या-क्या काम होंगे ? विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार इस दो दिवसीय विशेष सत्र में नये कृषि कानून पर चर्चा कर उसे पारित करना चाहती है।
राजभवन से फाइल लौटाये जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव को लेकर कहा कि पूर्ण बहुमत की सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से कोई नहीं रोक सकता है। राज्यपाल ने कुछ जानकारी मांँगी है, वह उन्हें दे दी जायेगी। सीएम भूपेश ने कहा कि कृषि कानून नहीं, बल्कि पूजीपतियों को लाभ देने का कानून है…धान खरीदी करने का कार्य एफसीआई का है. लेकिन राज्य द्वारा बेचने वाले धान को सीमित क्यों किया ? वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने कहा कि जो राज्य सरकार बोनस देगा, उस राज्य से अधिक धान खरीदी नहीं किया जायेगा तो बचा धान कहांँ जायेगा ? बोनस देने वाले राज्य का अनाज खरीदना केंद्र ने जून 2014 में बंद कर दिया , इसके बाद हमने आंदोलन किया. फरवरी 2019 में कार्यशाला आयोजित की गयी। धान से इथेनॉल बनाने की अनुमति की लगातार मांँग करते रहे, तब जाकर केंद्र सरकार ने हमारी इस मांग को माना। केंद्र सरकार कृषि कानून से किसानों को खत्म करना चाहते हैं , देर सबेर एमएसपी बंद करेगी। धान बेचने में दिक्कत ना हो, इसलिये हम इथेनॉल बना रहे हैं।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बघेल ने बड़ी घोषणा करते हुये कहा कि अब धान के अलावा गन्ने से भी एथेनॉल बनाया जायेगा। प्रदेश की सरकार ने प्लांट लगाने के लिये छह कंपनियों से एमओयू किया है , करीब एक साल के भीतर प्रदेश में प्लांट लगेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में धान का ज्यादा उत्पादन होता है। इस्तेमाल में लाये जाने के बाद बचने वाले धान और गन्ने से यह फ्यूल तैयार होगा। लगातार सरकार इसे लेकर केंद्र सरकार के संपर्क में थी। अब एथेनॉल खरीदी के रेट तय कर दिए गये हैं, भारत सरकार राज्य से 54 रुपए प्रति लीटर में एथेनॉल खरीदेगी। फ्यूल उस धान से बनेगा जो सेंट्रल पूल और स्टेट पूल में खरीदी के बाद भी बच जाता है। इससे किसानों को धान बेचने के अलावा अतिरिक्त आय होगी। जहां प्लांट लगेगा वहां लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
क्या होता है एथेनॉल ?
एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे शर्करा वाली फसलों से भी तैयार किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोआॅक्साइड का उत्सर्जन होता है। एथेनॉल में 35 फीसदी आॅक्सीजन होता है। एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि एथेनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिये सुरक्षित है।
About The Author


Winning Starts with One Click – Join the Game! Lucky cola