पुरुषोत्तम मास के पावन पर्व पर हरिहर क्षेत्र मदकूद्वीप में हरिहरात्मक आराधना महोत्सव : प्राचीन मदकूदीप तीर्थ स्थल घोषित हो – आचार्य झम्मन शास्त्री

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पुरुषोत्तम मास के पावन पर्व पर हरिहर क्षेत्र मदकूद्वीप में हरिहरात्मक आराधना महोत्सव : प्राचीन मदकूदीप तीर्थ स्थल घोषित हो – आचार्य झम्मन शास्त्री

भुवन वर्मा बिलासपुर 12 अक्टूबर 2020

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बिलासपुर — पुरुषोत्तम मास के पावन पर्व पर हरिहर क्षेत्र मदकूद्वीप में आयोजित हरिहरात्मक आराधना महोत्सव में पूजन-आराधना रुद्राभिषेक के साथ होम यज्ञ विष्णुसहस्त्रनाम पाठ तथा सहस्त्रार्चन का कार्यक्रम आनंदमय वातावरण में संपन्न हो रहा है। इस पुनीत अवसर पर यज्ञाचार्य पंडित झम्मन शास्त्री जी महाराज ने सत्संग, संगोष्ठी मे भक्तों को पुरुषोत्तम मास का महत्व बताते हुये कहा कि भगवान को यह मास अत्यंत ही प्रिय है। इस मास में जो भी पुण्य ,सत्कर्म सेवा, परोपकार, आराधना, व्रत, यज्ञ, दान ,अनुष्ठान आदि कार्य पवित्र मन से करते हैं तो वह अनंत गुना फल को प्रदान करने वाला है। यह बहुत ही उत्तम समय है इस पर्व काल में कल्याणकामी जनों को प्रयास करना चाहिये कि हम सात्विक आहार का सेवन करें , कोई तामस पदार्थ ना खायें , कोई भी दुर्व्यसन का सेवन ना करें, असत्य भाषण ना करें, इर्ष्या, द्वेष , दूसरों की बुराई निंदा ना कर अपना आत्म परिक्षण करें कि मेरे द्वारा शुभकर्म हो। मन बुद्धि विचारों की पवित्रता के लिये कम से कम प्रतिदिन एक घंटा भजन करें ,अच्छे पवित्र साहित्य सद्ग्रंथो का पाठ करें , दीन दुखी, असहाय , पीड़ित व्यक्तियों का निष्काम भाव से सेवा करें ,गौ सेवा के लिये यथा योग सहयोग करें, मठ मंदिरों में स्वच्छता का अभियान चलायें। महामारी संकटकाल में घर में सुरक्षित रहते हुये ऑनलाइन फेसबुक आदि में प्रसारित हो रहे पूरीपीठ से पूज्य पाद गुरुदेव भगवान शंकराचार्य जी के दिव्य संदेश प्रवचन मार्गदर्शन का श्रवण करें तथा अपने परिवार में बच्चों को भी ऐसे विचारों के संदर्भ में बतायें। अपने भारतीय संस्कृति में साधना, तप, व्रत, पर्व, पुजा ,यज्ञ जप, पाठ आदि उत्सव त्यौहार के महत्वों को दार्शनिक वैज्ञानिक तथा व्यवहारिक रूप में समझायें एवं उनकी उपयोगिता वर्तमान समय में किन किन रूपों में है जिनसे युवा पीढ़ी के हृदय में अपने प्राचीन परंपरा सनातन वैदिक धर्म संस्कृति के प्रतिदृढ आस्थावान बनकर अपने पूर्वजों के द्वारा चलाये आदर्श मार्ग में चलकर अपना एवं समाज तथा राष्ट्र का उत्कर्ष कर सके , इस विषय पर विचार करें । शाम को प्रत्येक घरों में दीप जलाकर नाम संकीर्तन के साथ हनुमान चालीसा का समूह में पाठ करना तथा सबके हित कल्याण की भावनाओं से प्रभु के चरणों में प्रार्थना समर्पित करना चाहिये।सब स्वस्थ रहते हुये प्रसन्न रहें , अपने धर्म का पालन करें , समुचित दूरी का पालन करते हुये कार्य करें। यहाँ कार्यक्रम में नगर एवं क्षेत्रवासी भक्त वृन्द, यज्ञ परिसर मे परिक्रमा करते हुये पुण्य लाभ प्राप्त करें रहे है। तथा विभिन्न भजन मंडली ,रामायण मंडली द्वारा प्रभात फेरी तथा भजन का कार्य संचालित हो रहा है जिससे वातावरण भक्ति एवं धर्ममय बना हुआ है।मदकूद्वीप के बारे में शास्त्री जी ने कहा कि यह हमारे ऋषियों की तपस्थली , कार्यस्थली है। पुरातत्व विभाग को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस जगह को पिकनीक स्पाट ना बनायें बल्कि इसे और ज्यादा विकसित कर तीर्थस्थल का रूप दे ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों में ऋषि परंपरा का ज्ञान बराबर मिलता रहे। वहीं यज्ञ संरक्षक श्री रामरूपदास महात्यागी महाराज ने प्रेरित करते हुये कहा कि अपने जीवन को सार्थक बनाने हेतु भक्तों को सद्भाव पूर्ण संवाद के द्वारा परसपर प्रेम को समाज मे बढ़ाना चाहिये।समाज को सुबुद्ध तथा स्वावलम्बी बनाने के लिये प्रशिक्षण शिविर , गोष्ठी का समायोजन विभिन्न क्षेत्रो मे होना चाहिये।

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