आज हिंदी दिवस विशेष : हिंदी जनमानस की भाषा – महात्मा गांधी-

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आज हिंदी दिवस विशेष ,,,,,

हिंदी जनमानस की भाषा – महात्मा गांधी-

अरविन्द तिवारी की कलम ✍️ से

भुवन वर्मा बिलासपुर 14 सितंबर 2020





रायपुर — प्रत्येक साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारतीयता की पहचान इस भाषा को सम्मान देने और इसकी व्यापक स्वीकार्यता सुनिश्चित करने के लिये ये दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साल 1918 में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात की थी। महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन के मौके पर ये प्रस्ताव दिया था. गांधीजी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बताया था। चौदह सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था।  इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हिंदी भारत की 22 भाषाओं में से एक है। अधिकतर भारतीय हिंदी को बोलते और समझते हैं। उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में हिंदी बोली और समझी जाती है। भारत के साथ ही नेपाल, अमेरिका, मॉरिशस, फिजी, द.अफ्रीका, सूरीनाम, युगांडा सहित दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहांँ पर हिंदी बोली जाती है। नेपाल में करीब 80 लाख हिंदी बोलने वाले रहते हैं। वहीं अमेरिका में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब साढ़े छह लाख है। हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रसार और प्रचार के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस दिन स्कूल, कॉलेजों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। हिंदी दिवस पर हर साल, भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में एक समारोह में, हिंदी भाषा में अतुलनीय योगदान के लिये लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। भारत में हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे सबसे अधिक बोला, लिखा व पढ़ा जाता है। सन् 1947 में देश आजाद होने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न था कि किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए। काफी विचार-विमर्श करने के बाद 14 सितंबर सन् 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया है, जिसके अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया था। हिंदी केवल हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। भाषा के बिना कोई भी अपनी बात को, अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता। भाषा के जरिये ही विभिन्न प्रकार की संस्कृति को जाना जा सकता है। उसमें हिंदी भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदी में आप सहजता से अपनी बात समझा सकते हैं। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 1975 से ‘विश्र्व हिंदी सम्मेलन’ का आयोजन शुरू किया गया।

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