कोरोना काल में पढ़ाई जारी रखने सर्वमान्य समाधान ढूंढना होगा – टेसूलाल धुरंधर

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कोरोना काल में पढ़ाई जारी रखने सर्वमान्य समाधान ढूंढना होगा – टेसूलाल धुरंधर

भुवन वर्मा बिलासपुर 26 अगस्त 2020

रायपुर । वैश्विक महामारी कोरोना संकट के चलते प्रदेश के सभी स्कूल बंद है, कोरोना का प्रकोप शांत होने का नाम नहीं ले रहा बल्कि विकराल रूप लेता जा रहा है। संक्रमितों व मौतों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है, यह दौर कब समाप्त होगा कोई दावा के साथ नहीं बता सकता। इस विकट स्थिति में स्कूल खोलने की सोच मात्र से ही रूह कांपने लगती है, पालकों के साथ समुदाय और सरकार में बैठे सभी लोग स्वाभाविक रूप से चिंतित है। निजी शालाओं में पढ़ने वाले अपेक्षाकृत संपन्न पालकों के बच्चे ‘ऑनलाइन क्लासेस’ के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैैं। सरकार की ओर से भी पारंपरिक कक्षाओं के विकल्प में तकनीकी आधारित नवाचार को अपनाते हुए “पढ़ई तुंहर दुआर” योजना का जोर -शोर से प्रचार करते हुए ‘ऑनलाइन क्लासेस’ की शुरुआत की गई, यह योजना एंड्रॉयड फोन की अनुपलब्धता, नेट कनेक्टिविटी की कमी व पालकों की गरीबी के कारण ‘नेट चार्ज’ वहन नहीं कर सकने जैसी समस्याओं से जूझते हुए न्यूनतम छात्रों तक ही पहुंच बना पाई, अपेक्षित सफलता न मिलते देख इसे जारी रखते हुए “पढ़ई तुंहर पारा” योजना लांच की गई, इस योजना में स्कूल को छोड़कर समुदाय के द्वारा उपलब्ध कराए गए भवन या चौक -चौराहों में जाकर शिक्षक कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ऑफलाइनक्लासेस याने ‘मोहल्ला क्लास’, ‘लाउडस्पीकर क्लास’ या अन्याय नामधारी कक्षाओं का संचालन करेंगे।

कोरोना संक्रमण के उफान को देखते हुए गली- मोहल्लों में जाकर महामारी की दृष्टि से असुरक्षित स्थानों में तुलनात्मक रूप से ‘सुविधा युक्त स्कूल ‘को छोड़कर भिन्न-भिन्न विषयों को अलग-अलग शिक्षक कैसे ‘स्तरीय अध्यापन’ कराते हुए कोर्स पूरा करा पाएंगे, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के पास भी नहीं है। इस प्रकार ऑनलाइन क्लासेस ‘रस्म -अदायगी’और ऑफलाइन -मुहल्ला क्लासेस ‘हल्ला क्लासेज’ बनकर रह गई है, उक्त दोनों ही विधियों से पाठ्यक्रम की पूर्णता कल्पनातीत है, जब पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चों को गुणवत्तयुक्त शिक्षा नहीं मिल पाएगी तो बच्चों के कक्षानुकूल ज्ञान का स्तर प्रभावित होना निश्चित है, और वह भविष्य के लिए घातक ही सिद्ध होगा। ऐसे ही अनेक अनुत्तरित प्रश्न पालकों के मनोमस्तिष्क में गूंज रहा है। सरकार ‘शिक्षा’ के साथ ‘सेहत’का ध्यान रखते हुए प्रचलित कक्षाओं की रिक्तता को भरने “दूरदर्शन” व अन्य “निजी चैनलों”से अनुबंध कर समस्या का सर्वमान्य समाधान ढूंढ सकती है। आजकल किसी का घर टीवी से अछूता नहीं है, हर घर में टीवी उपलब्ध है, अगर इस लोकप्रिय माध्यम को शिक्षा के लिए अपनाया जाए तो प्रोटोकॉल का उल्लंघन किए बिना घर बैठे विद्यार्थी महामारी से भय मुक्त शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे, किसी की ओर से कोई आपत्ति की संभावना भी नगण्य है। कोरोना महामारी के फैलाव को देखते हुए सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए यही अपेक्षा है।

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