उपलब्धि : दलहन तिलहन और धान की 9 प्रजातियों की खेती को मिली मंजूरी ; ले सकेंगे व्यवसायिक, प्रदर्शन और बीज उत्पादन के लिए फसल

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उपलब्धि : दलहन तिलहन और धान की 9 प्रजातियों की खेती को मिली मंजूरी ; ले सकेंगे व्यवसायिक, प्रदर्शन और बीज उत्पादन के लिए फसल

भुवन वर्मा बिलासपुर 14 अगस्त 2020

रायपुर- प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा रिसर्च के बाद तैयार हुई दलहन तिलहन और धान की 9 प्रजातियों को खेती के लिए केंद्रीय बीज उपसमिति ने अनुमोदन की मुहर लगा दी है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के लिए शायद यह पहला मौका है जब 9 कृषि जिंस को एक साथ अनुमोदित किया गया है।

अब प्रदेश ही नहीं देश के किसान भी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित धान, दलहन और तिलहन की नई प्रजाति की फसल ले सकेंगे। रिसर्च के बाद तैयार हुई यह नई प्रजातियां ना केवल ज्यादा उत्पादन देने वाली हैं बल्कि इनमें कई ऐसे गुण पहली बार किसान देख सकेंगे जिसकी मांग वह अरसे से करते रहे हैं। अब जब केंद्रीय बीज उपसमिति ने एक साथ अनुमोदन कर दिया है उसके बाद अब न केवल व्यवसायिक खेती बल्कि प्रदर्शन खेती के साथ बीज उत्पादन के लिए भी इसकी फसल ली जा सकेगी।

अब इनकी कर सकेंगे खेती

29 जुलाई को हुई केंद्रीय बीज उपसमिति की बैठक में छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई छत्तीसगढ़ राइस हाइब्रिड-2, छत्तीसगढ़ राइस प्रोटीन, बस्तर धान-1, छिकपिया, प्रोजेटिन राइस, छत्तीसगढ़ चना-2, छत्तीसगढ़ कुसुम-1, छत्तीसगढ़ मसूर, छत्तीसगढ़ अलसी हाइब्रिड को प्रदर्शन खेती, बीज उत्पादन और व्यावसायिक क्षेत्र के लिए मंजूरी दे दी गई है।

सोयाबीन 9 राज्यों के लिए

ऑयल परसेंट सामान्य से ज्यादा देने वाली छत्तीसगढ़ सोयाबीन पर केंद्रीय बीज उप समिति का ध्यान विशेष तौर पर रहा। समिति ने बैठक में एक साथ 9 राज्यों में इसकी खेती के लिए मंजूरी दे दी है। इसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, दक्षिणी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ मुख्य हैं। यहां पर यह बता देना जरूरी होगा कि छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने जो नई प्रजाति तैयार की है उस की उत्पादन क्षमता पहले की तुलना में ज्यादा तो है ही साथ ही तेल का प्रतिशत भी सुखद परिणाम देने वाला है।

बनाया कीर्तिमान

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के खाते में पहले ही उपलब्धियों की सूची है लेकिन एक साथ 9 प्रजातियों का अनुमोदन किया जाना पहली बार दर्ज हो रहा है। इसके पहले कभी भी एक साथ इतनी संख्या में अनुमोदन नहीं मिले हैं। नई उपलब्धि ना केवल कृषि वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के लिए गौरव बढ़ाने वाली कहीं जा रही हो पर इसका सबसे बड़ा लाभ देश के उन किसानों को मिलेगा जो नवाचार के जरिए अन्न उत्पादन से जुड़े हुए हैं।

” केंद्रीय बीज उपसमिति की 84वीं बैठक में पहली बार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित दलहन तिलहन और धान की 9 प्रजातियों को अनुमोदित किया जा चुका है। अब इसकी व्यवसायिक खेती तो की ही जा सकेगी साथ ही प्रदर्शन और बीज उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा ” – डॉक्टर ए के सरावगी, प्रोफेसर एंड हेड, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ।

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