आसानी से होगी गोबर में मिलावट की जांच मिट्टी, राख और वुडन डस्ट की पहचान के लिए जारी हुई गाईड लाईन
भुवन वर्मा बिलासपुर 22 जुलाई 2020

योजना के विस्तार के बाद जिले में रोजाना 418 मेट्रिक टन गोबर की होगी खरीदी
बलोदा बाजार- गोबर में मिलावट? जी हां इसमें भी मिलावट की जा सकती है मिट्टी की, राख की या वुडन डस्ट की। यह सब नहीं किया जा सका तो पानी मिलाकर वजन बढ़ाने का काम आसानी से किया जा सकता है लेकिन यह खेल खेलना आसान नहीं होगा क्योंकि पशु चिकित्सा विभाग मुख्यालय ने इस तरह की शिकायतों की जांच और पहचान के तरीके की जानकारियां साझा करते हुए कहा है कि खरीदी करने वाले गोठानो तक जानकारी दें ताकि मानक गुणवत्ता वाला गोबर पहुंच सके।
हरेली त्यौहार के दिन से प्रदेश मैं सरकारी दर पर गौठानों में गोबर की खरीदी शुरू की जा चुकी है। गोधन न्याय योजना के नाम से चालू हुई इस योजना में जिले के लगभग साढे पांच लाख मवेशियो ंके पालक लाभान्वित होंगे। प्रथम चरण में जिले के 87 गोठानों के लिए 83 हजार 621 पशु पालकों से गोबर की खरीदी चालू की जा चुकी है। योजना अपने आप में अनोखी है इसलिए दिलचस्पी क्रेता और विक्रेता दोनों में दिखाई दे रही है लेकिन क्रेता याने पशु पालन विभाग इसमें भी मिलावट की आशंका व्यक्त कर रहा है। राज्य मुख्यालय से गाईड लाईन का यदि गंभीरता से पालन किया जा कर खरीदी की जाए तो इस तरह की आशंका से बचा जा सकेगा। इसलिए जिले की सभी गौठानों को इस तरह की शिकायतों से बचने के लिए मुख्यालय से मिले गाईडलाइन साझा करते हुए निर्देशित किया गया है कि इसका पालन अनिवार्य रूप से किया जाए।

खरीदेंगे आधा गीला- आधा सूखा
पशुपालन विभाग की इस योजना पर कलेक्टर की पूरी नजर होगी। समय-समय पर जांच भी की जाएगी। विभाग के मुताबिक योजना में तय किया गया है कि गोबर अर्ध ठोस प्रकृति का होने पर ही खरीदा जाएगा याने आधा गीला और आधा सूखा होना आवश्यक है। इसमें जांच के तरीके के बाद मिलावट की पहचान के लिए खरीदी करने वालों को बताया गया है कि इस प्रकृति के बाद हाथ में उठाकर देखें । सुझाए गए सलाह के अनुसार अनुमानित वजन की जांच करें। इससे पता चलेगा कि गोबर की गुणवत्ता सही है या नहीं।
पानी मिलाने पर इस तरह जांच
वजन बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की प्रवृत्ति की आशंका के बीच विभाग ने पाया है कि गोबर में पानी मिलाया गया है या नहीं, इसकी जांच के लिए खरीदी केंद्र में जालीदार टोकरी रखी गई है। इसमें निर्धारित समय तक विक्रय के लिए लाया गया गोबर रखा जाएगा। जब पूरा पानी जालियों से रिस कर बाहर निकल जाएगा इसके बाद ही वजन किया जाएगा। विक्रय करने के लिए आने वाले को समझाइश दी जाएगी की भविष्य में यदि इस तरह की हरकत दोबारा की तो योजना के लिए बनाए गए नियम के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी।
मिलावट की ऐसे जांच
गोबर में मिट्टी, राख या वुडन डस्ट की मिलावट की जांच के लिए एक सीधा तरीका उपयोग में लाए जाने का फैसला ना केवल लिया जा चुका है बल्कि इसे नियम भी बना लिया गया है। वह यह है कि अर्ध सूखा याने अर्ध ठोस होने की स्थिति में उलटने- पलटने पर इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। इस तरह की मिलावट मिलने पर विक्रेता को पहले चेतावनी दी जाएगी। फिर भी शिकायत बरकरार रही तो योजना के नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
प्रथम चरण में इतना गोबर
प्रथम चरण में जिले के 87 गौठान के लिए 83 हजार 621 पशु पालकों से गोबर की खरीदी की जाएगी। जिले की कूल मवेशियों की संख्या पर योजना अमल में आ जाने के बाद प्रतिदिन 418 मीट्रिक टन गोबर खरीदा जा सकेगा। खरीदी गई मात्रा 45 दिन बाद की स्थिति में18 हजार 826 मीट्रिक टन रह जाएगी। इसके बाद इसे वर्मी कंपोस्ट टैंक में डाला जाएगा और निर्धारित अवधि के बाद 9413 मेट्रिक टन कंपोस्ट खाद हासिल हो सकेगा। इस तरह जिले में यह योजना आकार लेगी।
” गोबर की मानक गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जाएगी। इसके लिए सभी गौठानों में खरीदी करने वाले अधिकारी को प्रशिक्षित किया गया है। पानी मिलाकर गोबर लाए जाने पर उसे जालीदार टोकरी में निर्धारित समय तक रखे जाने के बाद ही खरीदी जाएगी ” – डॉक्टर सी के पांडे, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं, बलोदा बाजार।
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