स्मृतियां शेष – सुलक्षणा पंडित : छत्तीसगढ़ की बेटी उनके परिवार की गहरी जड़ें हमारे प्रदेश में मौजूद हैं आज भी

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रायपुर । प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और मधुर स्वर की धनी गायिका सुलक्षणा पंडित का गत निधन हो गया है। बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि सुलक्षणा पंडित का जन्म 12 जुलाई 1954 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हुआ था। उनके परिवार की गहरी जड़ें आज भी हमारे प्रदेश में मौजूद हैं। मेरे मित्र और प्रसिद्ध बॉडीबिल्डर सतीश पंडित की वे सगी बुआ थीं।

संगीत का यह परिवार पीढ़ियों से राज दरबार से जुड़ा रहा। बताते हैं कि रायगढ़ के राजा चक्रधर सिंह के दरबार में पंडित बद्री प्रसाद दरबारी गायक थे। उनके साले पंडित प्रताप नारायण (जो सुलक्षणा जी के पिता थे) राजस्थान में रहते थे, वहीं उनकी माता कमला देवी भी संगीत में पारंगत थीं। सुलक्षणा के माता पिता भी बाद में पंडित बद्री प्रसाद के कहने पर रायगढ़ आ गए और राजदरबार में संगीत सेवा में संलग्न हो गए। यहीं सुलक्षणा, विजेता, माया (मुन्नी), मंदीर, जतीन और ललित पंडित का जन्म हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी रायगढ़ में ही हुई। बाद में उस्ताद पंडित जसराज की सलाह पर परिवार मुंबई चला गया, जहां से इस संगीत-वंश की पहचान देश-भर में फैली।आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सारा पंडित परिवार जिसमें जसराज, संपतलाल, सुधीर, भोजराज, ऐश्वर्या, रेश्मा आज भी संगीत साधना में निरंतर रत है। यह परिवार वास्तव में संगीत सेवा का घराना है।
एक याद, जो मन में ताज़ा…
सन् 1981 में, फिल्म अपनापन की आपार सफलता के बाद, जब सुलक्षणा पंडित रायपुर में कार्यक्रम देने आई थीं, मंच पर उन्होंने स्नेह से कहा- “मैं छत्तीसगढ़ की बेटी हूँ। मेरा परिवार यहीं रहता है।”
कार्यक्रम के बाद वे अपने परिजनों से मिलने भी गई थीं। उस समय सुभाष स्टेडियम में उनका भव्य कार्यक्रम हुआ था। उन दिनों किसी के पास कैमरा होना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। मेरे मित्र दाँतों के डॉक्टर डॉ. आदिल के पास एक छोटा वन टेन mm का कैमरा था। कार्यक्रम के दिन मैं अपने मित्र आनंद दीक्षित, अज़ीमुद्दीन सिद्दीकी और लल्लू गुप्ता के साथ स्टेडियम की सबसे ऊँची गैलरी और अंतिम पंक्ति में बैठा था। लेकिन जैसे ही कैमरा हाथ में आया, मेरे भीतर का फोटोग्राफर जाग गया। तब मैं फोटोग्राफी जानता भी नहीं था। मैं गैलरी से कूदता-फांदता सीधे मंच के पास पहुँच गया। उस समय कैमरा देखकर लोग मानो अपने आप रास्ता दे देते थे। किसी ने रोकने की हिम्मत ही नहीं की। और फिर मैंने सुलक्षणा पंडित की गाते हुए कई बेहतरीन तस्वीरें खींच लीं। उन तस्वीरों में उनके चेहरे की मुस्कान, सुरों की चमक और मंच की रोशनी सब आज भी जैसे ज्यों-का-त्यों सहेजे हुए हैं। वह तस्वीरें आज भी मेरे पास कहीं सुरक्षित हैं, मेरे जीवन की अनमोल यादों में से एक।
सुलक्षणा पंडित का जाना सिर्फ एक कलाकार का जाना नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक स्मृतियों का एक कोमल अध्याय बंद होना है। उनकी आत्मा को शांति मिले। हम अपनी इस बेटी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
शत् शत् नमन ।
साभार: गोकुल सोनी रायपुर

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