“वंदे मातरम्” की 150 वीं वर्षगांठ पर जिले में होंगे वर्षभर विविध कार्यक्रम : चार चरणों में होंगे आयोजन, कलेक्टर ने तैयारियों के दिए निर्देश
बिलासपुर, 6 नवम्बर, 2025/भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के निर्देशानुसार “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग द्वारा वर्षभर राज्यभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर जिले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने संबंधित विभागों को इस संबंध में तैयारियों के निर्देश दिए हैं। आयोजन का उद्देश्य राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के माध्यम से देशभक्ति, एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को जन-जन तक पहुँचाना है।
संस्कृति विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यह आयोजन चार चरणों में संपन्न होगा। पहला चरण: 7 से 14 नवम्बर 2025,दूसरा चरण: 19 से 26 जनवरी 2026, तीसरा चरण: 8 से 15 अगस्त 2026, चौथा चरण: 1 से 7 नवम्बर 2026 तक होगा। पहले चरण का शुभारंभ 7 नवम्बर 2025 को किया जाएगा, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सभी जिलों में प्रसारित किया जाएगा और सामूहिक रूप से “वंदे मातरम्” का गायन किया जाएगा। इस अवसर पर जिलेभर में सांस्कृतिक और जनभागीदारी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। जिले के साथ ही जनपद स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर भी इस अवसर पर विभिन्न आयोजनों के निर्देश दिए गए हैं। इन आयोजनों के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों में देशभक्ति गीत, नृत्य, निबंध, वाद-विवाद, चित्रकला, पोस्टर निर्माण, कवि सम्मेलन तथा लघु फिल्म प्रदर्शन जैसे विविध कार्यक्रम होंगे। प्रमुख गायकों और स्थानीय कलाकारों द्वारा “वंदे मातरम्” के विभिन्न स्वरूपों की प्रस्तुति दी जाएगी। नागरिकों एवं विद्यार्थियों को इस आयोजन में भाग लेने के लिए vandemataram150.in पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा दी गई है। इस पोर्टल पर गीतों और संगीत की रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि सामूहिक गायन में एकरूपता बनी रहे।संस्कृति विभाग के उप सचिव श्री रोहित यादव द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि “वंदे मातरम् के 150 वर्ष” का यह महोत्सव नागरिकों में राष्ट्रीय चेतना की भावना को और अधिक सशक्त करेगा।
उल्लेखनीय है कि कवि और उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने बंगाल के कांतल पाडा नाम के गांव में 7 नवंबर 1876 को वंदे मातरम गीत की रचना की थी। पहली बार 1896 में ‘कलकत्ता अधिवेशन’ में वंदे मातरम गाया गया था और 24 जनवरी 1950 को, भारत की संविधान सभा ने वंदे मातरम् गीत को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनायाया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत ने बड़ी भूमिका निभाई इस गीत ने लोगों को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने का काम किया था।अंग्रेजों के लिए ये गीत विरोध का स्वर था।
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