शाश्वत यौगिक एवं प्राकृतिक खेती: नए युग के लिए नया कदम
एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न – कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर की पहल
बिलासपुर, 8 अक्टूबर 2025 — बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर की पहल पर आज “शाश्वत यौगिक एवं प्राकृतिक खेती – नए युग के लिए नया कदम” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, लोरमी-मुंगेली, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर, कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर एवं प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में राजयोगी राजू भाई जी, उपाध्यक्ष, एवं राजयोगी सुमंत भाई जी, समन्वयक, कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू (राजस्थान) उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. एन.के. चौरे, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. एस.एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, लोरमी-मुंगेली; डॉ. एस.के. वर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर; तथा डॉ. गीत शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया।
स्वागत उद्बोधन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर की मुख्य संचालिका ब्र.कु. राखी बहन ने ब्रह्माकुमारी संस्था की गतिविधियों एवं समाज सेवा में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्मिकता और कृषि का समन्वय एक सशक्त और शाश्वत भविष्य की नींव रख सकता है। उन्होंने बताया कि “यौगिक खेती” के माध्यम से न केवल भूमि की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि किसान का मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य भी सुदृढ़ होता है।
डॉ. एस.एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, लोरमी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से भूमि की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इस परिस्थिति में शाश्वत एवं यौगिक खेती किसानों को एक वैकल्पिक, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल मार्ग प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक सोच के समन्वय से कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई जा सकती है।
डॉ. एन.के. चौरे, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कृषि का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब हम मिट्टी, जल और पर्यावरण के साथ समरसता में खेती करेंगे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यौगिक खेती एक वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी पद्धति है जो पौधों की जैविक वृद्धि को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा प्रस्तुत इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह विचार किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला है।
मुख्य अतिथि राजयोगी राजू भाई जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि खेती केवल उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। यदि किसान अपनी खेती को ईश्वरीय शक्ति से जोड़ देता है तो उसकी फसल में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने बताया कि माउंट आबू स्थित ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा हजारों किसानों को यौगिक खेती के प्रशिक्षण दिए जा चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की सेहत, फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
राजयोगी सुमंत भाई जी ने “शाश्वत यौगिक खेती” पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि यह पद्धति प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें ध्यान, सकारात्मक सोच, और दिव्य ऊर्जा का उपयोग कर भूमि की जैविक सक्रियता को बढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह केवल खेती की तकनीक नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है, जो किसानों को आत्मनिर्भर और संतुलित जीवन की ओर प्रेरित करती है।
व्याख्यान के पश्चात कृषक, वैज्ञानिक एवं छात्र-छात्राओं के बीच खुली परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने शाश्वत एवं यौगिक खेती से संबंधित अपने अनुभव और प्रश्न साझा किए। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के समाधान के साथ-साथ व्यावहारिक सुझाव भी प्रदान किए।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर ब्र.कु. कांता बहन ने उपस्थित प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, कृषक बंधुओं एवं छात्र-छात्राओं को ध्यान एवं आत्मचिंतन का अनुभव कराया। उन्होंने कहा कि यदि हम मन की शुद्धता और सकारात्मकता को अपनी खेती में उतारें, तो धरती स्वयं हमें अधिक देने में सक्षम हो जाती है।
कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर के सभी वरिष्ठ प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारीगण, छात्र-छात्राएं तथा बिलासपुर जिले के विभिन्न विकासखण्डों से आए हुए कृषक भाई बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कार्यशाला का सफल संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया।कार्यक्रम का समापन शांति पाठ एवं सामूहिक ध्यान सत्र के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने “शाश्वत यौगिक एवं प्राकृतिक खेती” को अपने जीवन एवं कार्य में अपनाने का संकल्प लिया।
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