गांधी सिर्फ एक नाम नहीं, अपने आप में एक पूरी विचारधारा है – डॉ. चौरे

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कृषि महाविद्यालय में मनाई गई गांधी एवं शास्त्री जी की जयंती
राष्ट्रीय सेवा योजना एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर इकाई की पहल

बिलासपुर। आज हम यहां सिर्फ एक व्यक्ति की जयंती मनाने के लिए एकत्र नहीं हुए हैं। हर साल राष्ट्र 2 अक्टूबर को सिर्फ एक शख्सियत को ही याद नहीं करता है। मोहनदास करमचंद गांधी एक शख्सियत से कहीं ज्यादा हैं। गांधी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि अपने आप में एक पूरी विचारधारा हैं। ऐसी विचारधारा जो पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने की ताकत रखती है। उक्त उद्गार डॉ. एन.के. चौरे, अधिष्ठाता, बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर (छ.ग.) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवं स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर छात्र-छात्राओं, प्राध्यापक एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने आगे कहा कि गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के साथ-साथ समाज में अहिंसा, सत्य और समानता का मार्ग दिखाया। समाज के निम्न तबके को सम्मानजनक जीवन जीने का हक दिलाने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। यह दिन हमें गांधीजी के विचारों और उनके संघर्षों को याद करने का अवसर देता है। आज ही के दिन लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्म हुआ था। उनके “जय जवान, जय किसान” के नारे ने राष्ट्र निर्माण को नई दिशा दी। इस अवसर पर हम उनके योगदान को भी नमन करते हैं।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन देते हुए वैज्ञानिक (पादप रोग) एवं एनसीसी प्रभारी डॉ. विनोद कुमार निर्मलकर ने कहा कि गांधी जी का जीवन सादा जीवन-उच्च विचार का प्रेरणादायी उदाहरण है। आज के युवा वर्ग के लिए आवश्यक है कि वे गांधीजी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. गीत शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर ने कहा कि गांधी जी सत्य, अहिंसा और सादगी में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा नहीं, बल्कि शांति और संवाद से संभव है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. एस.के. वर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर ने गांधी जी के स्वदेशी विचारों और लाल बहादुर शास्त्री जी के “जय जवान, जय किसान” नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भी ये विचार अत्यंत प्रासंगिक हैं। किसानों और जवानों का सम्मान ही देश की मजबूती का आधार है।

इसी क्रम में डॉ. एस.एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, लोरमी-मुंगेली ने कहा कि जब 156 वर्ष पूर्व पोरबंदर में गांधी जी का जन्म हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि वह बालक एक दिन महात्मा कहलाएगा। पूरी दुनिया आज भी उन्हें बापू कहकर सम्मान देती है। बापू की सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके आदर्शों को आत्मसात करें और अपने जीवन में लागू करें।

इस अवसर पर बालक एवं बालिका स्वयंसेवकों ने श्रमदान कर छात्रावासों एवं खेल परिसर की साफ-सफाई की। स्वयंसेवकों ने रैली निकालकर स्वच्छता का संदेश दिया तथा स्वच्छता की शपथ भी ली। छात्र-छात्राओं ने भाषण प्रस्तुत कर गांधी एवं शास्त्री जी के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन वैज्ञानिक (वानिकी) एवं एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी अजीत विलियम्स ने किया। कार्यक्रम की सफलता में प्रमेंद्र कुमार केसरी, अजय टेगर, अर्चना केरकेट्टा, गजानंद पटेल, अवनीत कुमार, सूरज दास मानिकपुरी, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के समस्त स्वयंसेवकों एवं महाविद्यालय परिवार के सभी कर्मचारियों का सहयोग सराहनीय रहा।

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