छत्तीसगढ़ सिनेमा के 60 वर्षों के इतिहास में पहली बार दर्ज हुआ विश्व रिकॉर्ड

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बलौदाबाज़ार।छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष और छत्तीसगढ़ी सिनेमा अपने 60 वर्ष पूरे कर चुका है। 1965 में बनी पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘कहि देबे संदेश’ से शुरू हुई इस यात्रा में कई उल्लेखनीय फ़िल्में बनीं, मगर पहली बार किसी छत्तीसगढ़ी डॉक्यूमेंट्री ने विश्व रिकॉर्ड हासिल कर इतिहास रच दिया है।

जिला ऑडिटोरियम बलौदाबाज़ार में आयोजित भव्य कार्यक्रम में डॉक्यूमेंट्री ‘छत्तीसगढ़ के भीम – चिंताराम’ को वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक ऑफ़ इंडिया से मिले सम्मान का प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। निर्देशक एस. अंशु धुरंधर को यह प्रमाणपत्र छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा ने सौंपा। यह रिकॉर्ड “Highest Number of Individual Interviews Featured in a Biographical Documentary” श्रेणी में दर्ज हुआ है। इस फ़िल्म में 245 लोगों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं, जो जीवनी-आधारित किसी भी फ़िल्म के लिए अब तक का सबसे बड़ा आँकड़ा है।

फ़िल्म में बलौदाबाज़ार ज़िले के ग्राम बुड़गहन (करमदा) के समाजसेवी चिंताराम टिकरिहा (1880–1982) के जीवन को विस्तार से दर्शाया गया है। लगभग 900 एकड़ भूमि के स्वामी होने के बावजूद उन्होंने समाज सेवा को अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने विद्यालय और सड़क निर्माण के लिए भूमि दान दी, 1974 में तुरतुरिया मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, क्षेत्र में नहर और बिजली व्यवस्था शुरू कराई तथा असंख्य लोगों को रोज़गार और आर्थिक सहयोग दिया। गरीबों के विवाह और दशगात्र जैसे सामाजिक आयोजनों का संपूर्ण व्यय उठाकर उन्होंने सेवा और परोपकार की अनूठी मिसाल कायम की।

उनकी असाधारण शारीरिक शक्ति और दानशीलता के कारण ही उन्हें “छत्तीसगढ़ के भीम” कहा जाता था। निर्देशक एस. अंशु धुरंधर ने नौ वर्षों तक शोध कर उनके भूले-बिसरे इतिहास को प्रमाणिक रूप में प्रस्तुत किया। फ़िल्म को इससे पहले रायपुर आर्ट फ़िल्म फ़ेस्टिवल में विशेष स्क्रीनिंग मिल चुकी है और अब विश्व रिकॉर्ड दर्ज होने के बाद यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ी फ़िल्म जगत के लिए एक मील का पत्थर बन गई है।

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