श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेकाभिषेक महायज्ञ का श्रावणी पूर्णिमा पर पूर्णाहुति

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बिलासपुर।सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा निरंतर किया जा रहा था।11 जुलाई 2025 से आरंभ सावन के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा हैं। यह आयोजन 9 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चला। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है। श्रावणी पूर्णिमा शनिवार को महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश महाराज ने बताया कि श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को श्रावणी पूर्णिमा कहा जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी मानी जाती है। इस दिन रक्षाबंधन, यज्ञोपवीत संस्कार और ब्राह्मणों के उपाकर्म जैसे अनेक धार्मिक कार्य होते हैं।

श्रावणी उपाकर्म के 3 पक्ष हैं- प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय।

प्रायश्चित्त संकल्प : इसमें हेमाद्रि स्नान संकल्प। गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गोदुग्ध, दही, घृत, गोबर और गोमूत्र तथा पवित्र कुशा से स्नानकर वर्षभर में जाने-अनजाने में हुए पापकर्मों का प्रायश्चित्त कर जीवन को सकारात्मकता दिशा देते हैं। स्नान के बाद ऋषिपूजन, सूर्योपस्थान एवं यज्ञोपवीत पूजन करने के विधान है।

संस्कार : उपरोक्त कार्य के बाद नवीन यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करना अर्थात आत्म संयम का संस्कार होना माना जाता है। इस संस्कार से व्यक्ति का दूसरा जन्म हुआ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति आत्म संयमी है, वही संस्कार से दूसरा जन्म पाता है और द्विज कहलाता है।

स्वाध्याय : उपाकर्म का तीसरा पक्ष स्वाध्याय का है। इसकी शुरुआत सावित्री, ब्रह्मा, श्रद्धा, मेधा, प्रज्ञा, स्मृति, सदसस्पति, अनुमति, छंद और ऋषि को घृत की आहुति से होती है। जौ के आटे में दही मिलाकर ऋग्वेद के मंत्रों से आहुतियां दी जाती हैं। इस यज्ञ के बाद वेद-वेदांग का अध्ययन आरंभ होता है।

श्रावणी उपाकर्म में पाप-निवारण हेतु पातकों, उपपातकों और महापातकों से बचने, परद्रव्य अपहरण न करने, परनिंदा न करने, आहार-विहार का ध्यान रखने, हिंसा न करने, इंद्रियों का संयम करने एवं सदाचरण करने की प्रतिज्ञा ली जाती है।

रक्षाबंधन की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर होगा, उदयातिथि के अनुसार, रक्षाबंधन इस बार 9 अगस्त 2025, शनिवार के दिन ही मनाया जाएगा।

प्रातः 9:00 बजे से 10:30 बजे तक राहुकाल है इस समय पर सभी कार्य निषेध होते हैं अतः राहुकाल के पश्चात रक्षाबंधन बांधना शुभ होगा रक्षाबंधन अभिजीत मुहूर्त मध्यान्ह 11:36 से 12:36 में बांधना सर्वश्रेष्ठ है।

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