बेल पत्र के पूजन से तीर्थस्थल समान मिलता है फल पीठाधीश्वर आचार्य डॉक्टर दिनेश महाराज

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बिलासपुर।श्री पीतांबरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में चल रहे सावन महोत्सव श्री रुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ के दौरान पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अलग अलग तरह की पूजा की जाती है। कई प्रकार के पुष्प, पत्तों आदि का अर्पण शिव शंभू पर किया जाता है। बेलपत्र से शिव का पूजन करने पर शिव की आसीम अनुकंपा मिलती है। मान्यता है कि, तीनों लोकों में जितने पुण्य तीर्थ हैं वे सारे बेल पत्र के मूल भाग में निवास करते हैं। जो लोग बेल पत्र के साथ शिव की आराधना करते हैं उन्हें शिव की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है। साथ ही जो मनुष्य बेलपत्र के जड़ के जल से अपने मस्तिष्क को सींचता है वह संपूर्ण तीर्थों में स्नान के बराबर फल पाता है।बेल पत्र धरती पर पवित्र भी माना जाता है।

कहा जाता है कि महादेव बेलपत्र से हुई पूजा-अनुष्ठान से पूर्णतया संतुष्ट हो जाते हैं। जो जातक गंध, पुष्प और बिल्व पत्र के साथ शिव की पूजा करता है वह शिवलोक को प्राप्त करता है।जगतलोक में भी उसकी सुरक्षा, संतति बढ़ती है। बेल पत्र की जड़ के पास दीपक जलाकर रखने से श्रद्धालु सर्वसुख से पूर्ण रहते हैं। बेल पत्र की जड़ को समीप रखकर शिवभक्तों को भोजन कराने से करोड़ों पुण्य के समान पुण्य प्राप्ति होती है। बेलपत्र की पूजा करने से कभी दरिद्रता नहीं रहती।

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