कश्मीर पर आतंकी हमला – एक चोट हमारी अस्मिता पर

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दुर्ग।कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत वादियों में स्थित बैरसान में जो 22 अप्रैल को जो कायरता पूर्ण घटना हुई उसने पूरे भारतीयों के दिलों को आंदोलित और उद्वेलित कर दिया है ।

देश का हर हिंदू व्यक्ति अपनी अपनी तरह से अपना गुस्सा  अलग-अलग मंचों पर दिख रहा है मुझे लगता है कोई भी हिंदू भारतीय इससे अछूता नहीं है ।

भारत सरकार किसी भी आतंकी हमले की घटना को गंभीरता से हि लेती है लेकिन इस घटना को उन्होंने अति गंभीरता से लिया ।

गृह मंत्री अमित शाह तुरंत घाटी के लिए रवाना हो गए जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सऊदी अरब के दौरे को संक्षिप्त कर तुरंत भारत वापस आ गए ।

कल यानी 23 अप्रैल को सीसीएस सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई और उन्होंने पाकिस्तान के ऊपर पांच प्रतिबंध लगा दिए ।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबंध है सिंधु जल समझौते को स्थगित करना इस जल समझौता के स्थगन के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पढ़ने की पूरी संभावना है ।

सिंधु जल समझौते के अनुसार भारत रावी , व्यास और सतलुज नदी के पानी का उपयोग करेगा और पाकिस्तान सिंधु चेनाब और झेलम नदियों का उपयोग करेगा इसे विश्व का सबसे उदार जल समझौता भी कहा जाता है क्योंकि जल समझौते में भारत केवल 33 मिलियन एकड़ फीट पानी का उपयोग करेगा जबकि पाकिस्तान 125 मिलियन एकड़ फीट पानी का उपयोग करेगा ।

अगर भारत इस समझौते को स्थगित करता है तो भारत के पास पानी प्रचुर मात्रा में हो जाएगा और इससे बनने वाली बिजली उत्तर भारत की बिजली की समस्या का एक स्थाई समाधान हो सकती है लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए भारत को उचित अधोसंरचना विकसित करनी पड़ेगी ।

14 अगस्त 1947 को जब धर्म के आधार पर भारत का आधा अधूरा बंटवारा हुआ था  उसकी कीमत हम आज भी चुका रहे हैं मैं आधा अधूरा इसलिए कह रहा हूं कि जब धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ था तो अंतिम हिंदू पाकिस्तान से भारत वापस आ जाना चाहिए था और अंतिम मुस्लिम भारत से पाकिस्तान चला जाना चाहिए था
उन्हें किसी भी तरह का कोई विकल्प नहीं किया जाना चाहिए था ।

उस समय का हमारा तत्कालीन नेतृत्व कभी भी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाया  उस समय विश्व में दो तरह की अर्थव्यवस्था चलती थी पूंजीवादी और साम्यवादी लेकिन हमने उन दोनों को न चुनकर मिश्रित अर्थव्यवस्था को चुना ।

उस समय विश्व में दो गुट थे एक अमेरिका का और दूसरा रूस का , सारे देश किसी ना किसी गुट में शामिल थे लेकिन भारत ने इन दोनों गुटों में शामिल न होकर मिश्र के नासिर और युगोस्लाविया के टीटो के साथ मिलकर एक नया गुटनिरपेक्ष समूह बनाया जिसके कारण भारत की प्रगति जितनी तेजी से हो सकती थी नहीं हुई और आज हम अभी भी विकासशील देश की श्रेणी में खड़े हैं ।

जब देश के बंटवारे की जब बात आई तो स्पष्ट बंटवारा करना था सारे हिंदू एक तरफ सारे मुस्लिम एक तरफ लेकिन अपने निहित स्वार्थ के कारण इन्होंने यह बंटवारा भी आधा अधूरा किया जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं ।

1947 और 1962 में देश का एक  बहुत बड़ा भूभाग खोने के बाद भी आज हमें हमारे ही देश में इसलिए मारा जा रहा है कि हम हिंदू है ।

बहुत सोचनीय और चिंतनीय विषय है कि  हिंदुस्तान में ही आपको  आपकी पेंट खोलकर आपके हिंदू होने की पुष्टि करके मारा जा रहा है ।

हिंदू का सहिष्णु होना क्या उसकी कायरता है , अब हमें भी प्रतिक्रिया वादी बनना पड़ेगा यदि 100 करोड़ हिंदुओं में से केवल कुछ हिंदू हि प्रतिक्रियावादी बन जाए तो ऐसे किसी भी व्यक्ति या समूह को  किसी भी तरह का आतंकी हमले करने की हिम्मत नहीं होगी ।

एक बात और रेखांकित करना चाहता हूं की आतंकियों ने वहां पर किसी की भी जाति नहीं पूछी , केवल धर्म पूछा अब यह जात पात और जातिगत जनगणना की बात करने वाले वाले नेताओं को भी समझ में आ जाना चाहिए कि धर्म बड़ा है जाति नाही ।

इसी तरह बटते रहेंगे तो कटते रहेंगे

आज  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी से स्पष्ट रूप से कहा कि अब आतंकियों के आकाओं की कमर तोड़ने का वक्त आ गया है , जिस तरह की प्रतिक्रिया माननीय प्रधानमंत्री ,माननीय गृह मंत्री और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी की दिख रही है उससे तो ऐसा लगता है कि भारत जल्द ही कुछ बहुत बड़ा करने वाला है ।

यह जघन्य हत्याकांड जो कि भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है  भारतीय अस्मिता को शर्मसार करने वाला है इसको आधार बनाकर भारत अपने कई लंबित निर्णय को पूरा कर सकता है ।

मुझे ऐसा प्रतीत होता है की बॉर्डर के उस पार बलूचिस्तान में जितने भी आतंकी प्रशिक्षण शिविर और आतंकी लॉन्च पैड है भारत उन सब को नष्ट करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है और इस बार जब यह आतंकी शिविर और लॉन्च पैड जब  नष्ट होंगे तो पूरी तरह से नष्ट होंगे ना कि कुछ या आधे अधूरे ।

वर्तमान सरकार के कई बड़े नेता भी अलग-अलग मौके पर यह कह चुकी है कि वे पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर (POK) को फिर से लेकर रहेंगे यह एक अवसर है जब भारत यह निर्णय कर सकता है और इसके लिए जो भी जरूरी कदम है उसे उठा सकता है ।

अभी विश्व के कुछ देश युद्ध में शामिल है और उनको रोकने के लिए विश्व की कई संस्थाएं जैसे UNO और अन्य देश , इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रहे हैं इसलिए अगर भारत सैन्य कार्रवाई करता है तो विश्व का कोई भी देश भारत को कुछ भी नहीं कह पाएगा ।

भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और उसका हमेशा से यह स्पष्ट मत रहा है की पहली गोली वह नहीं चलाएगा लेकिन अब भारत के रुख में भी परिवर्तन हो रहा है इस तरह की हरकत का जवाब भारत ने मजबूती के साथ देना सीख लिया है और पूरा देश वर्तमान सरकार से यही अपेक्षा करता है कि भारत इन निर्दोष नागरिकों की मौत का बदला मजबूती से ले एक  ऐसा उदाहरण पेश करें कि आने वाले समय में कोई भी आतंकी किसी भी घटना को अंजाम देने से पहले 100 बार सोचे ।

भारत आतंकियों की सप्लाई चैन को भी काटने की कोशिश कर रहा है उन्हें मिलने वाली सारी मदद चाहे वह आर्थिक हो या अन्य कोई और उसे रोकने का भी पूरा प्रयास कर रहा है अगर भारत ऐसा करने में सफल होता है तो आतंकियों को खुद सामने आना पड़ेगा और वे कुछ नहीं कर पाएंगे ।

पहलगाम की इस आतंकी घटना के बाद भारत को विश्व के अन्य देशों से जोअंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला है वह अभूतपूर्व है ।

आज शाम विपक्षी दलों द्वारा भी सरकार को समर्थन दिया गया है और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए जाने वाले हर कदम पर विपक्षी दलों का पूरा समर्थन है ।

अब यह सरकार की जिम्मेदारी है क्योंकि पूरा भारत उद्वेलित है , आंदोलित है अब यह सरकार की साख का सवाल है कि वह किस तरह की कार्यवाही करती है अगर वह कड़ी कार्यवाही करने में विफल रहती है तो देश का हर नागरिक अपने आप को ठगा सा महसूस करेगा और अगर यह कड़ी कार्रवाई कर पाती है तो देश की सारी जनता वर्तमान सरकार के साथ खड़ी नजर आएगी ।

ऐसी स्थिति में कुछ राज नेताओं के बयानों से देश की जनता को काफी दुख पहुंचा है हैं एक नेता ने कहा कि हमला इसलिए हुआ कि मोदी जी मुसलमानों को दबा रहे हैं इसी तरह से कोई और नेताओं ने भी इसी तरह के बयान दिए और वे हमारे अपने देश की सरकार को ही कटघरे में खड़े करने का प्रयास करते रहे  ।

यह आतंकी हमला केंद्र सरकार के उसे कदम को सही साबित करता है कि अभी कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का समय नहीं हुआ है जब तक कश्मीर में हिंसा और हिंसा की आशंका खत्म ना हो जाए तब तक कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं किया जा सकता ।

साथियों यह हमला केवल कुछ जिंदगियों पर नहीं वरन राष्ट्र की अस्मिता पर भी है हम इस हमले को केवल हमारी प्रतिक्रिया को सोशल मीडिया तक सीमित न रखकर ,  हमले में  हमसे बिछड़ी हुई जिंदगियां का दुख मना कर हि सीमित न करे वरन इसे   राष्ट्र चेतना का एक बिंदु बनाएं तथा यहां से हम तय करें कि हमें आतंक के साथ जीना है या शांति के साथ ।

हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में

सुरेश कोठारी
दुर्ग छत्तीसगढ़
94252 46039

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9 thoughts on "कश्मीर पर आतंकी हमला – एक चोट हमारी अस्मिता पर"

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