प्रशासनिक आतंक में जकड़ा हमर छत्तीसगढ़ : अधिकारियों की क्या आंखें फूट गई हैं…?..जो उन्हें जोखिम भरी और खतरनाक छत के नीचे रहने वाला 8 सदस्यों का परिवार नहीं दिखता..?
गरीबों और बेघरों के लिए आवास का इंतजाम करने के लिए बनाई योजनाएं क्या सिर्फ घूसखोर अधिकारियों का पेट भरने के लिए हैं..?
1983 में बनी यह खतरनाक छत वाली झोपड़ी पता नहीं कब 8 सदस्यीय परिवार पर मौत बनकर टूट पड़े
भुवन वर्मा बिलासपुर 30 जून 2020
जिम्मेदार अधिकारियों को बताना चाहिए कि वे इन्हें आवास देंगे या छत धसकने पर मौत का मुआवजा..?
(हमर-देस+हमर-प्रदेस)
(रज्जू कोसले द्वारा)
बिलासपुर। साथ में दी गई घास फूस की झोपड़ी की तस्वीर पर जरा गौर करिए..? यह मुंगेली जिले के लोरमी क्षेत्र के लगरा गांव किए झोपड़ी का है। मिट्टी की दरो-दीवार और घास के साथ मिट्टी ही मिलाकर बनाई गई छत वाली यह झोपड़ी बीते 37 साल से एक बदनसीब परिवार का आशियाना है। आश्चर्य की बात यह है कि 1983 से इस जर्जर झोपड़ी में रहने वाले 8 सदस्यों वाले परिवार की किस्मत इतनी ऊंची है कि 37 सालों में भी यह झोपड़ी बारिश बादल के बावजूद उन पर गिरी नहीं। और क्योंकि यह हादसा नहीं हुआ है इसलिए 8 सदस्यों वाला कपिल चंद्राकर का यह परिवार आज भी जीवित है…. जीवित क्या है…अपनी जिंदगी की गाड़ी को घसीट रहा है। लोरमी क्षेत्र के लगरा गांव में रहने वाले कपिल चंद्राकर पर ना तो इंदिरा आवास और ना ही प्रधानमंत्री आवास के दलालों की आज तक नजर पड़ी।
सरकार और सरकारी अधिकारियों की दया दृष्टि से भी यह बदनसीब परिवार अब तक महरूम ही रहा। केवल इंदिरा आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना की ही बात नहीं इस परिवार को (जैसा कि बताया जा रहा है) सरकार की किसी भी योजना का अब तक कोई लाभ नहीं मिल पाया है। और उनके जर्जर झोपड़े की हालत तो आप देख ही रहे होंगे..! पता नहीं किस दिन मिट्टी का यह झोपड़ा उस परिवार के ऊपर ही ढह जाए। जो इसके नीचे रह कर अपनी जिंदगी किसी तरह बसर कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसी कोई दुर्घटना या कहें भीषण जानलेवा दुर्घटना होने से पहले अधिकारियों की संवेदना जाग जाएगी। और वे इस परिवार की सुध बुध लेकर, उन्हें सर छुपाने का आसरा सहारा प्रदान करने की दया-मया करेंगे..जिसमें उनकी जांन..जाने का खतरा ना हो।
(शशि कोन्हेर)