राजश्री फैक्ट्री: पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का स्थानीय निवासियों ने आरोप, कौन है जिम्मेदार?

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बिलासपुर/  बिलासपुर शहर में लंबे समय से संचालित राजश्री फैक्ट्री अब सवालों के घेरे में आ गई है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों का आरोप है कि फैक्ट्री द्वारा पर्यावरण संरक्षण के नियमों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। इसके बावजूद, नगर निगम और पर्यावरण विभाग ने फैक्ट्री की गतिविधियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

NGT के नियमों का उल्लंघन
राजश्री फैक्ट्री द्वारा पर्यावरण मानकों का पालन न करने की बात बार-बार उठाई जा रही है। आरोप है कि फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं और रासायनिक कचरे से आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। इससे इलाके के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। बावजूद इसके, प्रशासन और पर्यावरण विभाग ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया।

पार्षद की भी भूमिका संदिग्ध?लोगों की परेशानियों से नहीं है सरोकार

बता दे की राजश्री फैक्ट्री के आसपास रह वासियों ने बताया कि पार्षद रवि साहू भी हमारी परेशानियों की ओर ध्यान नहीं देता है उसे अपने जमीन दलाली और अवैध लैट्रिन से फुर्सत नहीं हमारे परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.

बिना मूल्यांकन के निर्माण कार्य पर भी सवाल?
सबसे बड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब फैक्ट्री प्रबंधन ने बिना किसी पर्यावरणीय मूल्यांकन के फैक्ट्री के सामने ही एक नई बिल्डिंग का निर्माण शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम और पर्यावरण विभाग ने इस पर भी आंखें मूंद लीं। ऐसा लगता है कि संबंधित विभागों ने बिना जांच-पड़ताल के निर्माण की अनुमति दे दी।

स्थानीय निवासियों की नाराजगी
फैक्ट्री के आसपास रहने वाले लोग इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं और गंदगी के कारण सांस लेने में तकलीफ और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद, प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

प्रशासन की लापरवाही
नगर निगम और पर्यावरण विभाग पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने फैक्ट्री को संचालित करने और नई बिल्डिंग बनाने की अनुमति कैसे दी। लोगों का मानना है कि विभागों की लापरवाही और उदासीनता के कारण ही फैक्ट्री प्रबंधन के हौसले बुलंद हैं। क्योंकि पर्यावरण विभाग के अधिकारी को जब हमारी टीम द्वारा संपर्क किया गया तो उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं यह भी एक बड़ा सवाल?

कौन है जिम्मेदार?
पर्यावरण विभाग और नगर निगम की निष्क्रियता ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। सवाल यह उठता है कि पर्यावरणीय सुरक्षा के नियमों का पालन करवाने की जिम्मेदारी किसकी है? और अगर नियम तोड़े जा रहे हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?

स्थानीय लोगों ने पर्यावरण और जिला प्रशासन से न्याय की मांग की है।
स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि फैक्ट्री और निर्माण कार्य की जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की भी अपील की है।

राजश्री फैक्ट्री से जुड़े विवाद ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों के जीवन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाना बेहद जरूरी है। अगर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।

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