पोहा में रिकॉर्ड 1000 रुपए की गिरावट
भुवन वर्मा बिलासपुर 19 जून 2020
बिहार के बाबा बैजनाथ धाम से मांग नहीं, रथ यात्रा पर बंदिश के बाद उड़ीसा शांत और प्रथम ग्राहक महाराष्ट्र के बाजारों में सन्नाटा
भाटापारा- पोहा उद्योग को तगड़ा झटका। जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद उड़ीसा से छत्तीसगढ़ के पोहा की मांग पर ब्रेक लग चुका है। इसके पहले बिहार की मांग खत्म हो चुकी है क्योंकि बाबा बैजनाथ धाम के लिए भक्तों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। लिहाजा बिहार से भी पोहा की डिमांड नहीं है। प्रथम ग्राहक महाराष्ट्र ने भी पिछले 2 माह से आर्डर देना बंद कर रखा है। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है जिसे इस साल का सबसे कम भाव माना जा रहा है।
पोहा 28सौ रुपए क्विंटल। यह चालू जून माह का भाव है। जबकि बीते साल तक यह माह पोहा के लिए छलांग लगाने वाला महीना माना जाता था क्योंकि इसी माह से बिहार के बैजनाथ धाम की तैयारियों के बीच मांग निकला करती थी। अप्रैल में उड़ीसा से मांग निकलती थी क्योंकि जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा के लिए बाजार तैयार हो रहा होता था। इस बार हालात बदले हुए हैं। साल में सीजन के इन 2 माह दो पर्व पर कोरोना ने जो कहर बरपाया है उसके बाद दोनों आयोजनों पर ब्रेक लग चुका है। छत्तीसगढ़ के पोहा के लिए प्रथम ग्राहक महाराष्ट्र पहले से ही पोहा की खरीदी बंद कर चुका है क्योंकि उद्योग धंधे बंद हैं और बाजार बेहद ठंडा जा रहा है।
मार्च में बिहार, अप्रैल में उड़ीसा
पोहा उद्योग के लिए जनवरी का महीना बेहद गहमागहमी भरा होता रहा है। महामाया धान की खरीदी पर अच्छी खासी रकम लगाने के बाद इन यूनिटों में जो पोहा का उत्पादन होता है उसकी खरीदी मार्च में बिहार से सबसे पहले उठती है क्योंकि सावन में बाबा बैजनाथ धाम यात्रा के लिए बाजार तैयार हो रहा होता था। अग्रिम सौदे के बीच अप्रैल में उड़ीसा से मांग का निकलना चालू हो जाता है जहां जगन्नाथ पुरी की यात्रा के लिए देश विदेश से भक्त और पर्यटक जुटते रहे हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर रोक लगा दी है तो रेल सेवाएं बंद होने से बैजनाथ धाम के लिए पहुंच भी कठिन हो चुकी है। लिहाजा यह दोनों बड़े खरीदार छत्तीसगढ़ के हाथ से निकल चुके हैं।
प्रथम खरीदार के घर सन्नाटा
छत्तीसगढ़ से उत्पादित पोहा का पहला खरीददार महाराष्ट्र है जहां कुल उत्पादन का 80 फ़ीसदी हिस्सा भेजा जाता है। कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से आने के बाद इस राज्य में सबसे पहले लॉकडाउन लगा। उद्योगों में तेजी से तालो का लगना चालू हो गया। रही सही कसर प्रवासी मजदूरों की वापसी ने पूरी कर दी जो छत्तीसगढ़ पोहा के सबसे बड़े उपभोक्ता रहे हैं। इनकी वापसी के बाद महाराष्ट्र से पोहा की मांग का निकलना बंद हो चुका है तो घरेलू मांग में भी काफी गिरावट आ रही है। यह निरंतर नीचे जा रहा है। गिरावट का यह क्रम कब तक जारी रहेगा जैसे सवाल पूछना बेकार होगा क्योंकि बाजार में ताले लगे हुए हैं तो घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
धान और पोहा दोनों ढेर
खरीफ की तैयारियों में लगे किसानों को इस समय पैसों की जरूरत है इसलिए वह कृषि उपज मंडी धान लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन भाव 11 सौ से 1450 रुपए क्विंटल पर आ चुका है। इधर पोहा उत्पादक उद्योगों को पोहा के लिए सौदा 28 सौ रुपए क्विंटल पर करने पड़ रहे हैं। यह इस साल का सबसे नीचे का भाव है। मजबूर मिलें धान की खरीदी तो कर रही है लेकिन 3 बड़े उपभोक्ता राज्य से मांग लगभग शून्य पर जा पहुंचा हैं। इसलिए उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत की कमी किए जाने की खबर है।
” बिहार और उड़ीसा से मांग बंद हो चुकी है। महाराष्ट्र से भी मांग लगभग शून्य है। इसलिए पोहा उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। भाव इस समय 28 सो रुपए क्विंटल पर आ चुका है ” – विनोद तलरेजा, सचिव, पोहा मिल एसोसिएशन,भाटापारा।
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