सैनिटाइजर 100 रुपए लीटर

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भुवन वर्मा बिलासपुर 18 जून 2020

मास्क ग्लव्स के बाद अब छत्तीसगढ़ के स्थानीय उद्योगों ने सैनिटाइजर उत्पादन में दी बड़ी कंपनियों को पटखनी

बिलासपुर- सैनिटाइजर 100 रुपए लीटर। मानो या ना मानो। यही सच है। कम से कम 5 लीटर का जार पैक तो इसी कीमत पर होलसेल मार्केट में पहुंच रहा है। यह कीमत बताती है कि राज्य सरकार की छूट के बाद स्थानीय स्तर पर सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली यूनिटों ने इस बाजार में पहले से जमी हुई कंपनियों को तगड़ी पटखनी दी है। यह जरूरी भी था क्योंकि उत्पादक क्षेत्रों से लेकर उपभोक्ता के हाथों तक यह ऊंची कीमत पर पहुंचा था। इसमें सबसे ज्यादा लाभ होलसेल काउंटरों ने उठाया और शार्ट सप्लाई की बातें प्रचारित कर तगड़े पैसे पीटे।

कोविड-19 के बढ़ते आंकड़े भले ही डराने वाले आ रहे हो लेकिन सरकारें इस मामले में बेहद गंभीरता के साथ काम कर रही हैं। छत्तीसगढ़ को इस मामले में बेहद गंभीर माना जा रहा है जहां संक्रमण से बचने के उपाय की सलाह केवल मानी जा रही है बल्कि अपनी क्षमता के अनुरूप काम किया जा रहा है। सैनिटाइजर और ग्लब्ज के साथ मास्क को इस मामले में सबसे पहले नंबर पर रखा जा सकता है। इसके लिए अब छत्तीसगढ़ ना केवल आत्मनिर्भर हो चुका है बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी यह उत्पादन भेजे जा रहे हैं। दरअसल सरकार ने इन तीनों चीजों की बढ़ती कीमत और बेतहाशा वसूली को गंभीरता से संज्ञान में लिया और उत्पादन की न केवल छूट दी बल्कि बाजार भी मुहैया कराया। इससे सरकार को इन तीनों चीजों की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने में मदद मिली साथ ही होलसेल काउंटरों की वसूली पर भी ब्रेक लगाने में सफलता हासिल हुई।

छत्तीसगढ़ में ही 25 यूनिटें
कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जिन 3 चीजों को आवश्यक माना उसमें सैनिटाइजर मास्क और ग्लब्ज मुख्य हैं। सोशल डिस्टेंस भी अनिवार्य शर्त है लेकिन पहले तीन उपाय के लिए अपना छत्तीसगढ़ चिकित्सा उपकरण बनाने वाले राज्यों पर निर्भर था। संक्रमण के बढ़ते दौर के बाद जब इन तीनों चीजों की कीमतों ने सीमा पार कर दी तब सरकार ने इन तीनों के उत्पादन पर अपना ध्यान बढ़ाया और ऐसी यूनिटों को ना केवल प्रोत्साहन दिया बल्कि उत्पादन के नियम शिथिल करने की छूट दी। इसमें सैनिटाइजर उत्पादन में साबुन उत्पादक इकाइयों को सबसे ज्यादा छूट दी गई लिहाजा राजधानी में लगभग दो दर्जन ऐसी यूनिटें इसका उत्पादन कर रही है।

अब स्थिति है ऐसी
इन तीनों चीजों की मांग के लिए छत्तीसगढ़ पहले महाराष्ट्र दिल्ली और मध्य प्रदेश के साथ गुजरात पर निर्भर था लेकिन बढ़ती मांग के बाद जिस तरह के नखरे सप्लाई को लेकर इन राज्यों की कंपनियों ने दिखाए उसका पूरा फायदा होलसेल काउंटरों ने उठाया और इन तीनों की बिक्री इतनी ऊंची कीमत पर की जिसकी सूचना के बाद राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर उत्पादन की छूट दी। अब हालात ऐसे हैं कि मास्क घर घर बन रहे हैं तो ग्लब्ज की बिक्री जमीन पर आ चुकी है। सैनिटाइजर की कीमत इतना नीचे आ चुकी है कि बड़ी कंपनियों को मैदान में बने रहने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

इस कीमत पर सैनिटाइजर
छत्तीसगढ़ अब सैनिटाइजर उत्पादन में भी आत्मनिर्भर हो चुका है। सरकार ने ब्रेवरीज कंपनियों के बाद स्थानीय स्तर पर साबुन निर्माण इकाइयों को इसके लिए प्रोत्साहित किया और उत्पादन को सहजता के साथ मंजूरी दी। इस तरह अकेले राजधानी में ही करीब 25 ऐसी साबुन निर्माण कंपनियां सरकार की निगरानी में सैनिटाइजर का उत्पादन कर रही है। लोकल इंडस्ट्रीज को इस छूट के बाद सैनिटाइजर की थोक कीमत 5 लीटर के जार में 400 से 450 रुपए की कीमत पर उपलब्ध है। छोटे पैक की कीमत भी सरकार ने तय कर दी है।

कीमतों पर सरकार का नियंत्रण और स्थानीय उद्योगों को उत्पादन की अनुमति के बाद सैनिटाइजर की कीमतें काफी कम हुई है। इससे लोकल इंडस्ट्रीज को सहारा मिला साथ ही उपभोक्ताओं तक पहुंच भी आसान हुई है ” – सुभाष अग्रवाल, अध्यक्ष, राज्य औषधि विक्रेता संघ बिलासपुर।

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