… तो हो सकती है 7000 बोरा कृषि उपज की नीलामी रोज, नालियों की सफाई की गति हुई धीमी

भुवन वर्मा बिलासपुर 18 जून 2020
भाटापारा- नीलामी के लिए बनवाए गए शेड यदि पूरी तरह खाली होते तो रोजाना इनमें 8 से 9 हजार बोरा कृषि उपज की नीलामी और बाद की सभी प्रक्रिया पूरी तरह बिना बाधा के संपन्न करवाई जा सकती है। इसी तरह मानसून के पहले सहायक नालियों की सफाई करवा ली गई होती तो यह समस्या नहीं आती जो आज आ रही है। सब कुछ होने के बावजूद सार यही निकल रहा है कि इच्छा शक्ति की कमी मुख्य वजह है।
5 जिले की कृषि उपज के क्रय विक्रय का गौरव हासिल कर चुकी भाटापारा कृषि उपज मंडी इन दिनों चर्चा में है। यह इसलिए कि शहर का बाजार और शहर के आस-पास के गांव में चल रही कृषि आधारित उद्योग की इकोनामी से सीधे-सीधे जुड़ी हुई है। समस्या यदि मंडी में होती है तो उसका सबसे पहले असर इन दोनों क्षेत्रों पर ही पड़ता है। ताजा समस्या मानसून की दस्तक के बाद पहली बारिश से जलजमाव और कृषि उपज भीगने के नुकसान से जुड़ा हुआ है। दरअसल समस्या बेहद छोटी सी है जो कभी भी दूर की जा सकती है। मुख्य नाली से जुड़ने वाली सहायक नालियों की सफाई मानसून से पहले करवा दी गई होती तो यह नुकसान नहीं होता। इसी तरफ शेड खाली होते हो तो नीलामी प्रांगण की जगह शेड में की जा सकती और समस्या आने के पहले ही निदान संभव था।
सात शेड, क्षमता 8 हजार बोरा
बारिश के दिनों के लिए ही बनाए गए शेड का उपयोग भंडारण के लिए होता है। यदि इनमें रखी कृषि उपज मानसून के पहले खाली करवा दी जाती तो प्रांगण में नीलामी की व्यवस्था शेड के नीचे करने में आसानी होती लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नुकसान के बाद शेड की याद आई और किसी तरह व्यवस्था बनाई गई। प्रांगण में 7 शेड बनाए गए हैं इनमें प्रतिदिन 8 से 9 हजार बोरा कृषि उपज की नीलामी करवाई जा सकती है। अब इसका उपयोग इसी काम के लिए किया जा रहा है।

4 सहायक और एक मुख्य नाली
बारिश के पानी और बाथरूम तथा टॉयलेट के वेस्ट वाटर की निकासी के लिए प्रांगण में 4 सहायक नालियां है जिनसे होता हुआ पानी मुख्य नाली में मिलता है और यह मुख्य नाली अपने रास्ते बहती हुई प्रांगण के बाहर निकल जाती है लेकिन सहायक नालियों की सफाई हुए अरसा बीता। खासकर वह नाली जो मुख्य प्रांगण से लगी हुई है। यहां नाली है यह तभी जाना जा सकता है जब इसमें पौधों का लगना दिखाई देता है। याने इसमें जमा वेस्ट प्रांगण के समानांतर हो चुका है।
कुछ ऐसा है मंडी प्रांगण
11 एकड़ में फैली मंडी की भौगोलिक संरचना एक और ढलान लिए हुए हैं। यह मंडी कार्यालय से लिंक रोड की ओर है। इसी वजह से सहायक नालियों का बहाव उस मुख्य नाली से जोड़ा गया है जो ढलान वाले हिस्से में बनाया गया है। इसकी भी सफाई नहीं करवाई जा सकी है। हालांकि मुख्य नाली में इतनी गंदगी नहीं है लेकिन जैसे ही यह प्रांगण के बाहर निकलती है तब उसे अवरोध का सामना करना पड़ता है। यहां की सफाई को लेकर ना तो नगर पालिका गंभीर है ना ही वे अधिकारी जो मौके- बे-मौके जांच करने आते हैं। लिहाजा समस्या अपनी जगह मजबूती के साथ जमी हुई है।
” मंडी प्रांगण के सात शेड की क्षमता 8से 9 हजार बोरे की है। शेड खाली होने की स्थिति में इतनी मात्रा की नीलामी प्रक्रिया आसानी से करवाई जा सकती है। रही बात नालियों की सफाई की हो तो अब यह काम नियमित रूप से करवाए जाने की व्यवस्था की जा रही है ” – डी के सिंह, सचिव कृषि उपज मंडी भाटापारा
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