20 अगस्त को CJI की बेंच में सुनवाई : CBI घटनास्थल की 3D मैपिंग कर रही- ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने आंखों देखी जानकारी शेयर की
भुवन वर्मा बिलासपुर 18 अगस्त 2024
कोलकाता ।में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट ने रविवार (18 अगस्त) को खुद नोटिस लिया। 20 अगस्त को सुबह 10.30 बजे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। बेंच में CJI के अलावा जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा रहेंगे।
CBI टीम ने आज राधागोविंद कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की 3D लेजर मैपिंग की है। वहीं, कोलकाता की घटना के विरोध में देशभर में डॉक्टरों के प्रोटेस्ट का आज 9वां दिन है। मामले की जांच कर रही CBI ने बताया कि आरोपी संजय का साइकोलॉजिकल टेस्ट किया गया।
सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) से मनोवैज्ञानिक और व्यवहार विश्लेषकों की 5 मेंबर्स की टीम यह टेस्ट कर रही है। इससे पता चल सकता है कि जघन्य अपराध को लेकर आरोपी संजय की क्या मानसिकता थी।
दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर का रेप के बाद हत्या की गई थी। 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में हिंसा हुई, जिसके बाद डॉक्टरों ने प्रदर्शन तेज किया।कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार-हत्या की घटना के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन जारी है।
*कोलकाता डॉक्टर रेप और हत्याकांड पिता ने जैसा देखा*
उसके पिता ने उसे नग्न अवस्था में फर्श पर पड़ा हुआ पाया, उसकी कूल्हे की हड्डी(Pelvic Bone) टूटी हुई थी, हाथ-पैर विकृत थे और उसकी आंखों में चश्मे के टुकड़े टूटे हुए थे और लगातार खून बह रहा था।
लड़की के पिता बताते है की मेरी बच्ची के दोनों टांगो को चीर दिया गया था, मेरी बच्ची की आंखों से खून निकल रहा था, एक ने नहीं कई लोगों ने रेप किया था।
उसके बालों से हेयर क्लिप निकाल कर उसके गुप्तांग में ठूस दिये गये थे,ब्लेड से उसके गुप्तांग को काटा और छट विछत किया गया था। यह वीभत्स मंजर देख पोस्ट मार्टम करने वाले डॉक्टर के हाथ कांपने लगे थे।
उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था, उसके दोनों पैर 90 डिग्री के कोण में पड़े हुए थे,एक पैर बेड के इस तरफ और दूसरा पैर बेड के उस तरफ।
उसके शरीर में 150 ग्राम से अधिक स्पर्म पाया गया यानि उसके साथ 25 से ज्यादा बार बलात्कार किया गया।
आखिर उसकी गलती क्या थी ? उसका लडकी होना गलती थी या उसका एक डाॅक्टर होना गुनाह था ? मरीजों की जान बजाने के लिए पिछले 36 घंटे से बिना ठीक से सोये वह अपने कर्तव्य को अंजाम दे रही थी,क्या यह उसकी गलती थी ?
आखिर क्यों तीन दिनों तक पुलिस इस गुनाह को छुपाने का प्रयास कर रही थी ? दरिदों नें कई घंटो तक उस लडकी को तडपा तडपा कर मारा,उसके बावजूद उन शैतानो को बचाने का प्रयास हो रहा है!
घटना की कल्पना करके देखिए,रूह न कांप जाये तो कहना! भारत में लडकी पैदा होना ही गुनाह है, उस पर कर्तव्य निष्ठ महिला डाॅक्टर होना तो और भी बडा पाप है।
वो लोग नासमझ थे,जिन्हें यह भी उम्मीद थी कि निर्भया मामले के बाद अब सुधार होंगे। 12 साल हो गये,क्या कुछ बदला? कुछ नहीं बदला है,सब जस का तस है। दोष किसी पार्टी नही है,किही नेता का भी नहीं है..हमारा है। हम बदलाव की उम्मीद पाल लेते है।
इस देश में लड़की बनना ही गुनाह बन गया अब।
शायद आज हर लडकी यही चाह रही है, कि “अगले जनम मोहे बिटिया ना किजों! मेरे विचार से तो ऐसे मानसिक विकृति वाले अपराधी को जनता के हाथों में सौंप देना चाहिए और जनता इनको इनके अपराध की सजा दे!
आखिर सरकार किसे बचाना चाह रही…।
इतने बड़े कांड हो गया आज देश और देश मे रहने वाले कैसे चुप है.।