कारगिल विजय दिवस रजत जयंती महोत्सव : शामिल हुए एसपी आईजी एवं भूतपूर्व सैनिक,जवानों को सम्मान में मिलें उन्हें बेहतर नागरिक सुविधा – कलेक्टर अवनीश

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भुवन वर्मा बिलासपुर 26 जुलाई 2024

बिलासपुर – 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस रजत जयंती समारोह को मानने स्व.लखीराम अग्रवाल ऑडिटोरियम बिलासपुर में कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा रखा गया। जिसके मुख्य अतिथि संजीव शुक्ला पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज,कार्यक्रम अध्यक्षता अवनीश शरण,मुख्यवक्ता नारायण नामदेव सहसंघ प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ,विशिष्ट अतिथि रजनीश सिंह पुलिस अधीक्षक बिलासपुर, अवजीत प्रभात सीआरपीएफ एसिस्टेंड कमांडेंट, ब्रजेश शुक्ला सचिव जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र छग प्रांत थे। सभी अतिथि वक्ताओ ने कारगिल विजय दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं एवं बलिदानी वीर जवानों को श्रद्धांजलि के साथ नमन किये । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सूबे के मुखिया अवनीश शरण ने कहा कि 1999 के कारगिल युद्ध आज भारतीय सैन्य को विश्व के सर्वोच्च सैन्य शक्ति के रूप में विस्थापित किया हैं हम सब आज कारगिल युद्ध में शहीद अमर जवानों को याद कर रहें हैं। ऐसे में आज जरूरी हो गया है की जब हमारे देश के जवान किसी ट्रेन,बस या सार्वजनिक जगहों में मिले तो उन्हें सम्मान स्वरूप स्टेंडिंग ओवेशन दे और उन्हें ट्रेन बस में सीट रिक्त करके यथा सम्भव स्थान देवें यही देश के जवानों को सच्चा सम्मान होगा।

इसके साथ ही अगर देश का जवान देश सेवा के बाद सेवा निर्वृत होकर आए तो उन्हें स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा खासकर राजस्व विभाग उनके सभी देनदारी को सम्मान स्वरूप बिना किसी टालमटोल के पूरा करना भी उनके प्रति अपने नागरिक कर्तव्य होगा। आज के इस कार्यक्रम के आयोजक जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र छग प्रांत थे।

विदित हो कि कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।

प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे।

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