अदुतीय अदभुत परंतु सत्य : पाटेश्वर धाम बालोद में 25 करोड़ की लागत से बन रहा है, मां कौशल्या जन्मभूमि मंदिर

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 20 मई 2020

श्री पाटेश्वर धाम । जिला बालोद छत्तीसगढ़ में 25 करोड़ की लागत से तिन मंजिला भारत में अद्वितीय माँ कौशल्या जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है जिसका प्रथम तल 9 करोड़ की लागत से बनकर तैयार होगया है इस तल में सामाजिक समरसता को समर्पित सम्पूर्ण हिन्दू समाज के देवी देवता एवम् महापुरुषों की 45 प्रतिमा लगाई गयी है अभी तक इस निर्माण में 24000 सदस्य बन चुके है जिसमें छत्तीसगढ़ के बहुतायत आदिवासी बन्धु है।

माँ कौशल्या जन्मभूमि मंदिर के निर्माण को देखने अभी तक भारत के सभी जगद्गुरु एवम् संतो के साथ साथ आचार्य गिरिराज किशोर जी माननीय अशोक सिघल श्री मोहन भागवत जी भी पाटेश्वर धाम पधारे
अभी कोरोना महामारी काल में श्री सीता रसोई के माध्यम से छत्तीसगढ़ के एवम् पुरे भारत के हर प्रान्त के हजारों कार्यकर्ता श्री पाटेश्वर धाम के संचालन एवम् पूज्य संत राम बालक दास जी के नेतृत्व में गोसेवा मूक प्राणियों की सेवा और हर वर्ग के बंधू माताओ की भोजन सेवा में लगे है उन्ही कार्यकर्ता बन्धुओ और माताओ का समूह है सीता रसोई सञ्चालन ग्रुप एक महीने से प्रतिदिन इस ग्रुप में भारत के महान संतों और विचारको को ऑनलाइन जोड़कर पूज्य संत राम बालक दास जी सत्संग समसामयिक विषयों पर संवाद का आयोजन करते है आपके सानिध्य में प्रतिदिन श्री सीता रसोई परिवार को शुभकामना एवम् उत्साह बर्धन प्राप्त होता है।

आज दिनांक 19 मई बालयोगेश्वर संत राम बालक दास जी महात्यागी पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़, के साथ परम् पूज्य बालयोगेश्वर जी बद्रीनाथ धाम श्री सीता रसोई संचालन ग्रुप में 10:00 से 11:00 और 1:00 से 2:00 सीधे जुड़े, पूज्य बाल योगेश्वर जी महाराज श्री ने बद्रीनाथ जी में कैसा दर्शन है इसके बारे में हम सभी भक्तों को बता कर हमें धन्य किया, महाराज जी ने बताया कि, बद्रीनाथ जी का जो धाम है वह वास्तव में बड़ा ही पवित्र और सतयुग का धाम है, दुनिया में जो देव है उनके जो कुलदेवता है वह बद्रीनाथ भगवान जी हिमालय में हमेशा विराजमान रहते हैं, अभी कोरोना काल मे लॉक डाउन की स्थिति यहां भी बनी हुई है, मंदिर का दर्शन अभी बंद है हम सभी संत आश्रम से ही बद्री भगवान और ध्वजा के दर्शन कर लेते हैं । बाहर से किसी को भी यहां आने की अनुमति नहीं है |

संत श्री राम बालक दास जी ने महाराज जी से पूछा कि शीतकाल में कहा जाता है कि यहां नारद जी पूजन करते हैं इस पर कृपया प्रकाश डालिए, महाराज जी ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि बद्रीनाथ धाम में शीतकाल के 6 माह में श्रीनारद जी और श्रीउद्धव जी नारायण की सेवा में यहां उपस्थित रहते हैं, और 6 महीने यहां पर मनुष्य दर्शन करते हैं, इसमें देश-विदेश से सभी भक्तजन श्री बद्री धाम जी की दर्शन करने आते हैं, शीतकाल में जब श्री नारद भगवान यहां पूजा करते हैं तो यहां का वातावरण ही अलग होता है, जब यहां पूजा करते हैं तो कोई भी मनुष्य यहां नहीं होता है साधु संत परमिशन लेकर साधना की व्यवस्था करके रहते हैं, शीतकाल के छह माह कहा जाता है कि यहां पर अन्न खाने वालों को नहीं रहना चाहिए, सभी साधु सन्यासी यहां पर फलाहार लेते हैं| और 6 महीने अपनी साधना करते हैं| यहां पर एक दिन तपस्या करने पर 10 हजार वर्षों की साधना का फल मिलता है, यदि हम घर में 10,000 माला फेर कर जो पुन्य प्राप्त करते हैं, वह पूण्य हमें यहां एक माला फेरने पर प्राप्त होता है, क्योंकि बद्री आश्रम ऐसा धाम है, जहां गंधमादन पर्वत पर कदली वन मे, श्री हनुमान जी सशरीर विराजमान है| यहां एक दैत्य सहस्त्र कवच नामक की कथा है सहस्त्र कवच नामक एक दैत्य हुआ करता था उसने ब्रह्मा जी की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और फल में अमर होने का वरदान मांगा, ब्रह्मा जी ने कहा कि मेरे सृष्टि में कोई भी अमरत्व को प्राप्त नहीं कर सकता अतः तुम अन्य फल मांगो , दैत्य सहस्त्र कवच ने 1000 कवच की शक्ति का वरदान मांगा, और एक कवच को ऐसा तपस्वी तोड़ सके जिसके पास 10000 वर्षों तक तपस्या का फल हो, और यदि दूसरे दिन तक दूसरा कवच नहीं तोड़ा गया तो वह टूटा हुआ कवच मुझे पुनः प्राप्त हो जाएगा| ब्रह्मा जी ने भी तथास्तु कहा| और अब दैत्य का आतंक सर्वत्र व्याप्त हो गया, इसे मिटाने के लिए नारायण को नर और नारायण के रूप में यहां बद्रीनाथ में अवतरित होना पड़ा, जिसमें यहां बद्रीनाथ धाम में 24 घंटे नर तपस्या करते तो नारायण उसकी रक्षा करते ताकि कोई भी तपस्या को भंग ना कर सके, जब नारायण तपस्या करते तो नर उनकी रक्षा करते, इस तरह दैत्य सहस्त्र कवच के साथ नर और नारायण का युद्ध हुआ और जब नर एक कवच तोड़ते तो नारायण तपस्या कर दूसरे दिन दूसरा कवच को नष्ट करते, इस तरह दैत्य भयभीत हो गया और सूर्य नारायण की शरण लेने पहुंच गया, नारायण सूर्य देव को परामर्श दिया कि आप इसे अपनी शरण में ना लें, दैत्य कभी किसी के नहीं होते, परंतु सूर्य नारायण ने कहा प्रभु यह तो आपका ही नियम है की शरणागत को शरण देना ही होता है, तब नारायण जी ने सूर्य देव से कहा कि आप अपने तप से इसे बालक बना लीजिए, यही बालक द्वापर युग में कुंती को सूर्यपुत्र कर्ण के रूप में दिया गया, और नारायण के रूप में श्री कृष्ण नर के रूप में अर्जुन का अवतरण हुआ और कर्ण के मृत्यु में श्री कृष्ण और अर्जुन ही निमित्त बनें
महाराज श्री से एक भक्त ने जानना चाहा है मन मुखी और दीक्षा मुखी संत में क्या अंतर है अब उनकी क्या गति है कृपा करके मार्गदर्शन करें, दीक्षा मुखी संत में गुरु और शिष्य का नाता होता है वह पिता पुत्र का होता है तो मित्रता का भी होता है, जब गुरु शिष्य में परमात्मा के प्रति प्रेम, वैराग्य और उसका चित पूर्ण तरह से ईश्वर में लगता हुआ देखते हैं तो गुरु भी अपनी कृपा हमेशा बनाए रखते हैं, तथा ऐसे शिष्यों के लिए वे हमेशा प्रयत्न करते हैं कि मेरा शिष्य पुत्र प्रभु का स्मरण कर प्रभु का अनंत भक्त बन जाए जिससे प्रभु हमेशा उसके नैनों में और हृदय में निवास करें, और शिष्य भी अपने गुरु के लिए पूर्णता समर्पित होते हैं, गुरु की आज्ञा ही उनके लिए सर्वोपरि होती है, ऐसे ही शिष्य को पाने के लिए भगवान भी लालायित होते हैं।

मन मुखी वह होते हैं जिन्होंने दीक्षा नहीं ली परंतु उनका ईश्वर में बहुत आस्था होती है बहुत प्रेम होता है साधु-संतों से वह बहुत ज्यादा लगाव रखते हैं लेकिन कहीं ना कहीं अटके होने के कारण बहुत समय तक दीक्षा नहीं ले पाते तो यहां भी एक, गुरु कृपा ही है जो सर्वोपरि है, यहां भी ईश्वर के प्रति एक प्रेम है कोई जरूरी नहीं कि हम बद्री नाथ धाम पहुंचकर ही माथा टेके हम जहां हैं वहीं से प्रभु को प्रेम से अगर नमस्कार करते हैं तो प्रभु हमारा अभिवादन जरूर स्वीकार करते हैं| अर्थात प्रभु का स्मरण मंत्र होना अति आवश्यक है, यही जन मन मुखी होते हैं|
पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ में भारत के अद्वितीय निर्माण मां कौशल्या मंदिर के निर्माण के विषय में महाराज जी ने अपने शुभाशीष वचनों से कहा कि पूज्य राम बालक दास जी ने जिस तरह सभी को इस निर्माण कार्य से जोड़ा है सभी भक्तजनों को कल्याण का भागी बनाया है आप छत्तीसगढ़ के गौरव कार्य को पूरे विश्व में प्रकाशित करने हेतु अवतरित हुए हैं, पाटेश्वर धाम ऐसा धाम है जहां पर आकर व्यक्तित्व का अध्यात्म पूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां भगवान श्री राम की मां कौशल्या का मंदिर स्थान है, जिसके दर्शन मात्र से हम धन्य हो जाते हैं|
ऑनलाइन सत्संग के विषय में महाराज जी ने कहा कि सत्संग में जो प्रेम आप लुटा रहे हैं जो शिक्षा सभी को प्रदान कर रहे हैं और सभी को जो एक सूत्र में बांध के रखे हैं उस पर आपकी बड़ी कृपा है आप के दर्शन मात्र से ही सभी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगे, सीता रसोई की सभी संचालक जनों के लिए कहा कि आप अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें इसी तरह से पूण्य अर्जित करें साधु संतों की वाणी प्राप्त करें सभी सुखी हो यही मनोकामना है,

अंत में परिचर्चा संचालक श्री राम बालक दास महांत्यागी जी ने बद्रीनाथ से जुड़े पूज्य बाल योगेश्वर दास जी महाराज का आभार प्रकट किया साथ ही सूचना देते हुए बताया कि कल 20 मई को हमारे साथ भारत की महान विभूति जगद्गुरु रामानंदाचार्य पूज्य मावली सरकार जी ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश से सुबह 10:00 से 11:00 एवं दोपहर 1:00 से 2:00 बजे के ऑनलाइन परिचर्चा में जुड़ेंगे और सभी भक्तों की जिज्ञासा का उत्तर देंगे सब को आशीर्वाद प्रदान करेंगे पाटेश्वर धाम के ऑनलाइन सत्संग में जुड़ने के लिए 9425 510 729 नंबर पर संपर्क करें
आज सिता रसोई में सेवा देने वालों के नाम

  1. कान्हा /बालसिंह थलेंद्र लेडीजोब चौकी 15 सितंबर जन्मदिन
  2. श्री लकिस कुमार/बालसिंह थलेंद्र लेडीजोब चौकी 16 फरवरी जन्मदिन
  3. कुमारी दीक्षा/बालसिंह थलेंद्र लेडीजोब चौकी 21 नवंबर जन्मदिन
  4. मनोज साहू परसटठी राजिम 23 जुलाई जन्मदिन
  5. श्री नरोत्तम साहू रन चिरई पाटन 1 जुलाई जन्मदिन
  6. कुमारी सृष्टि/ सावित्री भोई बागबाहरा 12 जनवरी जन्मदिन
  7. कुमारी अंजली /दिनेश चौबे शक्ति घाट साजा 12 जुलाई जन्मदिन
    जय गौ माता जय गोपाल
    जय सियाराम

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