महिलाओं को आत्म सम्मान के साथ जीवन यापन करने का है मौलिक अधिकार-रेखा चंद्रा डिप्टी कलेक्टर

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महिलाओं को आत्म सम्मान के साथ जीवन यापन करने का है मौलिक अधिकार-रेखा चंद्रा डिप्टी कलेक्टर

क्षितिज मिश्रा खरोरा 19 अप्रेल 2024

रायपुर।प्रत्येक महिलाओं को अपने घर बाहर, यात्रा के दौरान या कार्यस्थल में प्रत्येक जगह स्वयं को गरिमा को बनाये रखते हुये आत्म सम्मान के साथ जीवन यापन करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है।

अगर महिला या युवती को कहीं भी किसी भी परिस्थिति में ऐसी कोई अपकृत्य स्वयं के साथ घटित होने का एहसास या महसूस होने पर अपनी सुरक्षा व संरक्षण के लिए तत्काल उचित कदम उठाया जाना चाहिए जिसमें सर्व प्रथम डायल-112 को सूचित करने पर पीड़ित महिला तक सेवा उपलब्ध होता है। एवं अपने स्मार्ट मोबाईल में अभिव्यक्ति एप को आवश्यक डाऊनलोड करके रखे ताकि समस्या के दौरान एप को ऑन कर दिये जाने पर घटना स्थल का लोकेशन पुलिस विभाग द्वारा ट्रेस करके पीड़िता को सुरक्षा प्रदाय किया जा सकता है एवं किसी प्रकार की छेडखानी अभद्र व्यवहार या स्वंय के अस्मिता को आहात पहुँचाने वाले कोई भी कृत्य होने पर संबंधित क्षेत्र के थाना में जाकर शिकायत दर्ज करवाये जाने पर कानूनी व दंडात्मक कार्यवाही आरोपी के विरूद्ध किया जा सकता है। जिसमें निर्धारित धाराओं के अंतर्गत जेल या अर्थदंण्ड की सजा का प्रावधान है।

इसके अतिरिक्त कई बार महिलाएँ थाने या न्यायालय नही जाना चाहते है..अस्मिता और स्वाभिमान के जिला ब्यूरो क्षितिज मिश्रा से चर्चा के दौरान रायगढ़ डिप्टी कलेक्टर रेखा चंद्रा ने ये भी बताया की ऐसी स्थिति में प्रत्येक जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में संचालित केन्द्रीय शासन के सखी वन स्टॉप सेंटर में अपराध की गंभीरता के आधार पर एक ही छत के नीचे अल्पकालीन आश्रय चिकित्सा, पुलिस च विधिक सहायता तथा काऊंसलिंग की सुविधा 24×7 उपलब्ध करवाया जाता है एवं महिला हेल्प लाईन 1091 एवं 181 की सहायता भी ली जा सकती है।

तथा परिवारिक विवाद या घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत महिला एवं बाल विकास व पुलिस के सहयोग से न्यायालय में प्रकरण दर्ज करवाते हुये न्यायिक कार्यवाही किया जाकर अनुतोष तथा भरण पोषण प्राप्त कर सकती है।

एवं अपने कार्यस्थल में लैंगिक उत्पीडन से पीड़ित महिलाएँ कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिंक उत्पीडन अधिनियम 2013 के तहत अपने कार्यस्थल में गठित आंतरिक समिति में अथवा जिला स्तरीय स्थानीय शिकायत समिति में लिखित शिकायत पर कार्यवाही किया जाता है जिसकी गोपनीयता बनी रहती है।

तथा उक्त शिकायतों पर न्यायालयीन कार्यवाही हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकारण से अधिवक्ता उपलब्ध करवाया जाता है। इस प्रकार महिलाएँ आवश्यकतानुसार उपरोक्त सहायता स्वयं के हित व अधिकार के लिए प्राप्त कर सकती है।

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