आईएमए का 19वां स्टेट कॉन्फ्रेंस हुआ भव्य शुभारंभ : नई टेक्नोलॉजी और दवाइयां के अपडेट्स पर भी देशभर से आए चिकित्सक कर रहे साझा अपनी जानकारी

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आईएमए का 19वां स्टेट कॉन्फ्रेंस हुआ भव्य शुभारंभ : नई टेक्नोलॉजी और दवाइयां के अपडेट्स पर भी देशभर से आए चिकित्सक कर रहे साझा अपनी जानकारी

भुवन वर्मा बिलासपुर 25 फ़रवरी 2024

बिलासपुर/ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का 19वां स्टेट कॉन्फ्रेंस 24 और 25 फरवरी को बिलासपुर में आयोजित किया जा रहा है . इस दौरान पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश भर के लगभग 400 डॉक्टर इस कांफ्रेंस में शामिल होंगे. दो दिनों तक आयुष्मान भारत की सुविधा जरूरतमंदों को मिले, आधुनिक चिकित्सा तकनीक एवं चिकित्सा संबंधी अनेक विषयों पर विचार मंथन किया गया।

डॉ विनोद तिवारी ने बताया कि आज के आयोजन के मुख्य अतिथि नगर विधायक अमर अग्रवाल, विधायक धरमलाल कौशिक, विधायक अटल श्रीवास्तव रहे . विदित हो दो दिनों तक चिकित्सा जगत के विद्वान चिकित्सक शहर में रहेंगे. इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं अधिक से अधिक तक लोगों को कितनी सुविधा से मुहैया कराई जा सकती है . इस पर विचार मंथन दो सत्र में किया गया। साथ ही नई टेक्नोलॉजी और दवाइयां के अपडेट्स पर भी देशभर से आए चिकित्सक अपनी जानकारी साझा किये. इस अवसर पर डॉ विनोद तिवारी प्रदेष अध्यक्ष ,ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉक्टर अविजीत रायजादा एवं आई एम ए बिलासपुर के अध्यक्ष डॉ अखिलेश देवरस सहित आईएमए के डॉ विशेष रूप से उपस्थित थे.

डॉ पूर्णेन्दु सक्सैना जी वरिष्ठ चिकित्सक रायपुर ने सेमिनार शिविर प्रथम सत्र में अपने मुख्य वक्ता के आसंदी से बताया कि मॉडर्न मेडिसिन को भारतीय वैल्यूज के साथ कैसे जोड़ा जाए सबसे पहली बात उन्होंने बताई कि हर चिकित्सा के जो है मन में यह भावना होना चाहिए कि जैसे हमारे संस्कृत में श्लोक है जिसमें अर्थ यह है कि ना ही मुझे राज्य की कामना है ना ही मुझे स्वर्ग चाहिए नहीं मेरा मुझे कोई पुनर्जन्म चाहिए मेरी कामना तो सिर्फ इतनी होना चाहिए, बस दुख में मैं तड़पते हुए प्राणियों की पीड़ा का नाश कर सकूं तो यह भावना आज के डॉक्टर में होना चाहिए वह पहले के जब पुराने समय में जो व्यक्ति हुआ करते थे उनमें यह भावना अपने प्रचुर मात्रा में थी और यह भावना होने से अपने आप जो है वह अपना कार्य करते थे और इस भावना के चलते वह जो है कभी यह नहीं दिखते थे कि वह किसका इलाज कर रहे हैं बिना रंग के बिना जाति के बिना धर्म के को देखते हुए वह यह सब मैरिज अच्छा हो इस कामना से जो है वह उनका इलाज करते थे और वही इस कामना से हमको इलाज करना है।

दूसरा कि हमको जो है भारतीय वैल्यूज यानी हमको अपने जो प्रोफेशन है उसमें हमको आनंद आना चाहिए आनंद की प्राप्ति होना चाहिए पैसा आना और यह सब आना यह तो सेकेंडरी है पर उसे जब हमको सुख प्राप्त होता है उसे आप जब हमको आनंद प्राप्त होता है तो वही उसकी वैल्यू है अगर हमको उसे सुख प्राप्त नहीं होता है तो हमें फिर कोई दूसरा मार्ग अपना आना चाहिए पर अगर हम इस मेडिकल प्रोफेशन में हैं तो हमारे मरीज का सुख जो है वही हमारा सुख होना चाहिए।

तीसरी बात उन्होंने एक बहुत अच्छा उदाहरण दिया जब लक्ष्मण भगवान लक्ष्मण को मेघनाथ की जब बाद लगा था तो उसे समय जो है लंका से ही वहां की विद्या को लेकर आया गया जिनका नाम सुषेन वैध था वह वैद्य ने यह नहीं देखा कि यह तो अपोजिट साइड का है हमारे लंका के नहीं है यह तो हमारे दुश्मन है उसके बाद भी उन्होंने उसके इलाज किया हनुमान जी ने फिर वहां से पर्वत लेकर आया उनका संजीवनी बूटी दी गई और उसके बाद वह वापस जीवित है तो हमें भी जो है चलते हैं ऐसे ही विद्या के जैसा जो है कार्य करना चाहिए और बिना किसी रंग भेद के बिना जाति के धर्म के दोस्त दुश्मनी के जो है मानवता की सेवा करना चाहिए।

फिर उन्होंने बताया कि पुराने जमाने में भी जो है सब चीज यह इसको सेवा से जोड़कर रखते थे और जैसे कि टेंपल में यह सब कार्य होता था और गुरु गुड्स होते थे और सब कोई आपस में मिलकर काम करते थे तो आज भी यही जरूरत है कि हम शिक्षक हम जो चिकित्सक हैं वह आपस में मिलकर कार्य करें जो उनके बस का है वह उसको करें और जो उनके बस का नहीं है वह दूसरे डॉक्टर को बताएं और एक साथ ग्रुप में मिलकर प्रेक्टिस करें जिसमें उनकी योग्यता है उसको ध्यान रखें और तो इस तरह से जो है वह सब का उसमें विकास होगा अच्छी तरह से ठीक होंगे। डॉ विनोद तिवारी ने अपनी उद्बोधन में कहा कि चिकित्सा जगत की कुछ छोटी समस्या रहती है जिसे सरकार को गंभीरता से हल करनी चाहिए ।

संध्या उद्धघाटन अवसर पर अमर अग्रवाल, धरम कौशिक, अटल श्रीवास्तव चिकित्सा सेवा एवं आईएमए के डॉक्टर को अपनी शुभकामनाएं देते हुए सरकार द्वारा चिकित्ससा सेवा के क्षेत्र की होने वाली समस्याएं हैं जो उन्हें हल करने का आश्वासन दिए।

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