भुवन वर्मा, बिलासपुर 11 अप्रैल 2020
चीन के wuhan शहर से नवंबर 2019 के आखरी सप्ताह में कोरोना वायरस महामारी का संक्रमण चालू हुआ था अब वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है अपितु यह तीव्र गति से विश्व के 190 देशों को अपने चपेट में ले चूका है. आज यह पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गयी है I विशेषकर फार्मेसी जगत के वैज्ञानिको एवं अन्य क्षेत्रो के वैज्ञानिकों के लिए यह माहमारी एक चुनौती है. आज जब विज्ञान तरक्की की सीमाओं को लाँघ दुनिया की दूसरी छोर में जाने को लालायीत थी तब अचानक नैनोमीटर साइज के एक वायरस ने पूरी दुनिया को अपने कदमो पर ला कर मानव जाती को बता दिया की अभी आप के विज्ञान के अंतिम पड़ाव पर नहीं पहुंचे हैं. लेकिन वैज्ञानिको के लिए ये लड़ाई बड़ी दिलचस्प है. चीन में संक्रमण फैलने के तुरंत बाद ही अलग अलग क्षेत्र के वैज्ञानिकगण वायरस के संक्रमण के प्रभाव को दूर करने के लिए शोध कार्य में जुट चुके हैं. कोरोना वायरस रोग मुख्य रूप से स्वशन तंत्र में संक्रमण की बीमारी है. अभी तक के अध्ययन और जानकारी प्राप्त करने के पश्चात मुख्यतः फार्मेसी क्षेत्र के वैज्ञानिक, बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र के वैज्ञानिक और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में कार्य करने वाले वैज्ञानिक कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकते हैं. मूल डाटा, जानकारी और अन्य तकनिकी चीजों को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा एकत्रित करके सम्बंधित बीमारी को पहचानने और उसके रोकधाम के लिए नया औषधि या वैक्सीन बनाने के बारे में सम्भावना बताई जाती है. आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) मूलतः एक कम्प्यूटेशनल टेक्नोलॉजी है जो की सिद्धांत अवधारणा के आसपास भविष्यवाणी और तर्क क्षमता की अनुमानित सीमा प्रदान करता है. रोबोटिक्स विज्ञान (AI) का एक सफल उदाहरण है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रक्रिया के अनुप्रयोग द्वारा लंबी और जटिल समस्या को हल करने में सक्षम हैं। (AI) ने नई दवा के त्वरित खोज के कार्य को सफलतापूर्वक हल करने में सक्षम किया है जो दवा के विकास का कठिन हिस्सा है। किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए नए औषधि के शोध और खोज में न्यूनतम 08 से 10 वर्ष लगते हैं लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख माध्यम जैसे मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, एक्सपर्ट सिस्टम और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क की सहायता से बहुत ही तीव्र गति से कम से कम समय में नए दवा पर शोध और खोज की जा सकती है. इससे पूर्व भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने नए एंटीबायोटिक्स और वैक्सीन को नयी तकनीक से न्यूनतम समय में शोध कर बाजार में उपलब्ध करा दिया था. वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संक्रमण रोकने और नए दवा के खोज विश्व की १० प्रुमख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च सेण्टर कार्य कर रहें हैं. इनके नाम हैं: Bluedot , Deargen , Baidu , Insilico Medicine , Alibaba , SRI Biosciences and Iktos , EndoAngel Medical Technology Company , Benevolent AI , DeepMind एवं NanoX . अध्ययन बताता है की ये सभी खोज की सही दिशा में बढ़ रहें है और जल्द ही कोरोना की लड़ाई में सकारात्मक समाचार इनके द्वारा दिया जायेगा, ऐसी सम्भावना है.
कोरोना वायरस संक्रमण के लिए बाजार में उपलब्ध मलेरिआ की दवा hydroxychloroquine भी आज कल चर्चा में है. अमेरिका द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री से इससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए मांग कर इस दवा को विश्वयापी चर्चित कर दिया है. पुरे विश्व में भारत hydroxychloroquine Tablet का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. मूलतः hydroxychloroquine भारत में पारम्परिक रूप से मलेरिया के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह दवा कोरोना वायरस को पूर्ण रूप से ठीक करने में सक्षम नहीं है लेकिन यह प्रारंभिक तौर पर कोरोना संक्रमण के लक्षणों को कुछ हद तक दूर करने में कारगर है. इस पर भी अभी शोध जारी है. विज्ञान की सीमा अनंत है. नित नए प्रयोग और अविष्कार मानव जाति के अस्तित्व के लिए आयश्यक हैं. पुरे विश्व में शोध वैज्ञानिको का दल इस महामारी के इलाज खोजने में लगा हुआ है और जल्द ही नए औषधि या वैक्सीन बनने की खबर भी सुनने को मिलेगी.
डॉ शेखर वर्मा
प्रोफेसर
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी रायपुर
आयुष एवं हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी ऑफ़ छत्तीसगढ़ रायपुर
E-Mail: shekharpharma@gmail.com
Mobile: +91-98262-25924
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