भुवन वर्मा, बिलासपुर 02 अप्रैल 2020
दिल्ली। तब्लीगी जमात की कायराना कारनामे से पुरादेश हदप्रभ है । मरकज में संक्रमित बढ़ते जा रहे हैं । गत 23 मार्च को जमात के प्रमुख लोगों को दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी अपने दफ्तर में बुलाकर इन्हें पहले ही कोरोना वायरस की गंभीरता को समझा चुके थे ।तब्लीगी जमात के अल्लाह के बंदों पर इसका कुछ भी असर नहीं हुआ नतीजा आज हम सबके सामने हैं । ज्ञात हो कि 13 से 15 मार्च को तबलीगी जमात की एक बड़ा जलसा दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में आयोजित किया गया । इसमें भारत के अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान से लगभग 2000 से ज्यादा सदस्य शामिल हुए । इसमें से करीब 14 सौ लोग लॉक डाउन के बाद भी वहीं रुके रहे । इसमें से कुछ संक्रमित होना भी पाया गया । इनसे कितना संक्रमण कहां कहां फैला होगा । यह कहना मुश्किल है । आज पूरा देश इस वायरस से बचने लॉक डाउन कर अकस्मात मौत के बीच जद्दोजहद कर रही है । ऐतिहासिक संक्रमित वायरस को बढ़ावा देने में मरकज के सदस्यों के अहम भूमिका स्पष्ट दिख रही है ।
जो लोग मरकज में लॉक डाउन के बाद रह गए थे । इन्हें मासूम निर्दोष बताया जा रहा है और इस आग में घी डालने का काम मौलाना साद और उन जैसे कट्टरपंथी कर रही हैं । इस समय जब पूरे देश को एकजुट होकर वैज्ञानिक तरीके से कोरोना संक्रमण को रोकना चाहिए। तब मौलाना साद जैसे लोग खुद फरार होकर पूरी बेशर्मी से बयान बाजी कर रहे हैं ।मौलाना साद कह रहे हैं कि मौत से भाग कर जाओगे कहां मौत तो तुम्हारे आगे आगे चल रही है । इसलिए जरा इस मौके पर अपनी अकल समझ को जरा ठिकाने रखो ऐसा ना हो कि महज डॉक्टरों की बातों में आकर न नमाजे छोड़ो, मुलाकाते छोड़ो, न मिलना जुलना छोड़ो, 70000 फरिश्तों पर तुम क्यों यकीन नहीं करते शाद कहते हैं कि यह ख्याल बिलकुल बेकार ख्याल है, कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी ,मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती । अब इन मौलाना को कौन समझाए की मस्जिद में मरने देना से न जन्नत मिलेगी ना वहां की 72 हूरें । बहुत से आतंकी संगठन धर्म परायण जनता को अब खास करके कम पढ़े-लिखे युवकों को जन्नत के सब्जबाग दिखाते हैं इन जैसे देशद्रोही को कब पहचानेंगे । अभी तक निजामुद्दीन मरकज से 2361 लोगों के बाहर आने की जानकारी है । इनमें से बहुत से लोग पहले ही अलग-अलग राज्यों में जहां से आए थे वहां जा चुके हैं । अकेले मुंबई में 442 केरल में 330 मरकज से लौट चुके हैं ।इसी तरह तमिलनाडु में भी 110 व छत्तीसगढ़ से 160 मरकज में शामिल हुए थे।
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