केदार द्वीप मदकु मंडूक ऋषि की तपस्थली है-आचार्य रामरूप दास : हरिहर ऑक्सीजोन परिवार का मिलन समारोह एवम वन भोज मदकू द्वीप में

0

केदार द्वीप मदकु मंडूक ऋषि की तपस्थली है-आचार्य रामरूप दास : हरिहर ऑक्सीजोन परिवार का मिलन समारोह एवम वन भोज मदकू द्वीप में

भुवन वर्मा बिलासपुर 12 दिसंबर 2023

बिलासपुर।हरिहर आश्रम केदार दीप (मटकू दीप) में हरिहर ऑक्सीजोन परिवार का मिलन समारोह एवम वन भोज कार्यक्रम का आज आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य रामरूप दास जी का दिव्य उद्बोधन उपरांत श्रीफल छत्तीसगढ़ी गमछा व प्रतीक चिन्ह से अभिनंदन सम्मान संगठन द्वारा किया गया। महाप्रसाद व केदार द्वीप दर्शन भ्रमण उपरांत शाम 4 बजे भजन संध्या (हरिहर आर्केस्ट्रा ग्रुप द्वारा) के साथ ही शिवनाथ के पावन तट पर गंगा आरती किया गया। कार्यक्रम के अतिथियों में संरक्षक मंडल से डॉ विनोद तिवारी, डॉ के के साव, डॉ एस के दत्ता, आर के तावडकर अर्जुन राठौर, जीएल कश्यप वीरेंद्र अग्रवाल रहे । केदार दीप हरिहर क्षेत्र रामाश्रय आश्रम के संस्थापक आचार्य रामरूप दास ने अपने उद्बोधन में कहा कि अतीत काल से इसे शिव क्षेत्र मानते आ रही है यहाँ श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्रि के अतिरिक्त चैत्र मास में विशिष्ट पर्वों पर क्षेत्रिय जनों का यहाँ धार्मिक, आध्यात्मिक समागम होता है।

सांस्कृतिक दृष्टि से जब हम विचार करते हैं, तो वर्तमान प्रचलित नाम मदकू संस्कृत के मण्डुक्य से मिश्रित अपभ्रंश नाम है। उत्तर वाहिनी शिवनाथ की धाराओं से आवृत्त इस स्थान की सुरम्यता और रमणीयता मांडुक्य ॠषि को बांधे रखने में समर्थ सिद्ध हुई और इसी तपश्चर्या स्थली में निवास करते हुए मांडुक्योपनिषद जैसे धार्मिक ग्रंथ की रचना हुई। शिव का धूमेश्वर नाम से ऐतिहासिकता इस अंचल में विभिन्न अंचल के प्राचीन मंदिरों के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंगों से होती है अर्थात पुरातात्विक दृष्टि से दसवीं शताब्दी ईंसवी सन में यह लोकमान्य शैव क्षेत्र था। दसवीं शताब्दी से स्थापित तीर्थ क्षेत्र के रुप में इसकी सत्ता यथावत बनी हुई है।” जिनके अनुसार -” इंडियन एपिग्राफ़ी के वार्षिक प्रतिवेदन 1959-60 में क्रमांक बी-173 तथा बी 245 पर मदकू घाट बिलासपुर से प्राप्त ब्राह्मी एवं शंख लिपि के शिलालेखों की प्रविष्टि है, जो लगभग तीसरी सदी ईंसवी के हो सकते हैं, भारतीय प्रुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दक्षिण-पुर्वी वृत्त के कार्यालय विशाखापटनम में रखे हैं।” इससे सिद्ध होता है कि मदकू द्वीप का इतिहास गौरवशाली रहा है। यहाँ की प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने का एवं प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त इस द्वीप का पर्यटन वह धार्मिक स्थल के रूप में विकास करने का अति आवश्यकता है।

24 हेक्टेयर में फैले मदकू द्वीप के पास ही एक और छोटा द्वीप 5 हेक्टेयर का है। दोनों बीच टूरिस्ट बोटिंग का आनंद लेते हैं। जैव विविधता से परिपूर्ण द्वीप में माइक्रो क्लाइमेट (सोला फॉरेस्ट) निर्मित करता है। यहां विशिष्ट प्रजाति के वृक्ष पाए जाते हैं। इसमें चिरौट (सिरहुट) के सदाबहार वृक्ष प्रमुख हैं। शिवनाथ नदी के बहाव ने मदकू द्वीप को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक हिस्सा लगभग 35 एकड़ में है, जो अलग-थलग हो गया है। दूसरा करीब 50 एकड़ का है, जहां 2011 में उत्खनन से पुरावशेष मिले हैं। मुख्य द्वार से अंदर पहुंचते ही दायीं तरफ पहले धूमेश्वर महादेव मंदिर और फिर श्रीराम केवट मंदिर आता है। थोड़ी दूर पर ही श्री राधा कृष्ण, श्री गणेश और श्री हनुमान के प्राचीन मंदिर भी हैं। 11वीं सदी के कल्चुरी कालीन पुरावैभव की कहानी बयां करते हैं। यही पर ऋषि ने ‘माण्डूक्योपनिषद्’ की रचना की। संविधान में समाहित किए गए ‘सत्यमेव जयते’ भी इसी महाकृति के प्रथम खंड का छठवां मंत्र है।अंत में आचार्य रामरूप दास जी ने कहा कि केदार द्वीप /मदकु दीप को सरकार द्वारा प्रमुख धार्मिक आस्था के केंद्र ग्रुप में विकसित करने की आवश्यकता है।

उक्त अभिनंदन समारोह का संचालन भुवन वर्मा संयोजक, किशोर दुबे शिव सारथी प्रमोद साहू श्रीमती ममता गुप्ता अध्यक्षा ने किया। हरीहर ओक्सीजोन के श्रीमती रेखा नेहरू अग्रवाल, शोभा तावडकर, गौरी गुप्ता,मोहित श्रीवास, गणेश सोनवानी, शशिकांत जायसवाल, संजय डायमंड ,अजय रजक, योगेश गुप्ता, संतोषी वर्मा, विद्या दुबे,संध्या सारथी सुमित्रा कोरी ,कल्पना गुप्ता सहित हरिहर ऑक्सीजोन वृक्षारोपण अभियान समिति के बड़ी संख्या में सदस्यगन उपस्थित थे।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *