आज हम आपके लिए कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी शिवलिंग के बारे में कुछ दिलचस्प बातें लेकर आएं हैं

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हमारे देश में कई ऐसे रहस्यमयी जगह और मंदिर हैं जिसके बारे में अभी तक ज्यादा लोगों को नहीं पता है. यही कारण है जब हम कहीं घूमने जाते हैं तो इन जगहों पर जाने से वंचित रह जाते हैं. हिमाचल प्रदेश भी अपनी अनोखी सुंदरता और खूबसूरत पहाड़ी के लिए जाना जाता है. आज हम आपके लिए कुल्लू जिले के एक अनोखे और रहस्यमयी शिवलिंग के बारे में कुछ दिलचस्प बातें लेकर आएं हैं, जिसका काफी ज्यादा धार्मिक महत्व है.

बता दें कि ये रहस्यमयी मंदिर को कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में स्थित बिजली महादेव के रूप में जाना जाता है, जो 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये मंदिर शिव जी को समर्पित है. इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है. मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग पर हर 12 साल में रहस्यमय तरीके से बिजली के बोल्ट से टकराता है. इस रहस्य को अभी तक कोई नहीं समझ पाया है और बिजली गिरने की इस घटना की वजह से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं.माना जाता है कि मंदिर के पुजारी हर टुकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें अनाज, दाल के आटे और कुछ अनसाल्टेड मक्खन से बने पेस्ट के उपयोग से जोड़ते हैं. कुछ महीनों के बाद शिवलिंग पहले जैसा लगने लगता है.

स्थानीय मान्यता

स्थानीय लोगों के अनुसार, पीठासीन देवता क्षेत्र के निवासियों को किसी भी बुराई से बचाना चाहते हैं, जिस वजह से बिजली शिवलिंग से टकरा जाती है. कुछ लोगों का मानना है कि बिजली एक दिव्य आशीर्वाद है, जिसमें विशेष शक्तियां होती हैं. यह भी माना जाता है कि देवता स्थानीय लोगों का भी बचाव करते हैं.

कथा

ऐसा कहा जाता है कि एक बार कुल्लू की घाटी में कुलंत नाम का एक राक्षस रहता था. एक दिन, उसने एक विशाल सांप में अपना रूप बदल दिया और पूरे गांव में रेंगते हुए लाहौल-स्पीति के मथन गांव पहुंच गया. ऐसा करने के लिए, उन्होंने ब्यास नदी के प्रवाह को रोकने की कोशिश की, जिस वजह से गांव में बाढ़ आ गई थी. भगवान शिव राक्षस को देख रहे थे, गुस्से में उन्होंने उसके साथ युद्ध करना शुरू कर दिया. 

शिव द्वारा राक्षस का वध करने के बाद और सांप को तुरंत मारने के बाद, वे एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिससे इस शहर का नाम कुल्लू पड़ गया. बिजली गिराने को लेकर लोक मान्यता है कि भगवान शिव के आदेश से भगवान इंद्र हर 12 साल में बिजली गिराते हैं.

कैसे पहुंचे मंदिर

मंदिर कुल्लू से लगभग 20 किमी दूर स्थित है और यहां तक आप 3 किमी का ट्रैक करते हुए पहुंच सकते हैं. ये ट्रैक पर्यटकों के लिए काफी मजेदार है. घाटियों और नदियों के कुछ मनोरम नजारों का आनंद लेने के लिए ये जगह बेस्ट है.

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