गंगा इमली का पेड़ भूमि को बनाता है उपजाऊ, इसमें मिले हैं भूमि को स्थिर रखने के गुण

0

बिलासपुर। अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाता है गंगा इमली का पेड़। अहम बात यह है कि इसमें भूमि को स्थिर रखने के गुण भी मिले हैं। इसलिए पौधरोपण की सूची में इसका भी नाम बहुत जल्द देखा जा सकेगा।

खोज, अनुसंधान और अंत में मिलने वाले परिणाम के बीच, अब गंगा इमली के पेड़ में बेहद अनोखे गुणों का होना पाया गया है। जो अहम जानकारी सामने आई है, उसके बाद माइंस एरिया में पक्के तौर पर न केवल हरियाली लाई जा सकेगी बल्कि ऐसे क्षेत्रों में फसल भी ली जा सकेगी, जिसे अनुपजाऊ मानकर छोड़ा जा चुका है।

यहां मिली सफलता

90 का दशक अहम था जब वानिकी वैज्ञानिकों ने कोरबा की खुली कोयला खान में पहला प्रयोग किया। गेवरा, कुसमुंडा तथा बिश्रामपुर ओपन कास्ट माइंस एरिया में खनन के बाद निकली बेकार मिट्टी के पहाड़ों पर गंगा इमली के पौधों का रोपण किया। सतत निगरानी और संरक्षण के कुछ ही सालों बाद गंगा इमली के पौधे पेड़ बनते गए और मेहनत सफल रही।

साथ में इस पर भी काम

वानिकी वैज्ञानिकों ने खान क्षेत्र में पौधे लगाने के बाद उसके गुणों की भी खोज की थी। जिसमें महत्वपूर्ण खुलासा हुआ कि गंगा इमली के पेड़ बंजर भूमि को ना केवल उर्वर बनाते हैं बल्कि भूमि को स्थिर करने में भी मदद करते हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण सफलता थी।

फल है इम्यूनिटी बूस्टर

विटामिन-सी और इम्यूनिटी बूस्ट करने के मिले हैं गुण । शोध में इसके फल में एंटी ऑक्सीडेंट का होना भी पाया गया है। सेवन से कैंसर की बढ़ती कोशिकाओं को रोका जा सकेगा। डायबिटीज टाइप-टू पर भी प्रभावी नियंत्रण रखता है। पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए इसके फल का सेवन किया जा सकता है।

अब पौधरोपण में

ताजा-ताजा तैयार हुई वन संपदा योजना में गंगा इमली का नाम भले ही नहीं जुड़ा है लेकिन अनुसंधान में हुए खुलासे के बाद बहुत जल्द वन विभाग और निजी क्षेत्र के नर्सरियों में इसके पौधे दिखाई देने लगेंगे क्योंकि यह प्रजाति ज्यादा देखरेख नहीं मांगती। बारिश के पानी में ही यह पूरे साल जिंदा रह सकता है।

चिंता और अवसाद से राहत दिलाता है

जंगल जलेबी फल टैनिन,फ्लेवोनोइड, अल्कलॉइड एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं l इन फाइटोन्यूट्रिएंट्स में शक्तिशाली बायो एक्टिव लक्षण होते हैं, जो चिंता, अवसाद और सकारात्मक मूड को प्रभावित करने के अलावा स्मृति, अनुभूति, मस्तिष्क शक्ति को बढ़ाते हैं l

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *