सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखों को मंजूरी देने से इनकार

0

नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर दिल्ली सरकार की ओर से लगाए गए बैन के मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. सर्वोच्चअदालत ने शुक्रवार को बेरियम सॉल्ट वाले ग्रीन पटाखों को मंजूरी देने से इनकार किया. देश की सबसे बड़ी अदालत  ने इसके नुकसान को देखते हुए 2018 में बैन कर दिया था. पटाखा निर्माताओं ने याचिका दायर करते हुए 30 फीसदी कम धुआं छोड़ने वाले पटाखों के लिए मंजूरी की मांग की थी. जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश ने कहा, ‘हमने आवेदन को स्वीकार नहीं किया है. जहां भी हमारे पहले के आदेश का उल्लंघन होगा, उसे हले के आदेशों के अनुसार रेग्युलेट किया जाएगा.’ याचिका में बेरियम आधारित ग्रीन पटाखों के लिए मंजूरी मांगी गई थी और लड़ियों से रोक हटाने की गुजारिश की गई थी याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत से गुजारिश की कि मुद्दे को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाएगा. इसके जवाब में कोर्ट ने कहा, ‘हम सिर्फ हैपी दिवली कह सकते हैं.’ कोर्ट ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पारंपरिक पटाखे जलाने को लेकर, अपने 2018 के प्रतिबंध और निर्देशों को दोहराया है. बेंच ने कहा, ‘हम पटाखों की लड़ियों और बेरियम युक्त पटाखों के निर्माण एवं बिक्री की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने वाली दो याचिकाएं खारिज कर रहे हैं. हमने 2018 के निर्देशों में हस्तक्षेप नहीं किया है और उन्हें दोहराया है.’ न्यायालय ने 14 सितंबर को दिल्ली पुलिस को किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री और भंडारण के लिए अस्थाई लाइसेंस जारी न करने का निर्देश दिया था.कोर्ट ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ‘बेरियम’ युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.उसने कहा था कि जब दिल्ली सकरार ने सभी पटाखों को प्रतिबंधित कर दिया है, तो उनके हरित होने या नहीं होने के आधार पर उनमें कोई भेद नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था और केवल हरित पटाखे जलाने की अनुमति दी थी. गौरतलब है कि पिछले दिनों दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर पटाखों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *