सुश्री श्रीश्वरी देवी का दिव्य दार्शनिक प्रवचन का चौथा दिवस

भुवन वर्मा बिलासपुर 27 मई 2023

बिलासपुर । पंचम मूल जगद्गुरु भक्तियोग रसावतार 1008 स्वामी श्री कृपालु जी महाराज की कृपा प्राप्त प्रचारिका सुश्री श्रीश्वरी देवी जी द्वारा चौथे दिन के प्रवचन में बताया गया कि भगवान को भगवत्कृपा द्वारा ही जाना जा सकता है, और भगवत्कृपा शरणागति द्वारा ही मिलेगी। दीदी जी ने वेदों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो यह समझता है कि ईश्वर समझने का विषय है वह नासमझ है। भगवान इंद्रिय, मन, बुद्धि से परे है। हमारी इंद्रिय,मन, बुद्धि मायिक है, मटीरियल है किंतु भगवान दिव्य है, इसलिए हमारी मायिक इंद्रिय,मन, बुद्धि भगवान को ग्रहण नहीं कर सकती ।

महानतम बुद्धिमानों की बुद्धि से भी भगवान को हमारी मायीक इंद्रिय, मन, बुद्धि से नहीं जाना जा सकता, अपितु जिस बड़भागी जीव पर भगवान कृपा कर दे और अपनी दिव्य शक्ति प्रदान कर दे वही भाग्यशाली जीव इस अज्ञेय भगवान को पूर्णतया जान लेता है एवं इस अदृश्य ईश्वर का पूर्णतया दर्शन कर लेता है किंतु भगवान की यह कृपा भी कोई आकस्मिक घटना नहीं है कि एक पर कृपा हो जाये और दूसरे पर ना हो । अपितु ये कृपा भी किसी आधार पर आधारित है वह किसी कारण की अपेक्षा रखती है, वह कारण क्या है जिसके पूर्ण करने पर भगवान की कृपा (भगवत्कृपा) होती है। इस प्रश्न के उत्तर में वेद गीता, भागवत, रामायण के साथ–साथ अन्य धर्मग्रंथों तथा बाइबिल, कुरानशरीफ, गुरुग्रंथ साहिब इत्यादि से प्रमाण प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान शरणागत पर ही कृपा करते है, अर्थात हमें भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान की शरण मे जाना होगा। शेष पांचवे दिन के प्रवचन में बताया जायेगा।

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