खास खबर जो हम सब को जानना जरूरी : छत्तीसगढ़ में आरक्षण का नया कोटा – आदिवासी समाज को 32%, SC को 13%, OBC को 27% और EWS को 4% रिजर्वेशन, कैबिनेट की बैठक में विधेयकों को मंजूरी
खास खबर जो हम सब को जानना जरूरी : छत्तीसगढ़ में आरक्षण का नया कोटा – आदिवासी समाज को 32%, SC को 13%, OBC को 27% और EWS को 4% रिजर्वेशन, कैबिनेट की बैठक में विधेयकों को मंजूरी
भुवन वर्मा बिलासपुर 25 नवम्बर 2022
रायपुर । आरक्षण पर अहम फैसला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण का नया कोटा तय हुआ है। सरकार आदिवासी वर्ग-ST को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32% आरक्षण देगी, अनुसूचित जाति- SC को 13% और सबसे बड़े जातीय समूह अन्य पिछड़ा वर्ग OBC को 27% आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण दिया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने दो विधेयकों में बदलाव के प्रारूप को मंजूरी दी है। आरक्षण के अलावा भूपेश कैबिनेट में पीड़ितों की मदद के लिए मुआवजा बढ़ा दिया है।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया, विधानसभा के विशेष सत्र में पेश करने वाले विधेयक के मसौदे पर चर्चा हुई। उसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और EWS के आरक्षण पर भी बात हुई है। उच्च न्यायालय ने जिला कैडर का आरक्षण भी खारिज किया था। वह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पहले उसे एक आदेश के तहत दिया जाता था। अब उसको भी एक्ट में लाया जाएगा।
कृषि, पंचायत और संसदीय कार्य विभाग के मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आरक्षण
मामले में जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं, उसको लेकर राज्य सरकार बहुत गंभीर है। तय हुआ है कि आरक्षण अधिनियम के जिन प्रावधानों को उच्च न्यायालय ने रद्द किया है, उसे कानून के जरिये फिर से प्रभावी किया जाए। इसके लिए लोक सेवाओं में आरक्षण संशोधन विधेयक-2022 और शैक्षणिक संस्थाओं के प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक-2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। इन विधेयकों को एक-दो दिसम्बर को प्रस्तावित विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा।’
मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, “सरकार बार-बार यह कह रही है कि सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% तक (UP TO) आरक्षण देने को उचित बता चुकी है तो उसका भी पालन किया जाएगा।’ मंत्री ने कानूनी बाध्यताओं की वजह से विधानसभा में विधेयक पेश होने से पहले आरक्षण का अनुपात नहीं बताया। लेकिन सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यह ST के लिए 32%, SC के लिए 13%, OBC के लिए 27% और सामान्य वर्ग के गरीबों-EWS के लिए 4% तय हुआ है।मंत्री रविंद्र चौबे ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। नवीं अनुसूची में शामिल कराने का आग्रह भी बताया जा रहा है, सरकार इस विधेयक के साथ एक संकल्प पारित करने पर विचार कर रही है। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा कि वह छत्तीसगढ़ के आरक्षण कानून को संविधान की नवीं
अनुसूची में शामिल कर ले। इस तरह का प्रस्ताव तमिलनाडू ने भेजा था। कर्नाटक भी ऐसा ही कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, अधिनियम के नवीं
अनुसूची में शामिल होने का प्रभाव यह होता है कि उसे किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दिया जा सकता। फिलहाल यही एक
रास्ता दिख रहा है जिससे आरक्षण को अविवादित रखा जा सकता है। तीन राज्यों की अध्ययन रिपोर्ट और क्वांटिफायबल डाटा पर भी बात
आरक्षण मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय ने अनुपात बढ़ाने के औचित्य और आधार पर सवाल उठाये थे।