ट्विन टावर को जमींदोज करने वाले सुपर मेंन वैज्ञानिक डॉ हर्ष कुमार वर्मा हैं छत्तीसगढ़ सपूत : धराशाई करने के लिए मानते हैं सबसे बड़ा चैलेंजिंग आसपास के लोगों को रखना था सेफ , नोएडा के ट्विन टावर को गिराने 18 दिन में लगाए थे विस्फोटक
ट्विन टावर को जमींदोज करने वाले सुपर मेंन वैज्ञानिक डॉ हर्ष कुमार वर्मा हैं छत्तीसगढ़ सपूत : धराशाई करने के लिए मानते हैं सबसे बड़ा चैलेंजिंग आसपास के लोगों को सेफ रखना था , नोएडा के ट्विन टावर को गिराने 18 दिन में लगाए थे विस्फोटक
भुवन वर्मा बिलासपुर 4 सितंबर 2022
बिलासपुर । डॉ हर्ष कुमार वर्मा एक ऐसा नाम जो अभी पूरे देश में ट्विन टावर को जमींदोज करने की सुपर मेंन वैज्ञानिक रूप में विशिष्ट स्थान बनाएं हैं । जोकि केंद्रीय खनन अनुसंधान धनबाद की 5 शाखाओं में से प्रथम बिलासपुर शाखा के यूनिट हेड के रूप में कार्यरत हैं । मूलतः छत्तीसगढ़ निवासी डॉ हर्ष वर्मा सरल एवं सहज व्यक्तित्व के धनी अपने काम के प्रति समर्पित कार्य पूजा को पर्याय मानने वाले से हमने आज रूबरू बातचीत की उन्होंने ट्विन टावर धराशाई करने के लिए सबसे बड़ा चैलेंजिंग मानते हैं । जो कि आसपास के 5 हजार लोगों को किस तरह की बिना किसी क्षति जान माल व उनके घर को किस तरह नुकसान के ट्विन टावर को धराशाई करना रहा है । जहां तक हमने इस अभियान में पूर्ण सफलता पाई है। हमारा यह अभियान सफल रहा है इसका श्रेय मैं अपनी पूरी टीम को देता हूं।
ट्विन टावर को गिराने वाली टीम में थे प्रमुख छत्तीसगढ़के ग्राम कोसमंदी पलारी जिला बलौदाबाजार के डॉ. हर्ष कुमार वर्मा, अफ्रीकी तकनीक का उपयोग करते हुए यह पूरा ऑपरेशन किया गया है। विदित हो कि नोएडा में हाल ही में ट्विन टॉवर को गिराने वाले डॉ. हर्ष कुमार वर्मा हमारे छत्तीसगढ़ के पलारी बलोदा बाजारके सेवानिवृत्त शिक्षक देवकराम वर्मा और श्रीमती कंचन वर्मा के सुपुत्र हैं। पलारी से 5 किलोमीटर और राजधानी से 75 किमी दूर ग्राम कोसमंदी पलारी उनका पैतृक निवास है।
डॉ. हर्ष वर्मा काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की बिलासपुर यूनिट के प्रमुख हैं। उन्हें इस काम को कुशलता पूर्वक अंजाम देकर 18 दिन लगे। वे दिल्ली से वापस बिलासपुर आ गए हैं। डॉ. वर्मा रूड़की सेंटर में 20 साल सेवा दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एवं फ्यूल और काउंसिल आफ सर्टिफिकेटका विशिष्ट योगदान रहा है ।
इस महा अभियान की चर्चा क्या आपने अपने अभिभावक से किया था । इस पर डॉ. हर्ष कुमार वर्मा ने बताया कि बाबूजी देवकराम वर्मा (74) और अम्मा श्रीमती कंचन वर्मा (65) को अलबत्ता ऑपरेशन का पूरा प्लॉन इसीलिए नहीं बताया कि दोनों चिंता करते और इस उम्र में कोई तनाव देना नही चाहता था ।
भारत सरकार ने इस कार्य को अंजाम देने के लिए सेंट्रल इंस्ट्टीयूट ऑफ माइनिंग एंड काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रिलय रिसर्च को चुना गया था। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल के हेड प्रधानमंत्री मोदी हैं। काउंसिल ऑफ सांइटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च धनबाद के पूरे देश में 5 यूनिट हैं- बिलासपुर, नागपुर, रांची, डिगवाडीह (बिहार) और रूड़की। वहीं सेंट्रल इंस्टीयूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल के देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर 38 लैब हैं। इस ट्विन टावर महा अभियान में उन्होंने बताया कि दोनों टावरों में विस्फोटक बिछाने में 18 दिन लगे थे ।
इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी उनकी धर्मपत्नी अच्छे मित्र श्रीमती निशा वर्मा को सबसे पहले दी थी,हर्ष वर्मा दो बेटियों के पापा हैं ।
इस महाबऑपरेशन को हाई स्पीड ड्रोन कैमरे से रिकॉर्ड किया गया,,
डॉ. हर्ष वर्मा ने बताया कि साइंटिफिक एप्रोच के साथ पूरे ऑपरेशन को लांच किया गया। ऑपरेशन को हाई स्पीड ड्रोन कैमरे से रिकॉर्ड भी किया गया है। उन्होंने बताया कि ट्वीन टॉवर को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त करने के लिए वैज्ञानिकों और कोर टीम ने विस्फोट, डिजाइन व ब्लास्टिंग की पूरी कार्यप्रणाली में अफ्रीका आधारित एडिफिस जेट डेमोलिशन तकनीक का सहयोग लिया। उन्होंने बताया कि पूरे ऑपरेशन की मॉनीटरिंग के लिए कंप्लीट सिस्टम विकसित किया गया था। कम से कम नुकसान हो, इसके लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट भी किया गया था। भवन को ध्वस्त करने के दौरान मलबे के साथ यदि 4 टन का पत्थर नीचे गिर रहा है तो उसके गिरने की गति और गिरने पर होने वाले को नुकसान को कम करने का आंकलन और प्रारूप पहले ही तैयार कर लिया गया था। आसपास के भवनों को जियो टेक्सटाइल से कवर किया गया।
अपने कार्य के प्रति समर्पित सेवा पर विशिष्ट योगदान के लिए सीएसआईआर के टेक्नोलॉजी अवार्ड 2018 से दिल्ली के एक भव्य नेशनल आयोजन में सम्मानित किया गया है ।
सफल ऑपरेशन में शामिल टीम के अन्य सदस्य
• धनबाद से डॉ. स्वामलिआना (मुख्य वैज्ञानिक) डॉ. रणजीत पासवान (वैज्ञानिक) • राकेश कुमार (वरिष्ठ
तकनीको अधिकारी) पुष्पेन्द्र पटेल (तकनीकी अधिकारी) सैकत बनर्जी (तकनीकी सहायक) असरानी योगदान रहा जिससे यह अभियान सफल हुआ । डॉ हर्ष कुमार वर्मा बिलासपुर ने मन की बात अस्मितावेबन्यूज़ से की । इनकी टीम अनेक महत्वपूर्ण कार्य अभी वर्तमान में कर रही है । जैसे पुणे मुंबई मेट्रो ,अटल टनल जैसे बड़े-बड़े प्रोजेक्ट इस यूनिट के हाथ में है ।