नदी का अस्तित्व बचाने छत्तीसगढ़ व ओडिशा के ग्रामीणों ने किया पौधरोपण एकजुटता : ग्रामीणों ने नदी किनारे किया एक साथ 80 हजार पौधों का रोपण

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नदी का अस्तित्व बचाने छत्तीसगढ़ व ओडिशा के ग्रामीणों ने किया पौधरोपण एकजुटता : ग्रामीणों ने नदी किनारे किया एक साथ 80 हजार पौधों का रोपण

भुवन वर्मा बिलासपुर 23 अगस्त 2022

हेमंत कश्यप की रिपोर्ट

जगदलपुर। जिस नदी किनारे की जमीन पर खेती करने दो राज्यों के ग्रामीणों के बीच होड़ मची थी। वही ग्रामीण अब नदी को बचाने तथा उसे प्रवाहमय बनाए रखने नदी किनारे अस्सी हजार पौधों का रोपण किए। रविवार को छत्तीसगढ की तरह ओडिशा के लोग तो ओडिशा तट की तरफ छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों ने पौधरोपण किया। इस मौके पर दोनों राज्यों के आठ गांवों के सैंकड़ों ग्रामीण नदी किनारे जुटे।

जिला मुख्यालय से लगभग साठ किमी दूर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर कुरंदी नदी है। नदी किनारे की जमीन पर कब्जा करने लोगों में होड़ मची थी इसलिए नदी का उद्गम क्षेत्र प्रवाहहीन हो चुका था। नदी को सूखते देख कर दोनों राज्यों के ग्रामीणों को अपनी गलतियों का अहसास हुआ। उन्होंने आपसी सहमति से नदी किनारे सघन पौधरोपण का निर्णय लिया। इसके चलते ही रविवार को ग्राम बड़कूना में कुरंदी नदी के उदगम क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के संध करमरी, बदलावंड, सानदेवड़ा, आवराभांठा तो उड़ीसा के हिरलागुड़ा, बड़कूना, सीवनासोरा, बेड़ागुड़ा आदि गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने विभिन्न 22 प्रजाति के अस्सी हजार पौधों का रोपण किया।

यह यह वृहद पौधरोपण विधिक एवं पर्यावरण कार्य संस्था लिफ तथा ग्रो ट्री मुंबई के संयुक्त प्रयास से संभव हो पाया है। इस वृहद पौधारोपण कार्य में किसी भी तरह की शासकीय मिशनरी की मदद नहीं ली गई है। लीफ संस्था के अध्यक्ष अर्जुन नाग ने बताया कि कुरंदी नदी के 10 किमी क्षेत्र में तटीय क्षेत्र में पौधरोपण किया जाना है। यह पौधरोपण कार्यक्रम लगातार तीन दिनों तक जारी रहेगा।

जंगल बढ़ाने भी वृहद पौधरोपण

सूखती कुरंदी नदी को बचाने में जुटे ग्रामीणों ने बिना सरकारी मदद के अपने सिमटते जंगलों को बचाने भी पौधरोपण शुरू कर दिया है। इस क्रम में रविवार को सान देवड़ा में बच्चों से लेकर बड़े बूढ़ों ने बीस हजार पौधों का भी रोपण किया। ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने संध करमरी क्षेत्र का तीन हजार एकड़ जंगल बचाने वाले वयोवृद्ध दामोदर कश्यप लिफ संस्था के अधिवक्ता अर्जुन नाग, इंद्रावती बचाओ अभियान के सूत्रधार किशोर पारेख विशेष तौर पर मौजूद रहे। जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर सान देवड़ा का जंगल अवैद्य कटाई के चलते तेजी से सिमट रहा है। इस संदर्भ में पिछले दिनों संध करमरी में ग्रामीणों की बैठक हुई थी। जिसमें लिफ संस्था के सदस्य भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। संस्था ने मुंबई की सामाजिक संस्था ग्रो ट्री की मदद से ग्रामीणों को बीस हजार पौधे नि:शुल्क उपलब्ध कराया। यहां के दारजोराम कश्यप, देवीसिंह बघेल, सोनाघर बघेल, बुधरु सेठिया, हीरासिंह सेठिया, जोगीराम कश्यप, डमरु सेठिया, पुजारी गुमान कश्यप, जय मंगल बघेल, उमेश कश्यप, कोहडीराम बघेल, राजपाल कश्यप और पीआर कच्छ ने बताया कि सान देवड़ा का जंगल सीमावर्ती राज्य के लकड़ी तस्करों द्वारा कटाई किए जाने से तेजी से सिमट रहा था। ग्रामीणों की सजगता से कटाई बंद हुई है। अपने बिगड़े निस्तारी जंगल को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से हम पौधरोपण कर रहे हैं। लिव संस्था के अध्यक्ष अर्जुन नाग ने बताया कि रोपणी क्षेत्र में कांटेदार तारों की घेराबंदी की जाएगी। पौधों की सुरक्षा का दायित्व ग्राम पंचायत तथा संस्था के सदस्यों ने उठाई है।

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