तिल्दा नेवरा पालिकाध्यक्ष चुनाव में बड़ा उलटफेर, पूर्ण बहुमत के बाद भी भाजपा की करारी हार
भुवन वर्मा, बिलासपुर 06 जनवरी 2020
कांग्रेस की लेमीक्षा गुरु डहरिया बनी अध्यक्ष , उपाध्यक्ष पद भाजपा की झोली में कांग्रेस की जीत के नायक रहे महेश अग्रवाल
तिल्दा नेवरा. तिल्दा नेवरा पालिका अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा उलटफेर करते हुए भाजपा को करारी शिकस्त दी। 22 पार्षदों वाली परिषद में कांग्रेस की लेमीक्षा गुरु को 15 और भाजपा की कृष्णा अनिल शर्मा को 7 मत मिले। उल्लेखनीय है कि 22 पार्षदों वाली पालिका में भाजपा 13 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत में थी, वहीं कांग्रेस के महज 6 पार्षद ही निर्वाचित हुए थे , 2 सीटें जोगी कांग्रेस और एक सीट निर्दलीय का खाते में गई थी। 24 दिसंबर को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ऐसा लग रहा था कि भाजपा आसानी से अपना अध्यक्ष बना लेगी लेकिन 6 सदस्यों वाली को कांग्रेस प्रत्याशी को जब 15 मत मिलें तो लोगों को एकबार विश्वास ही नहीं हुआ। पालिकाध्यक्ष चुनाव को लेकर आज सुबह से ही नगर में गहमागहमी का माहौल था। राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, कांग्रेस की तिल्दा की चुनाव प्रभारी प्रतिमा चंद्राकर, पूर्व पालिका अध्यक्ष महेश अग्रवाल आदि सुबह से ही मोर्चा सम्हाले हुए थे। उधर भाजपा में सुबह से बैठकों का सिलसिला चल रहा था, भाजपा की ओर से रायपुर के भाजपा नेता लोकेश कावड़िया मोर्चा सम्हाले हुए थे। कांग्रेस ने कल ही अध्यक्ष पद के लिए लेमीक्षा गुरु, और उपाध्यक्ष पद के लिए प्रदीप अग्रवाल का नाम तय कर दिया था , भाजपा ने आज बैठक में पार्षदों से राय मशवरा करके अपने प्रत्याशी घोषित किये थे, अध्यक्ष पद के लिए कृष्णा अनिल शर्मा के नाम पर आम सहमति थी, लेकिन उपाध्यक्ष पद के लिए विकास सुखवानी का नाम पर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी, अंततः कृष्णा शर्मा एवं विकास सुखवानी के नाम पर भाजपा ने व्हिप जारी किया।
सुबह 11 बजे नगर भवन में सभी पार्षदों को निर्वाचन अधिकारी विनीत नन्दनवार ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। 12 बजे से नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस से लेमीक्षा गुरु और भाजपा से कृष्णा शर्मा ने तथा उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस से प्रदीप अग्रवाल और भाजपा से विकास सुखवानी ने नामांकन दाखिल किया। तत्पश्चात शाम 4 बजे नवनिर्वाचित पार्षदों के प्रथम सम्मेलन बुलवा कर निर्वाचन अधिकारी ने मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ करवाई। मतदान के बाद शाम 5.15 बजे नतीजे घोषित किये गए। 13 पार्षदों वाली भाजपा को मात्र 7 मत मिले वहीं 6 सदस्यों वाली कांग्रेस ने भाजपा को चारों खाने चित्त करते हुए 15 मत हासिल किया। उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा के विकास सुखवानी को 12 तो कांग्रेस के प्रदीप अग्रवाल को 10 मत मिले। नतीजों की घोषणा होते ही कांग्रेसी खेमे में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, सभी कार्यकर्ता एक दूसरे को बधाइयां देने लगे। कांग्रेस की ओर से पहले दिन से ही मोर्चा सम्हालने वाले निवर्तमान पालिका अध्यक्ष महेश अग्रवाल को कार्यकर्ताओं ने कंधों में उठा कर खुशी का इजहार किया। जीत के बाद कांग्रेस के उत्साहित कार्यकर्ताओं ने नगर भ्रमण कर नगरवासियों का धन्यवाद किया। उल्लेखनीय है कि 22 पार्षदों वाली पालिका में 13 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत लाने वाली भाजपा को मात्र 7 मत मिले मतलब भाजपा के 6 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। एकतरफ जहां भाजपा पार्षदों में तालमेल का अभाव था वही कांग्रेस के सभी पार्षद अभूतपूर्व रूप से एकजुट दिखे।
तिल्दा नेवरा की राजनीति के चाणक्य बने महेश अग्रवाल
केंद्र की राजनीति में भले ही गृहमंत्री अमित शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता हो लेकिन तिल्दा वासियों की नजर में तिल्दा की राजनीति के असली चाणक्य निवर्तमान पालिकाध्यक्ष महेश अग्रवाल हैं।परिषद में अल्पमत में होने के बाद भी कांग्रेस की लेमीक्षा गुरु अगर अध्यक्ष बनीं हैं तो इसमें सबसे बड़ा योगदान महेश अग्रवाल का ही है। पालिका चुनाव के कुछ समय पूर्व ही कांग्रेस का दामन थामने वाले महेश अग्रवाल पार्षदों के नतीजे आने के बाद से ही पालिका में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की जुगत में लग गए थे। लोगों के बीच ये आम चर्चा थी कि यदि महेश अग्रवाल ने ठान लिया है तो अध्यक्ष कांग्रेस का ही बनेगा भले ही बहुमत में भाजपा हो।कांग्रेस की पर्यवेक्षक प्रतिमा चंद्राकर ने भी संवाददाता से बात करते हुए कहा कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा श्रेय महेश अग्रवाल को जाता है। राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं जीत की बधाई दी।
पुलिस की चाकचौबंद रही व्यवस्था
राजनैतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले तिल्दा में सुबह से ही काफी गहमा गहमी थी। पुलिस की चाकचौबंद व्यवस्था की लोगो ने जमकर तारीफ की। पुलिस की टीम लगातार नगर में पेट्रोलिंग करती रही। किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस टीम पूरी तरह से तैयार दिखी। डीएसपी पारुल अग्रवाल, डीएसपी जे.पी.एन. सिंह, थाना प्रभारी शरद चंद्रा, रायपुर के थाना प्रभारी डी. के.मरकाम आदि ने नगर में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।
तिल्दा नेवरा ब्यूरो दिलीप वर्मा की खास रपट
Сверление водяных скважин на источник воды — это важнейший шаг в проектировании автономной системы снабжения водой загородного дома. Этот подход содержит предварительное обследование, геологическое изучение и оценку подземных вод участка, чтобы выбрать наиболее удачное место для сверления. Глубина водозабора зависит от грунтовых особенностей, что определяет её вид: мелкий источник, скважина до первого водоносного слоя или подземная – https://techno-voda.ru/meshochnye-filtry-i-ih-preimushhestva/ . Грамотно устроенная система забора воды обеспечивает питьевую и постоянную подачу воды в любое время года, исключая вероятность пересыхания и помутнения. Современные технологии позволяют настроить автоматический режим процесс добычи воды, значительно облегчая её эксплуатацию для семейного потребления.
После бурения скважины необходимо организовать систему водоснабжения, чтобы она работала качественной и надежной. Проектирование включает установку насосного оборудования, установку очистительных систем и развод водопроводной системы. Также необходимо запланировать систему управления, которая будет обеспечивать уровень воды и объём потребляемой воды. Утепление в зимний период и обеспечение её бесперебойной работы в холодное время года также крайне важны. С профессиональным подходом к созданию источника и обустройству вы создадите загородный дом качественной водой, придавая удобство приятной и спокойной.
Ленинградская область характеризуется разнообразной геологической конфигурацией, что превращает процедуру создания скважин на воду особенным в каждом районе. Территория включает вариативность почв и водоносных структур, которые требуют профессиональный подход при определении точки и слоя пробивки. Источник воды может залегать как на низкой глубокости, так и доходить до нескольких десятков метров, что определяет затруднение работ.
Важнейшим аспектом, определяющих способ добычи (https://razgovorodele.ru/novosti/effektivnye-sposoby-vykachki-peska-iz-skvazhiny.php ), становится грунтовые слои и глубина водоносного слоя. В Ленинградской области чаще всего бурят артезианские источники, которые обеспечивают доступ к чистой и непрерывной воде из скрытых пластов. Такие скважины известны длительным сроком использования и отличным качеством воды, однако их создание требует существенных затрат и уникального инструментария.
Процесс сверления в регионе подразумевает использование инновационных установок и механизмов, которые могут управляться с каменистыми породами и защищать от возможные обрушения стенок скважины. Важно, что необходимо учитывать природоохранные требования и правила, так как вблизи некоторых населённых пунктов расположены охраняемые природные ресурсы и природоохранные территории, что предполагает особый внимательный подход к буровым процессам.
Вода из артезианских скважин в Ленинградской области известна отличной чистотой, так как она укрыта от внешних воздействий и имеет оптимальный состав полезных веществ. Это превращает такие водные источники необходимыми для частных домовладений и компаний, которые ценят стабильность и чистоту систем водоснабжения.
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