अक्षय तृतीया को माटी पूजन महाभियान शुरू : विधायक, जनपद अध्यक्ष सहित गौठानों-पंचायतों में मनाया गया माटी पूजन दिवस
अक्षय तृतीया को माटी पूजन महाभियान शुरू : विधायक, जनपद अध्यक्ष सहित गौठानों-पंचायतों में मनाया गया माटी पूजन दिवस
भुवन वर्मा बिलासपुर 03 मई 2022
जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और गोमूत्र के उपयोग के लिए जन जागरूकता हेतु मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन
मिट्टी की रक्षा के लिए दिलाई गई शपथ
गौरेला पेंड्रा मरवाही / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप आज अक्षय तृतीया (अक्ती) को माटी पूजन दिवस के रूप में मनाया गया। कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में जिले के सभी गौठानों-पंचायतों में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में माटी पूजन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और गोमूत्र के उपयोग हेतु जन जागरूकता के लिए मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया गया और मिट्टी की रक्षा के लिए शपथ दिलाई गई। विधायक डॉ के के ध्रुव ने जनपद पंचायत मरवाही के डूंगरिया गौठान में माटी पूजन किया और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया तथा शपथ दिलाई।
जनपद पंचायत गौरेला के धनौली गौठान में जनपद अध्यक्ष सुश्री ममता पैकरा ने माटी पूजन किया और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया तथा शपथ दिलाई। इसी सभी गौठानों में स्थानीय जप्रतिनिधयों की उपस्थिति में माटी पूजन दिवस मनाया गया।
माटी पूजन कार्यक्रम में श्री मनोज गुप्ता, श्री बेचू अहरिश, जिला पंचायत सदस्य श्री शुभम पेन्द्रों, जनपद पंचायत अध्यक्ष मरवाही श्री प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष श्री अजय राय, सांसद प्रतिनिधि श्री राकेश मसीह, श्री ज्ञानेंद्र उपाध्याय, जिला पंचायत (डीआरडीए) के परियोजना निदेशक श्री आरके खूटे, जनपद पंचायत सीईओ गौरेला श्री यशपाल सिंह, जनपद पंचायत सीईओ मरवाही डॉ राहुल गौतम, जनपद पंचायत सीईओ पेंड्रा सुश्री इंदिरा मिश्रा सहित सरपंच गण, गौठान प्रबंधन समिति के पदाधिकारी, स्व सहायता समूह की महिलाएं, कृषि, उद्यानकी, पशुपालन, ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, गणमान्य नागरिक एवं ग्रामवासी उपस्थित थे। इस अवसर पर किसानों को मक्का बीज एवं वर्मी कंपोस्ट का वितरण भी किया गया।
विधायक डॉ ध्रुव ने मुख्यमंत्री के संदेश का वचन करते हुए कहा कि जम्मो संगवारी मन ला जोहार, जम्मो झन ला अक्ती तिहार के बधाई। आज अक्षय तृतीया है, जिसे हम लोग अक्ती तिहार के रूप में मनाते हैं। अक्षय का अर्थ होता है, जिसका कभी क्षरण न हो। आज के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। जिस भी काम की आज शुरुआत होती है, उसकी पूर्णता निश्चित मानी जाती है। शादी-ब्याह के लिए भी आज के दिन मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। अक्ती का यह दिन हमारी संस्कृति के साथ-साथ हमारी कृषि परंपरा में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज के दिन से ही नयी फसल के लिए तैयारी शुरु हो जाती है। मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों शादी की परंपरा के माध्यम से हमारे पुरखों ने इस त्यौहार को हमारी धरती से भी जोड़ा है। उनका संदेश यही था कि हमारे जीवन का मूल यही माटी है। इसे हमेशा जीवंत मानते हुए, उसका आदर-सम्मान करना चाहिए।
पिछले कुछ दशकों में हमने अपने खेतों में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का बहुत ज्यादा उपयोग किया है। इससे हमारी धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। हमारे अनाज विषैले होते जा रहे हैं। हमारे स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है। हमारे पशुओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर हो रहा है। हम इस समय जिन तौर-तरीकों से खेती कर रहे हैं, वह प्रकृति की पूजा और सेवा की हमारी परंपरा के अनुरूप नहीं है। यह समय अपनी स्वस्थ्य परंपराओं की ओर लौटने का समय है। अपनी माटी और अपनी धरती को यदि हमने अभी नहीं बचाया तो फिर बाद में बहुत देर हो चुकी होगी। इसीलिए पुरखों के बताए रास्ते पर चलते हुए आज अक्ती के शुभ दिन से हम छत्तीसगढ़ में माटी-पूजन महाभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इस महाभियान में हम रासायनिक खादों और कीटनाशकों की जगह जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और गौ-मूत्र के उपयोग को ज्यादा से ज्याद बढ़ावा देंगे। रासायनिक खेती से प्रकृति और मानव जीवन को होने वाले नुकसान को लेकर लोगों को जागरूक करेंगे। अपने अन्न को रसायनों के विष से मुक्त करते हुए लोगों को जैविक अन्न के उपयोग के लिए प्रेरित करेंगे। इन सबके साथ-साथ खेती-किसानी में आने वाली लागत को कम करते हुए अपनी खेती को और ज्यादा फायदेमंद बनाएंगे। इस तरह हम अपनी सतत और टिकाऊ खेती का विस्तार करेंगे। प्रकृति के साथ अपने संबंध को फिर से मजबूत करेंगे। यह महाभियान पूरे छत्तीसगढ़ में एक साथ शुरू हो रहा है। इसके लिए शासन की ओर से अवश्य पहल की जा रही है, लेकिन यह महाभियान हर छत्तीसगढ़िया का अपना महाभियान है। हम सबको मिलकर इसे सफल बनाना है।
विधायक ने माटी पूजन दिवस पर लोगों को शपथ दिलायी कि हम हमारी मिट्टी जिसे हम माता, भुईयां कहते हैं उसकी रक्षा करेंग। हम अपने खेत, बगीचो और घरो में जैविक खाद का उपयोग करेंगे। हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे हमारी मिट्टी, पानी की सेहत खराब हो। हम हानिकारक रसायनों के कारण भूमि, जल को होने वाले नुकसान के प्रति सबको सचेत कर पर्यावरण की रक्षा करेंगे। हम आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ पानी, शुद्ध हवा और उपजाऊ मिट्टी बचाएंगे।
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