देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा – पं० रामकुमार शर्मा : श्रीमति बसंती देवी वर्मा की स्मृति में श्री मद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ कथा का हुआ आयोजन
देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा – पं० रामकुमार शर्मा : श्रीमति बसंती देवी वर्मा की स्मृति में श्री मद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ कथा का हुआ आयोजन
भुवन वर्मा बिलासपुर 25 अप्रेल 2022
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
तिल्दा/ खुडमुडी । ग्राम खुड़मुड़ी में स्व० श्रीमति बसंती देवी वर्मा की स्मृति में 14 अप्रैल से 22 अप्रैल तक श्री मद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ कथा का आयोजन किया गया था। इस कथा के मुख्य यजमान डॉ डीपी वर्मा ,श्रीमती तनुजा टी आर वर्मा ,श्रीमती रुकमणी डॉ ढालेंद्र वर्मा थे। कथा भागवताचार्य पं० रामकुमार शर्मा गरियाबंद ( मजरकटा वाले) ने अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं को सात दिनों तक कथा श्रवण कराते हुये जीव के कल्याण का उपाय बताया। व्यासाचार्य ने कहा कि जिस तरह कमल कीचड़ में खिलकर भी कीचड़ से अलग स्वच्छ रहता है , उसी तरह इस जीव को भी सांसारिक नश्वर मायाजाल के बीच में रहकर भी अपने मुक्ति के लिये नाम , रूप , लीला और धाम का अनुगमन करना चाहिये। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से अनेकों पापी भी तर गये और अंत में उनको मोक्ष की प्राप्ति हो गई। श्रीमद्भागवत कथा के बारे में उन्होंने कहा कि यह सभी धर्मशास्त्रों का सार है। जब देवर्षि नारद ने भक्ति महारानी के बेहोश पड़े दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य को सकल शास्त्र सुनाया तब भी उनकी मूर्च्छा दूर नही हुई। लेकिन जैसे ही श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया , वैसे ही वे दोनों जागृत अवस्था में आकर श्री हरि , कृष्ण , गोविंद अनेकों नामों को गाते हुये संकीर्तन करने लगे।
महाराज श्री ने बताया कि यह कथा तो देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है , इसीलिये देवताओं ने इस कथा के बदले में राजा परीक्षित को अमृत कलश देने का प्रस्ताव रखा था। महाराज श्री ने बताया कि परीक्षित को ऋषि पुत्र द्वारा सातवें दिन मरने का श्राप दिया गया था। उन्होंने अन्य उपाय के बजाए श्रीमद्भागवत की कथा का श्रवण किया और मोक्ष को प्राप्त कर भगवान के बैकुण्ठ धाम को चले गये। ऐसे श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य केवल श्रीकृष्ण की असीम कृपा से ही प्राप्त हो सकती है। इस कलिकाल में मोक्ष दिलाने वाला श्रीमद्भागवत महापुराण कथा से कोई अन्य श्रेष्ठ मार्ग नही है।महराजश्री ने बताया कि इस कलयुग में भी मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर अपना कल्याण कर सकता हैं। इस कलिकाल में भी वह भगवान के नाम स्मरण मात्र से भगवत् शरणागति की प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना सकता है। इसके पहले श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कलशयात्रा के साथ हुई। इसमें सैकड़ों महिलाओं ने अपने सिर में कलश धारण कर गाजे बाजे के साथ गांव में भ्रमण किया। कथास्थल पहुंचने पर मुख्य यजमान के द्वारा श्रीमद्भागवत की पूजा अर्चना की गई। इसके पश्चात वेदिका पूजन और देव
आवाहन के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। इसमें सात दिनों तक व्यासपीठ से आचार्य जी ने कथा महात्म्य से लेकर परीक्षित मोक्ष तक का कथा श्रवण कराया। कथा के दौरान बीच बीच में संगीतमय हरि नाम संकीर्तन में भी श्रद्धालु भक्तिभाव से नृत्य करते नजर आये।