अटल विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ ‘‘कश्मीर का सच’’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान

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अटल विश्वविद्यालय में संपन्न हुआ ‘‘कश्मीर का सच’’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान

भुवन वर्मा बिलासपुर 06 अप्रैल 2022

बिलासपुर । अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय व्याख्यान माला प्रकोष्ठ के माध्यम से ‘‘कश्मीर का सच’’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान एवं विचार संगांष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं विशेष वक्ता के रूप में सांची विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति डॉ. नीरजा ए गुप्ता और कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति आचार्य डॉ. अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी जी ने की। कार्यक्रम का उद्घाटन माँ सरस्वती के समीप दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण कर हुआ।

स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के कुलसचिव डां सुधीर शर्मा ने मंचासिन व्यक्तिव एवं उपस्थितों के प्रति आभार व्यक्त कर किया। क्रमशः कार्यक्रम के विषय पर मुख्य वक्ता डॉ. नीरजा ए गुप्ता ने अपने विचारों और अनुभवों को साझा करते हुए कश्मीर की क्षेत्रीय, भाषा, ज्ञान, विचार, व्यवहार, संस्कृति एवं अनेक विविध उदाहरण प्रस्तुत कर कश्मीर के ज्वलंत मुद्दों को समझाया। उन्होंने कहा की लार्ड माउण्ट बेटन की साजिशों का ही यह प्रतिफल है जिसमें कश्मीर और कश्मीर के लोगों को भारत में भौगौलिक स्थान तो मिला पर वे भारतीय नहीं बन सकें। डॉ. गुप्ता ने कश्मीर के उद्भव से वर्तमान तक संक्षिप्त और सारगर्भित तथ्यों में व्याख्यान के साथ ही 370 और 35‘‘A’’ के विभिन्न पहलुओं पर विशेष जानकारी प्रदान करते हुए कहा की ‘‘दोषी समाज हो सकती है संस्कृति नहीं, दोषी सत्ता हो सकती है, राज्य नहीं।’’ इस प्रसंग से उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति सभी के सामने रखी। उक्त सत्र में सभी को जानकारी से अवगत कराया की कश्मीर में लगभग 62 भाषा, 35 से 62 प्रतिशत आज भी बोली में संस्कृत का प्रयोग किया जाता है। अनेक प्रकार के वहॉ यात्राएं होती है, देश का पंचांग सूत्र तैयार किया जाता है, यह भी सत्य है कि हमसे कुछ ऐतिहासिक, राजनीतिक निर्णयों में चूक हुई है जिसके प्रतिफल आज भी डायरेक्ट वोटिंग का अधिकार वहां किसी भी आम नागरिकों को नहीं होने और पित्रात्मक सभ्यता लागू कराने के विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में कश्मीर में विभिन्न प्रकार की परम्परा – सांस्कृति, त्यौहार, नदीयों की यात्रा, नाग संस्कृति के साथ मोनास्टीक्स और हैमीस्टीक के संबंध में विस्तृत वर्णन किया। सभी लोगों को सलाह दी की अगर उन्होंने कश्मीर का सच जानना है तो वे कश्मीर देखे, वहां संे संबंधित प्राथमिक स्त्रोत का अध्ययन करंे, अपने दायित्वों को समझे और पूरी क्षमता से निर्वहन करें। कुलपति ने अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ. नीरजा ए गुप्ता को ‘‘कश्मीर का सच’’ जैसे गंभीर विषय पर उनके कश्मीर के सभ्यता, संस्कृति और भाषाओं पर प्रमाणिकता, साक्ष्य और तथ्यों के आाधार पर दिये सारगर्भित जानकारी के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि आपने इतिहास को जैसे साक्ष्य बनाकर प्रस्तुत किया है निश्चित ही हम सभी को अपने दायित्वों और कर्त्वयों को पूर्ण करने की प्रेरणा मिली। इसी प्रकार निकट भविष्य में भी आपका सहयोग और विभिन्न बिन्दुओं पर चिंतन करने का अवसर प्राप्त कराने का आग्रह किया। सत्र के अंत में मुख्य अतिथि एवं वक्ता को माननीय कुलपति एवं कुलसचिव महोदय द्वारा साल और श्रीफल भेंट किया गया। धन्यवाद ज्ञापन हेतु डॉ. एच.एस. होता ने मंचासीन महानुभाओं के साथ सभी उपस्थितो के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय व्याख्यान माला प्रकोष्ठ के संयोजक श्री धर्मेन्द्र कश्यप एवं डॉ. रश्मि गुप्ता द्वारा किया गया।

उक्त कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक, डॉ. मनोज सिन्हा, विश्वविद्यालय अध्ययन शाला से सौमित्र तिवारी, यशवंत कुमार पटेल, गौरव साहू, डॉ. स्वाती रोज टोप्पो, डॉ. सीमा बेलोरकर, हामिद अब्दुल्ला, हैरी जार्ज, डॉ. लतिका भाटिया, डॉ. कलाधर, सुश्री श्रिया साहू, शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मिडिया के प्रतिनिधियों, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं आधिक्य संख्या में उपस्थित रहें।

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