रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने संबंधी याचिका सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकृत

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रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने संबंधी याचिका सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकृत

भुवन वर्मा बिलासपुर 23 फ़रवरी 2022

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने रामायण में वर्णित ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की मांग संबंधी एक याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने की अर्जी बुधवार को स्वीकार कर ली।अब शीर्ष अदालत इस मामले में 09 मार्च को सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वरिष्ठ भाजपा नेता और सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई हेतु 09 मार्च के लिये सूचीबद्ध करने की का निर्देश दिया।
स्वामी ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार आज ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान लगाई थी। इससे पहले उन्होंने 23 जनवरी 2020 में शीघ्र सुनवाई की निवेदन किया था जिस पर केंद्र जवाब तलब किया गया था। राज्यसभा सांसद स्वामी का दावा है कि केंद्र सरकार ने ‘रामसेतु’ का अस्तित्व पहले ही स्वीकार कर चुकी है। सरकार ने उनकी मांग पर वर्ष 2017 में इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर विचार करने को लेकर सहमति व्यक्त की थी , लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। बताते चलें रामसेतु को लेकर यह विवाद पिछले कई दशकों से लंबित है। खासकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह नीत यूपीए सरकार के शासनकालन 2015 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के तहत जहाजों के लिये रास्ता बनाने रामसेतु को तोड़ा जाना था , हालांकि बाद में यह कार्रवाई रोक दी गई। वहीं रामसेतु की पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुये इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग उठने लगी।

क्या है रामसेतु ?

मान्यता है कि भारत के तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच स्थित चूने के चट्टानों की श्रृंखला (एडम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है) प्राचीन काल में ‘रामसेतु’ के तौर पर जानी जाती थी। प्राचीन धार्मिक ग्रंथ रामायण में इसका वर्णन किया गया है। इस धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक मां सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने हेतु लंका पर चढ़ाई के लिये भगवान श्रीराम की वानर सेना ने तैरते पत्थर से इस सेतु का निर्माण किया था।दरअसल वर्ष 2015 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट की तब लागत करीब ढाई हजार करोड़ थी। प्रोजेक्ट के तहत बड़े जहाजों के आवागमन के लिये करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाये जाने थे। ऐसा होने पर जहाजों का समय 30 घंटे बचता , इन चैनल्स में से एक राम सेतु भी है जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है जिसे तोड़ने की योजना थी। माना जाता है कि आज जो कुछ हिस्सा दिखाई देता है वह रामसेतु का ही है। लंबे समय से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग हो रही है।
 

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