हाई कोर्ट से मिला न्याय 10 वर्ष बाद शिक्षाकर्मी महेश को

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भुवन वर्मा, बिलासपुर 29 नवंबर 2019

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में बीते 21 नवम्बर को एक ऐसा मामला अंतिम सुनवाई हेतु प्रस्तुत हुआ, जिसमें एक शिक्षा कर्मी को बिना किसी सूचना के दस साल पहले नौकरी से निकाल दिया गया था ,पीड़ित शिक्षाकर्मी महेश कुम्भकार ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और याचिका लगाई|
दिनांक 21.11.19 को मामले की अंतिम सुनवाई में याचिका कर्ता महेश कुंभकार के अधिवक्ता महेंद्र दुबे व निमेश कुमार झा न्यायालय के समक्ष महेश के निर्दोष होने तथा नियम विरूद्ध उसे नौकरी से हटाने संबंधी तर्क प्रस्तुत किए जिससे सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने इस सर्विस मामले मे याचिकाकर्ता को सेवा में पुनः बहाली एवं 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन तथा एरियर , 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है।

जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता महेश कुंभकार जो की सन् 1998 में शिक्षाकर्मी ग्रेड-२ के पद पर नियुक्त हुआ था! तत् पश्चात किसी शिकायत उपरांत संपूर्ण सलेक्शन लिस्ट को राज्य शासन ने रद्द कर दिया था,जिस पर सभी चयनित कर्मियों ने माननीय उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने सन् 2006 में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया,जिसके परिणाम स्वरूप सभी चयनित कर्मियों को पुनः वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया इस चयन से क्षुब्ध उमाकांत महोबिया (जिसका चयन नहीं हुआ था) ने पुनः हाईकोर्ट में प्रकरण MCC No 75/ 2006 दायर कर उक्त आदेश WPS 1589/ 2002 को रिव्यू करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पूर्व आदेश दिनांक 07/2002 रद्द कर पुनः नए सिरे से डिसाइड करने संबंधित पक्षों को यथा उचित नोटिस देकर संपूर्ण चयन लिस्ट को रद्द कर, पुनः नए सिरे से चयन सूची निर्मित करने का आदेश दिया,उक्त आदेश के परिपालन में राज्य शासन ने याचिकाकर्ता महेश कुंभकार को बिना नोटिस दिए व सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किए बिना, सेवा से मुक्त कर दिया,जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने माननीय हाईकोर्ट में अधिवक्ता महेंद्र दुबे व अधिवक्ता निमेश कुमार झा के माध्यम से अंतिम तर्क प्रस्तुत किया , जिस पर फाइनल हियरिंग उपरांत याचिकाकर्ता को सेवा में पुनः बहाली एवं 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन तथा एरियर 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है |

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