विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के द्वारा विचार संगोष्ठी का आयोजन : विकलांग विमर्श का वैश्विक परिदृश्य बिलासपुर की पहचान – डॉ पाठक
विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के द्वारा विचार संगोष्ठी का आयोजन : विकलांग विमर्श का वैश्विक परिदृश्य बिलासपुर की पहचान – डॉ पाठक
भुवन वर्मा बिलासपुर 1 दिसंबर 2021
बिलासपुर , । विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के द्वारा विचार संगोष्ठीका आयोजन डॉ विनय पाठक कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुख्य अतिथि श्री मदन मोहन अग्रवाल राष्ट्रीय महामंत्री की अध्यक्षता एवं राजेंद्र अग्रवाल राजू कोषाध्यक्ष के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ प्रमुख अभ्यागत डॉक्टर पाठक ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि विकलांग विमर्श का वैश्विक परिदृश्य अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद बिलासपुर की पहचान है जिसमें लिंग और जाति से परे विशुद्ध मानवतावादी दृष्टि पर आधारित विमर्श का वितान विनिर्मित किया डॉक्टर पाठक ने कहा कि विकलांग विमर्श दशा और दिशा ग्रंथ से स्त्री दलित और जनजाति विमर्श के बाद विकलांग विमर्श को प्रस्थापना मिली अध्यक्षता करते हुए मदन मोहन अग्रवाल ने कहा कि 1 दर्जन से अधिक साहित्य के प्रकाशन के साथ निशक्त चेतना के 7 भागों का प्रकाशन और 8 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी ओं का संयोजन परिषद की उल्लेखनीय उपलब्धि रही है इस तरह उन्होंने विकलांग विमर्श के पुरोधा डॉ द्वारिका प्रसाद अग्रवाल और प्रवर्तक डॉक्टर पाठक के प्रदेय को महत्वपूर्ण प्रतिपादित किया राजेंद्र राजू अग्रवाल ने कहा कि विकलांग विमर्श के समानांतर विकलांगों की सेवा के लिए सैकड़ों शिविर लगाकर वह देश में पहली बार विकलांगों के सामूहिक विवाह का आयोजन कर जो उपलब्धि हासिल की है वह विशिष्ट पहचान है इस कार्यक्रम के अवसर पर परिषद के संरक्षक एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ राधेश्याम अग्रवाल ने सेवानिवृत्ति के पश्चात की समग्र राशि को परिषद को चेक प्रदान करके इसकी विश्वसनीयता और पारदर्शिता को प्रमाणित किया श्रीमती विद्या केडिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने आभार प्रदर्शन करते हुए डॉ राधेश्याम अग्रवाल की निस्वार्थ सेवा भावना की सराहना करते हुए उनके स्वस्थ व सुखी जीवन की कामना की इस अवसर पर विशेष रूप से नित्यानंद अग्रवाल गायत्री देवी अग्रवाल पवन एवं कविता ना लोटिया की उपस्थिति उल्लेखनीय रही*