NSUI ने की “शिक्षा बचाओ देश बचाओ” अभियान की शुरुआत….
NSUI ने की “शिक्षा बचाओ देश बचाओ” अभियान की शुरुआत….
भुवन वर्मा बिलासपुर 11 नवंबर 2021
नई दिल्ली – छात्र संगठन एनएसयूआई ने की शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की शुरुआत की। एनएसयूआई ने बताया कि नई शिक्षा नीति केंद्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लाई गई, जब पूरे देश में कोविड कहर का दौर था। सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। अब तो नई शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही। साथ ही एसएससी, नीट, जेईई जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है। अगर हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहें हैं, तो हमारा कर्तव्य बनता हैं कि हम उनसे चर्चा करें। वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी हैं कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करती हैं। एनएसयूआई केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम दो साल की छूट दी जाएं। क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के दो साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि : केंद्र सरकार को छात्रों की कोई चिंता नही है, कोरोनकाल में सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव जिस वर्ग पर पड़ा है वो है छात्र वर्ग, कोरोनाकाल में परीक्षाएं लेने की केंद्र सरकार की तानाशाही रवैये से छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया था, तब भी एनएसयूआई ने इसका पुरजोर विरोध किया था, और अब भी हमने एक अभियान शुरुआत की है “शिक्षा बचाओ देश बचाओ” हम केंद्र सरकार से मांग करते है कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दें क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।
एनएसयूआई नेशनल सोशल मीडिया चेयरमैन आदित्य भगत ने बताया कि : एनएसयूआई हमेशा से छात्रों के हक के लिए लड़ती आयी है, और अब भी हमने छात्रों के हित के लिए एक अभियान की शुरुवात की है “शिक्षा बचाओ देश बचाओ” की, केंद्र सरकार को छात्रों की कोई फिक्र नही है, वह हमेशा छात्रों के हित के खिलाफ रहती है, वो चाहे कोरोनाकाल में परीक्षाएं रद्द करनी हो या छात्रों के लिए वैक्सीन मुफ्त करने की बात हो, कोरोनाकाल मे छात्रों के मानसिकता पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसे देखते हुए हम केंद्र सरकार से मांग करते है कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दें क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।