युगदृष्टा परम पूज्य गुरुदेव पन्डित श्री राम शर्मा आचार्य : अद्भुत व्यक्तित्व अनोखा कर्तव्य निष्ठ, अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक का अवतरण दिवस आज

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युगदृष्टा परम पूज्य गुरुदेव पन्डित श्री राम शर्मा आचार्य : अद्भुत व्यक्तित्व अनोखा कर्तव्य निष्ठ अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक का अवतरण दिवस आज

भुवन वर्मा बिलासपुर 20 सितंबर 2021

हरिद्वार । आचार्य श्रीराम शर्मा अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक का संक्षिप्त परिचय : जन्म २० सितंबर १९११ ग्राम आवलखेड़ा ,, आगरा (उ०प्र०)
पिता – विद्वान पन्डित रूप किशोर शर्मा,,
माता– दान कुुँवरि।।
महामना मालवीय जी ने दीक्षा यज्ञोपवीत सन्स्कार कराया।।
सन् १९२६ हिमालय स्थित सूक्ष्म शरीरधारी ऋषिसत्ता स्वामी सर्वेश्वरानन्द (जो त्रेता में परशुराम जी के गुरु थे) से मार्ग दर्शन प्राप्त।। अखन्ड दीप की साक्षी में कठोर जप तप साधना।। अनेक बार दुर्गम हिमालय जाकर ऋषिसत्ता से साक्षात्कार।। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उल्लेखनीय कार्य।। जेल में मालवीय जी,, स्वरूपा रानी नेहरू अादि का सान्निध्य प्राप्त।। कार्यों की गूँज ब्रिटिश असेम्बली तक।। सरकार ने ताम्र पत्र भेट किया।। उनकी स्मृति में डाक टिकट १९९१ में जारी किया।। २०११- २०१२ में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गई।। ।

🏮 युग ऋषि:- भारत की सबसे बड़ी विशेषता इसकी ऋषि परम्परा रही है।। “वशुधैेेव कुटुम्बकम्” वाली विश्व संस्कृति इसी की देन है।। अवतार परम्परा के पीछे भी ऋषियों का तप रहा है।। उन्होंने अपनी जीवनी का शीर्षक दिया है”हमारी वसीयत और विरासत” ।। वे स्वयं को ऋषि तन्त्र के अभिन्न अन्ग अवयव के रूप में ही अनुभूत ओैेर व्यक्त करते रहे हैं।।

💐इस युग में लुप्तप्राय: ऋषि परम्परा को उन्होंने पुनः गरिमामय स्वरूप दिया है।। विज्ञजन उन्हें गायत्री महाविद्या को युगानुरुप प्रभावी स्वरूप देने के नाते

🍎 युग के विश्वामित्र कहते हैं।। सनातन अध्यात्म विद्यान की धारा को पुनः प्रवाहित करने के नाते उन्हें 🏮 युग भगीरथ :- कहा जाता है।। युग व्यास के रूप में उन्होंने चार वेद,, १०८ उपनिषद,, प्रज्ञा पुराण,, प्रज्ञोपनिषद,, खड्दर्शन अादि के सहित विविध अार्शग्रन्थो को युगानुरुप बोधगम्य बनाया।।

💐तप साधना की विशिष्टता तथा धर्म तन्त्र एवं राजतन्त्र में सन्तुलन बिठाने के लिए अाचार्य जी को 🎍 युग वशिष्ठ 🎍 की संज्ञा दी गई है।। यज्ञ विज्ञान को सर्वोपयोगी बनाने के नाते उन्हें 💐 युग याज्ञवल्क्य💐 भी कहा जाता है।। 🍟 उन्होंने बुद्ध परम्परा के 🍢 धर्म प्रवर्तन 🍢 के अनुरूप धर्म तन्त्र से लोक शिक्षण एवं प्रव्रज्या की नयी विधा प्रदान की।।

🍟 शन्कराचार्य परम्परा के अनुरूप शन्कराचार्य पीठों की तरह गायत्री शक्तिपीठो की स्थापना करके जन जन में अाध्यात्मिक चेतना जगाने का तन्त्र विकसित किया।।
🍟 परशुराम परम्परा के अन्तर्गत ग्यान कुठार से मस्तिष्कों में घुसी भ्रान्तियो का उच्छेदन के सद् ज्ञान की स्थापना हेतु विचार क्रांति अभियान चलाया।।
🍟 इसी प्रकार चरक परम्परा के वनोेैषधि विज्ञान ,, चैेेतन्य परम्परा के अन्तर्गत सन्गीत से जन भावना का शोधन जैसे अनेक ऋषि परम्परा के प्रयोगों को पुनर्जिवन प्रदान किया।।

💐 वेद मूर्ति :- उन्होंने सनातन ज्ञान को समय की आवश्यकता के अनुरूप जन सुलभ बनाया।। मनुष्य एवं मनुष्यता के लिए चुनौती बनी समस्याओं के समाधान तथा विकास के मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रचुर मात्रा में उत्कृष्ट साहित्य की रचना की।। गायत्री महाविज्ञान,, प्रग्योपनिषद् सहित साधना विज्ञन,, वेेैज्ञानिक अध्यात्म,, जीवन जीने की कला,, सत्प्रवृत्ति सम्वर्धन ,, दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन अादि विषयों पर ३२०० पुस्तकें लिखी तथा उनके जनसुलभ संस्करणों के प्रकाशन की व्यवस्था की।
🎃 तपोनिष्ट:- उन्होंने प्रचन्ड तप करके सुक्ष्म जगत से इतनी शक्ति अर्जित की जिससे लाखों करोड़ों व्यक्तियों को पीड़ा एवं पतन से मुक्ति दिला सके।। सन्स्मरण इकट्ठे किए जाएं तो तप शक्ति से सुक्ष्म प्रकृति में एेसे अनुकूल प्रवाह पेेैदा किए कि गायत्री जैेेसी विशिष्ट साधना तथा यज्ञ जैसे विशिष्ट प्रयोग जन सुलभ बन सके।।

💐युग निर्माण के सन्साधन विकसित हो सके।।
🎄 अाचार्य:- वे सच्चे अाचार्य रहे।। उन्होंने अध्यात्म विज्ञान की गरिमा को अपने अाचरण से सिद्ध किया तथा टूटती जन अास्था को पुनः नव जीवन दिया।। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी पूरी होने पर पूज्य अाचार्य श्री गांधी जी से मिले,, उन्हें बताया कि अब वे महान राष्ट्र के लिए सांस्कृतिक गरिमा के जागरण औेर श्रेष्ठ व्यक्तियों के निर्माण का अभियान प्रारंभ करने वाले हैं।। गान्धी जी ने उन्हें सराहा और अाशिर्वाद दिया ।
अादर्श सद् गृहस्थ एक एेसे सद् गृहस्थ का जीवन उन्होंने जिया जिसमें ब्राह्मण जीवन एवं ऋषि कर्म का जीवन्त स्वरूप झलकता रहा।। बचपन में घर से निष्कासन का खतरा मोल ले कर,, रोगी अछूत वृद्धा की सेवा,,, केवल चड्ढी बनियान पहने भागकर स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी,, बच्चों की पाठशाला उद्योगशाला चलाना अादि।।

🎋 तपस्वी साधक:- कोई व्यक्ति जीवन भर केवल तप साधना में निरत रहकर जितनी तप शक्ति अर्जित कर सकता है उससे अधिक तप शक्ति का अर्जन और सदुपयोग किया।
🍎 प्रखर विद्वान :- जो जीवन भर केवल ज्ञान साधना में लगे रहे,, उनके सम कक्ष ज्ञानार्जन किया।। लोग उन्हें चलता फिरता विश्व कोष कहते रहे।।
🎇 अनोखे लेखक:- जीवन भर केवल लेखन का उद्योग करने वालों से भी अधिक मात्रा में उच्च स्तरीय साहित्य का लेखन किया।।
🎆 अाध्यात्मिक सन्गठन:- पीरों पेेैगम्बरों में धर्म अध्यात्म के प्रवाह के शोधन एवं विस्तार के क्रम में युग ऋषि द्वारा युग निर्माण योजनार्गत गायत्री परिवार का सन्गठन उससे भी विराट बना है।। भारत कभी विश्व गुरु था,, यहां की संस्कृति एवं अाध्यात्मिक धारा जो हमारे ऋषियोंयो मुनियों द्वारा प्रतिपादित एवं अनुप्राणित थी,, का ज्ञान कराने तथा देव संस्कृति को पुनर्जीवित करने हेतु विचार क्रांति अभियान प्रारम्भ किया।। अाचार्य जी की वाणी एवं लेखनी में जो ओजस तेजस वर्चस झलकता था उससे हर व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता उनका होकर बन जाता था।।।

🌺 पन्डित श्री राम शर्मा आचार्य, सन्स्थापक– अखिल विश्व गायत्री परिवार

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